Soul Sustenance & Message for the day 11-04-2014

kmsraj51 की कलम से …..

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Soul Sustenance 11-04-2014
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Universal Concepts About The Supreme Being or God – Part 2

Just as a candle flame emerges from a point source and assumes an oval form, mystics and saints throughout the passage of time have had visions of God as a point of self-luminous light with an oval aura.

Most religions have images, idols or memorials, having one name or the other to represent God as light or as an oval shape.

Throughout India there are statues of an oval-shaped image. They are called Shivalingas, and are thought to represent the Creator Himself. The names of the temples of Shiva confirm this: Somnath, the Lord of Nectar; Vishwanath, The Lord of the Universe; Mukteshwara, the Lord of Liberation, etc..

In the Old Testament of the Bible, it is mentioned that Moses had a vision of light as a burning bush in the desert. Jesus also referred to God as light. In some Christian ceremonies, during the ceremonies, an ostensorio is held up. The ostensorio is a golden ball with many rays radiating from it. Perhaps this is a symbolic representation of God.

Guru Nanak, the founder of Sikhism called Him Ek Omkar, Nirakar, the one non-physical (bodiless) being or soul.

According to Islamic legend, when Adam left paradise he came to a low hill upon which he saw a shining white oval stone. Around this stone he circled seven times praising God. He then built the Kaaba. By the time of Abraham it needed to be rebuilt as a temple to honour the one God. The town of Mecca grew around this spot. This oval stone, later called Sang-e-aswad and now ‘blackened’ by the kisses of millions of sinners, so they say, is the only object of worship in the whole of Islam.

(To be continued tomorrow …)

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Message for the day 11-04-2014
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Where there is faith, there is greatness.

Expression: To have faith means to recognize the positivity in the self, in others and in situations. It also means a deep connection with God. The one who has faith is able to bring out the greatness in everything and everyone. So such a person reveals his greatness wherever he is.

Experience: When I have unbroken faith, I have the understanding that everything that happens is for some good cause. So, I am satisfied with everything that happens in my life. So I am creative in my responses to the environment, which in turn, makes me truly great.

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris

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‘शून्य’ – (Shunya) सस्पेंस थ्रिलर उपन्यास – उपन्यास ….. जारी ….. है,,

kmsraj51 की कलम से …..

‘शून्य’
Real Art

प्रिय मित्रों,,

हिंदी उपन्यास ‘शून्य’ जारी ….. है …..

भाग-6 => ब्लैंक मेल (शून्य-उपन्यास)-

चांदके धुंधले रोशनीमे टेरेसपर कमांड1 और कमांड2 बैठे हूए थे. उनके सामने लॅपटॉप रखा हूवा था. बिच बिचमें वे मजेसे व्हिस्कीके घूंट ले रहे थे. कमांड1 कॉम्प्यूटरको तेजीसे कमांड दे रहा था. एक पलमें न जाने कितने की बोर्डके बटन वह दबा रहा था.

‘” यह तुम क्या कर रहे हो?” कमांड2ने उत्सुकतावश पुछा.

” अरे यह पोलीस ऑफीसर जॉन अपने केसपर काम कर रहा है ” कमांड1 ने अपना की बोर्डके बटन दबाना जारी रखते हूए कहा.

“‘ तो फिर?” कमांड2 ने पुछा.

” उसके दिमागमें क्या पक रहा है यह हमें जानना नही चाहिए?” कमांड1 ने कहा.

‘” उसके दिमागमें क्या चल रहा है यह हमें कैसे पता चलेगा?” कमांड2ने आश्चर्यसे पुछा.

” इधर देख वह अब इंटरनेटपर ऑनलाईन है .. अब यह मेल मै उसको भेज रहा हूँ …. यह मेल उसका पासवर्ड ब्रेक करेगी” कमांड1 बडे आत्मविश्वाससे कह रहा था.

” पासवर्ड? लेकिन कैसे ?” कमांड2ने आश्चर्यसे पुछा.

” बताता हू… बताता हू” कमांड1 ने मेलका ‘सेंड’ बटन दबाया और आगे कहा,

” देखो, यह मेल जब वह खोलेगा तब उसके कॉम्प्यूटरपर ‘सेशन एक्सपायर्ड’ ऐसा मेसेज आयेगा. फिर वह फिरसे जब अपना पासवर्ड एंटर करेगा तब वह अपने प्रोग्रॅम मे एंटर किया हूवा होगा. इस तरह यह अपना प्रोग्रॅम उसका पासवर्ड अपने पास बडी सुरक्षा के साथ पहूँचाएगा”

कमांड1के चेहरेपर एक अजीब मुस्कुराहट की छटा दिखाई देने लगी.

” क्या दिमाग पाया बॉस…” कमांड2 कॉम्प्यूटरकी तरफ देखते हूए अपना व्हिस्कीका ग्लास बगल में रखते हूए बोला.

‘” धीरे धीरे तू भी यह सब सिख जाएगा” कमांड1ने उसके पिठपर थपथपाते हूए कहा.

” तेरे जैसा गुरू मिलनेके बाद मुझे चिंता करने की क्या जरुरत है ?” कमांड1 चढाते हूए कमांड2ने कहा.

कमांड1को जादा से जादा चढाने के चक्करमें कमांड2का बगलमें रखे व्हिस्कीके ग्लासको धक्का लगा और वह ग्लास निचे फर्शपर गिर गया. उसके टूकडे टूकडे होगए. कमांड2 ग्लासके टूकडे उठाने लगा.

कमांड1ने कॉम्प्यूटरपर काम करते हूए कांचके टूकडे उठा रहे कमांड2की तरफ देखा और फिरसे अपने काममें जूट गया.

” इऽऽ” कमांड2 चिल्लाया.

” क्या हूवा ?” कमांड1ने पुछा.

” उंगली कट गया “” कमांड2की कांच के टूकडे उठाते हूए उंगली कट गई थी. कमांड2 अपना दर्द छिपाने का प्रयास करने लगा.

” बी ब्रेव्ह … डोन्ट अॅक्ट लाइक अ किड ” कमांड1 ने कहा और मॉनिटरकी तरफ देखते हूए फिरसे अपने काममें जूट गया.

कमांड2ने वैसेही खुनसे सने हाथसे कांचके बाकी टूकडे उठाए, वहाँ एक पॉलीथीन बॅग पडी हूई थी उसमें डाले और उस पॉलीथीनकी बॅगको गांठ मारकर वह बॅग मकान के पिछले हिस्सेमें झाडीमें फेंक दी.

उतनेमें कमांड1को एक मेल आई हूई दिखाई दी.

” उसने अपनी मेल खोली है शायद… इसको तो अपना पासवर्ड ब्रेक करवाके लेनेकी बडी जल्दी दिख रही है ‘” बोलते हूए कमांड1ने मेल खोली. मेल ब्लँक थी. मेलमें पासवर्ड नही आया था. अचानक कमांड1ने विद्युत गतीसे कॉम्प्यूटर बंद किया.

” क्या हूवा?” कमांड2 ने पुछा.

‘” साला हम जितना सोच रहे थे उतना येडा नही है…. उसको शायद संदेह हूवा है'” कमांड1 ने कहा.

” मेल ब्लँक है … इसका मतलब उसका पासवर्डभी ब्लँक होगा'” कमाड2ने अपना अनुमान लगाया.

“मि. कमांड2 … इमेल पासवर्ड कभीभी ब्लँक नही होता'” कमांड1 अपने खास अंदाजमें कहा.

“” फिर …तूमने इतनी तेजीसे कॉम्प्यूटर क्यों बंद किया?” कमांड2 ने उत्सुकतावश पुछा.

“‘अरे, उसे अगर सहीमें संदेह हूवा होगा तो वह हमें ट्रेस करनेकी कोशीश जरुर करेगा'” कमांड2ने कहा.

“अच्छा अच्छा” कमांड2 उसे जैसे समझ गया ऐसा जताते हूए बोला.

कमांड1 व्हिस्कीका ग्लास लेकर अपने जगहसे उठ गया.

” हमें यहाँ ऐसे खुलेमें नही बैठना चाहिए ” कमांड2ने अपनी चिंता जाहिर की.

“‘ ऐसा क्यों?” कमांड1 ने व्हिस्कीका ग्लास हाथमें लेकर टहलते हूए कहा.

” नही मैने सुना है की अमेरिकन सॅटेलाईटके कॅमेरे धरतीपर 10 बाय 10 इंच तक स्पष्ट रुपसे देख सकते है … उसमें हम लोगभी दिख सकते है…” कमांड2ने स्पष्ट किया.

कमांड1 टहलते हूए एकदम ठहाका लगाकर हसने लगा.

” क्या हूवा ‘” कमांड2 उसके हसनेकी वजह समझ नही पा रहा था.

‘” अरे, यह अमेरिकन लोग प्रोपॅगँन्डा करनेमें बहुत एक्सपर्ट है .. अगर वे 10 बाय 10 इंच तक स्पष्टतासे देख सकते है तो फिर वे उस ओसामा बीन लादेनको, जो की कितने दिनसे उनके नाकमें दम कर रहा है, उसे क्यों पकड नही पा रहे है? … हां यह बात सही है की कुछ चिजोंमे अमेरिकन टेक्नॉलॉजीका कोई जवाब नही… लेकिन एक सच के साथ 10 झुठ जोडनेकी अमेरिकाकी पुरानी स्टाईल है… एक सच के साथ 10 झुठ जोडनेको क्या कहते है पता है? ‘”

” क्या कहते है?” कमांड2ने उत्सुकतासे पुछा.

” शुगरकोटींग … तुझे पता है? … दुसरे र्वल्ड वार के वक्त हिटलरकी फौज मरते दमतक क्यों लढी?”‘ कमांड1 ने पुछा.

कमांड2 कमांड1की तरफ असमंजस सा देखने लगा.

हिटलरने प्रोपॅगॅन्डा किया था की उनके फौजमें जल्दीही व्ही2 मिसाईल आनेवाला है… और अगर वह मिसाईल उनके फौजमें आता तो वे पुरी दुनियापर राज कर सकते थे'” कमांड1 ने कहा.

” फिर क्या हूवा आगया क्या वह मिसाईल उनके फौजमें ?” कमांड2 ने पुछा.

” जब व्ही2 नामकी कोई चिज होगी तो आएगी ना? …” कमांड1 ने कहा.

अब कमांड1 कॉम्प्यूटर फिरसे शुरु करने लगा.

” अब फिरसे क्यो शुरु कर रहे हो?… वह फिरसे हमें ट्रेस करेगा ना'” कमांड2 ने अपनी चिंता व्यक्त की.

” नही … अब शुरु करनेके बाद अपनेको अलग आय. पी. अॅड्रेस मिलेगा … जिसकी वजहसे वह हमें ट्रेस नही कर पाएगा ‘” कमांड1 कॉम्प्यूटर शुरु होनेकी राह देखते हूए बोला.

कॉम्प्यूटर शुरू हूवा और मॉनिटरके दाएँ कॉर्नरमें मेल आनेका मेसेजभी आया.

“‘बॉसकी मेल है ‘” मेल खोलते हूए कमांड1ने कहा.

उसने मेल खोली और पढने लगा.

“कमांड2…” कमांड1 ने आवाज दिया.

“‘ हां”

” हमें अगले मिशनके बारेंमे आदेश मिल चूके है” कमांड1 मेल पढते हूए बोला.

कमांड2 कमांड1 के कंधेपर झूककर मेलमें क्या लिखा है यह पढने की कोशीश करने लगा.

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भाग-7 => दिल है कि … (शून्य-उपन्यास)-

जॉन कारमें जा रहा था. हॉस्पिटलसे डॉक्टरने उसे फोन कर बताया था की अँजेनीको डिस्चार्ज दिया गया है. डॉक्टरके अनुसार मेडीकली वह पुरी तरहसे संवर गई थी. सिर्फ मेंटली और इमोशनली संवरनेमें उसे थोडा वक्त लग सकता था. सानीके पोस्टमार्टमके रिपोर्टभी आए थे. जॉनको उस सिलसिलेमें अँजेनीसे थोडी बातचीत करनी थी. बातचीत वह फोनपरभी कर सकता था. लेकिन दिलको कितनाभी समझाने की कोशीश करने पर भी दिल है की मानता नही था. उसे मिलनेकी उसकी इच्छा जितना रोकने की कोशीश करो उतनी तिव्र हो चली थी. उसने उसे मुंहसे कृत्रिम सांसे दी तब उसे उसका कुछ विषेश नही लगा था. लेकिन अब उसे उसके होठोंका वह मुलायम स्पर्श रह रहकर याद आ रहा था. उसने कर्र ऽऽ.. गाडीका. ब्रेक लगाया. गाडीको मोड लिया और निकल गया – अँजेनीके घरकी तरफ.

जॉनकी कार अँजेनीके अपार्टमेंटके निचे आकर रुकी. उसने गाडी पार्किंगकी तरफ मोड ली. पार्किंगमे कुछ समय वह वैसाही गाडीमें बैठा रहा. आखीर अपने मन से चल रहे कश्मकशसे उभरकर वह गाडीसे उतर गया. लंबे लंबे कदमसे वह लिफ्टकी तरफ गया. लिफ्ट खुलीही थी, उसमें वह घुस गया. लिफ्ट बंद होकर उपरकी तरफ दौडने लगी.

लिफ्ट रुक गई. लिफ्टमें डिस्प्लेपर 10 आंकडा आया था. लिफ्टका दरवाजा खुला और जॉन बाहर निकल गया. अँजेनीका फ्लॅटका दरवाजा अंदर से बंद था. वह दरवाजेके पास गया. फिर वहा थोडी देर अपने दरवाजा खटखटाऊ की नही यह सोचकर चहलकदमी करने लगा. वह डोअर दबानेही वाला था की अचानक सामनेका दरवाजा खुला. दरवाजेमें अँजेनी खडी थी. जॉन का चेहरा ऐसा हुवा मानो उसे चोरी करते हूए पकडा गया हो.

” क्या हूवा? ” अँजेनी हसते हूए बोली.

इतना खिलखिलाकर हसते हूए जॉन उसे पहली बार देख रहा था.

“‘ किधर? कहा? … कुछ नही… मुझे तुम्हारे यहा इस केसके सिलसिलेमें आना था… नही मतलब आया हूँ ” जॉन अपने चेहरेके भाव जितने हो सकते है उतने छिपाते हूए बोला.

” आवो ना फिर… अंदर आवो… ” अँजेनी फिरसे हसते हूए बोली.

अँजेनीने उसे घरके अंदर लेकर दरवाजा बंद किया.

जॉन और अँजेनी ड्रॉईंगरूममें बैठे हूए थे.

” पोस्टमार्टमके रिपोर्टके अनुसार … सानीको पिस्तौल की गोली सिनेमें बाई तरफ एकदम हार्टके बिचोबिच लगी… इसलिये वह गोल जो दिवारपर निकाला था वह उसने निकालनेका कोई सवालही पैदा नही होता” जॉनने अपना तर्क प्रस्तूत किया.

” मतलब वह आकार जरुर खुनीनेही निकाला होगा” अँजेनीने कहा.

थोडा सोचकर वह आगे बोली , ” लेकिन गोल निकालकर उसे क्या जताना होगा? “”

” वही तो… सबसे बडा सवाल अब हमारे सामने है”” जॉनने कहा.

” अगर इस तरह से और कोई खुन इससे पहले हूवा है क्या यह अगर देखा तो?” अँजेनीने अपना विचार व्यक्त किया.

” वह हम सब पहलेही देख चूके है… पिछले रेकॉर्डमें इस तरह का एकभी खुन मौजूद नही है”” जॉनने कहा.

इतनेमे जॉनका मोबाईल बजा. उसने बटन दबाकर वह कानको लगाया, “यस …सॅम”

जॉनने उधरसे सॅमको सुना और वह एकदम उठकर खडा होगया, ” क्या?”

अँजेनी क्या हूवा यह समझनेकी कोशीश करती हूई आश्चर्यसे उसके तरफ देखने लगी.

” मुझे जाना पडेगा ” जॉनने कहा और दरवाजेकी तरफ जानेको निकला.

जॉनने मोबाईल बंद कर अपने जेबमें रखा.

जाते जाते अँजेनीको उसने सिर्फ इतनाही कहा , “मै तुझे बादमे मिलता हूँ … मुझे अब जल्दसे जल्द वहाँ पहूँचना पडेगा.

अँजेनी कुछ बोले इसके पहले जॉन जा चूका था.

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भाग-8 => और एक ? … (शून्य-उपन्यास)-

जॉनकी गाडी एक भीड भाड वाले रस्ते से दौडने लगी. बादमें इधर उधर मुडते हूए वह गाडी एक पॉश बस्तीमें एक अपार्टमेंटके पास आकर रुकी. जॉन वहा पहूचनके पहले ही वहां पुलिस की टीम आकर पहूँची थी. इस बार पुलिस के अलावा वहां मिडीयाकी उपस्थीतीभी थी. भीडकी वजहसे रस्ता ब्लॉक होनेको आया था. जैसेही जॉनने गाडी पार्क की और वह गाडीसे बाहर आगया मिडीयावालोने उसे घेर लिया. भलेही वह एक प्राईव्हेट गाडीसे आया था और युनिफॉर्ममें नही था फिरभी पता नही मिडीयावालोंको वह इस केससे सबंधीत होनेकी भनक कैसे लगी थी?

“‘मि. जॉन वुई वुड लाईक टू हिअर यूअर कमेंट ऑन द केस प्लीज ‘” कोई उसके सामने कॅमेरा और माईक्रोफोन लेकर आया.

“‘प्लीज बाजू हटो …. मुझे अंदर जाने दो … पहले मुझे इन्व्हेस्टीगेशन पूरा करने दो … उसके बादही मै अपनी कमेंट दे पाऊंगा “‘ जॉन भीडमेंसे बाहर निकलने की कोशीश करते हूए बोला.

फिरभी वहांसे कोई हटनेके लिए तैयार नही था. बडी मुश्कीलसे उस भिडसे रस्ता निकालते हूए जॉन अपार्टमेंटकी तरफ जाने लगा. दुसरे कुछ पुलिस उसे जानेके लिए जगह बनानेके लिए उसकी मदत करने लगे.

जॉन लिफ्टसे अपार्टमेंटके दसवे मालेपर पहूँच गया. सामनेही एक फ्लॅटके सामने पुलिसकी भीड थी. जॉन फ्लॅटमें घुसतेही उसके सामने सॅम आया.

“सर, इधर ” सॅम जॉनको बेडरूमकी तरफ ले गया.

बेडरूममे खुनसे लथपथ एक स्त्री का शव पडा हूवा था और सामने दिवारपर फिरसे खुनसे एक बडासा गोल निकाला हुवा था. इस बार उस गोलके अंदर खुनसे 0+6=6 और 0x6=0 ऐसा लिखा हूवा था. जॉन सामने जाकर दिवारकी तरफ गौरसे देखने लगा.

” कौन औरत है यह?”” जॉनने सॅमको पुछा.

” हुयाना फिलीकिन्स … कोई टी व्ही आर्टीस्ट है ‘” सॅमने कहा.

” यहाँ क्या अकेली रह रही थी?” जॉनने पुछा.

‘” हाँ सर, … पडोसीयोंका तो यही कहना है … उनके अनुसार बिच बिचमें कोई आता था उसे मिलने… लेकिन हरबार वह कोई अलग ही शख्स रहता था. ‘” सॅमने उसे मिले जानकारी का सारांश बयान किया.

” खुनीने दिवारपर 0+6=6 और 0x6=0 ऐसा लिखा है … इससे कमसे कम इतना तो पता चलता है की वह गोल यानी की शुन्यही है .. लेकिन 0+6=6 और 0x6=0 इसका क्या मतलब? … कही वह हमे गुमराह करनेकी कोशीश तो नही कर रहा है?” जॉनने अपना तर्क प्रस्तुत किया.

‘” अॅडीटीव्ह आयडेंटीटी प्रॉपर्टी और झीरो मल्टीप्लीकेशन प्रॉपर्टी … गणितमें पढाया हूवा थोडा थोडा याद आ रहा है……” सॅम ने कहा.

“‘ वह सब ठीक है … लेकिन उस खुनीको क्या कहना है यह तो पता चले?” जॉनने जैसे खुदसेही पुछ लिया.

दोनो सोचने लगे. उस सवाल का जवाब दोनोंके पास नही था.

‘”बाकीके कमरे देखे क्या?'” जॉनने पुछा.

“‘ हां, तलाशी जारी है”” सॅम ने कहा.

फोटोग्राफर फोटो ले रहे थे. फिंगर प्रिन्ट एक्सपर्ट कुछ हाथके, उंगलीयोंके निशान मिलते है क्या यह ढूढ रहे थे.

” मोटीव्ह के बारेमें कुछ ?'” जॉनने बेडरूमसे बाहर आते हूए सॅमसे पुछा.

‘” नही सर … लेकिन इतना जरुर है की पहला खुन जिसने किया था उसनेही यह खुनभी किया होगा.” सॅम अपना अंदाजा बयान कर रहा था.

‘” हां … बराबर है … यह कोई सिरियल किलरकाही मसला लग रहा है “” जॉनने सॅमका समर्थन करते हूए कहा.

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भाग-9-अ => पहली गलती ? … (शून्य-उपन्यास)-

कमांड1 और कमांड2 कुर्सीपर सुस्ता रहे थे. बॉसने उनको जो काम सौंपा था वह उन्होने अच्छी तरह से निभाया था. इसलिए वे खुश लग रहे थे. उनकी पुरी रात दौडधूपमें गई थी. बैठे बैठे कमांड1को निंदभी आ रही थी. उसके सामने रातका एक एक वाक्या किसी चलचित्रकी तरह आ रहा था…

… रातके 3-3.15 बजे होगे. बाहर कडाके की ठंड थी. इधर उधर देखते हूए बडी सावधानीसे कमांड1 और कमांड2 एक अपार्टमेंटमें घुस गए. आपर्टमेंटमें सब तरफ एक तरह की डरावना सन्नाटा फैला हूवा था. वहा जो भी सेक्यूरीटी तैनात थी, उसका उन्होने पहलेसेही बंदोबस्त करके रखा था. तोभी वे बडी सावधानी बरतते हूए, अपने कदमोंका आवाज ना हो इसका खयाल रखते हूए लिफ्टके पास गए. चारो तरफ अपनी पैनी नजर दौडाते हूए कमांड1ने धीरेसे लिफ्टका बटन दबाया. लिफ्ट खुलतेही आजूबाजू देखते हूए कमांड1 और कमांड2 दोनो लिफ्टमें घुस गए. दोनोंने हाथमें सफेद सॉक्स पहने हूए थे. अपना चेहरा किसीकोभी दिखना नही चाहिए इसलिए उन्होने अपने पहने हूए ओव्हरकोटकी कॉलर खडी की थी. लिफ्टका दरवाजा बंद हूवा कमांड1ने सामने जाकर लिफ्टका बटन दबाया, जिसपर लिखा हूवा था -10.

लिफ्ट दसवे मालेपर आकर रुकी. लिफ्ट का दरवाजा अपने आप खुला. कमांड1 और कमांड2 फिरसे इधर उधर देखते हूए धीरेसे बाहर आ गए. कोई देख नही रहा है इसकी तसल्ली कर वे पॅसेजमें चलने लगे. उनके जूते के तलवेमे मुलायम रबर लगाया होता, क्योंकी वे भलेही तेजीसे चल रहे थे लेकीन उनके जुतोंका बिलकुल आवाज नही आ रहा था. वे 103 नंबरके फ्लॅटके सामने आकर रुके. फिरसे दोनोंने अपनी नजर आजूबाजू दौडाई, कोई नही था. अपने ओव्हरकोटके जेबसे कुछ निकालकर कमांड1ने सामने दरवाजे के की होलमे डालकर घुमाया. बस दो तिन झटके देकर घुमाया और दरवाजेके हॅडलको हलकासा झटका देकर निचे दबाया, दरवाजा खुल गया. दोनोंके चेहरे खुशीसे खिल गए. अंदर घना अंधेरा था.

दोनो धीरेसे फ्लॅटके अंदर घुस गए. उन्होने अपने हाथके सॉक्स निकालकर अपने ओव्हरकोटके जेबमें रख दिए. सॉक्सके अंदर उनके हाथमें रबरके हॅन्डग्लोव्हज पहने हूए थे. उन्होने धीरेसे आवाज ना हो इसकी खबरदारी लेते हूए दरवाजा अंदरसे बंद कर लिया.

हॉलमे अंधेरेमें कमांड1 और कमांड2 जैसे छटपटा रहे थे. अंधेरेमें उन्होने बेडरूमकी तरफ जानेवाले रस्तेका अंदाजा लगाया और वे उस दिशामें चलने लगे. अचानक कमांड1 बिचमें रखे हूए टी पॉयसे टकराया गिरते गिरते उसने बाजूमें रखे एक चिजको पकड लिया और खुदको गिरनेसे बचाया. कमांड2नेभी उसे गिरनेसे बचानेके लिए सहारा दिया. वो गिरनेसे तो बच गया लेकिन दुर्भाग्यसे बगलमें रखे एक गोल कांच के पेपर वेटको उसका धक्का लगा, जिसकी वजहसे वह पेपरवेट लुढकने लगा. कमांड1ने पेपरवेटको बडी चपलतासे पकड लिया और फिरसे उसकी पहली जगहपर रख दिया.

” अरे यार लायटर लगा … साला यहां कुछभी नही दिख रहा है….” कमांड1 दबे स्वरमें लेकिन चिढकर बोला.

कमांड2ने अपने जेबसे लायटर निकालकर जलाया. अब धुंदले प्रकाशमें थोडाबहुत दिखने लगा था. उनके सामनेही एक खुला हुवा दरवाजा था.

बेडरूम इधरही होना चाहिए…..

कमांड1ने सोचा. कमांड1 धीरे धीरे उस दरवाजेकी तरफ बढने लगा. उसके पिछे पिछे कमांड2 चल रहा था. दरवाजेसे अंदर जानेके बाद अंदर उनको बेडपर लिटी हुई कोई आकृती दिखाई दी. कमांड1ने मुंहपर उंगली रख कमांड2को बिलकुल आवाज ना करने की हिदायत दी. कमांड1ने अंधेरेमें टटोलकर बेडरूमका बल्ब जलाया. जो भी कोई लेटा हुवा था शायद घोडे बेचकर सो रहा था, क्योंकी उसके शरीरमें कुछ भी हरकत नही थी. कौन होगा यह जाननेके लिए कोई रास्ता नही था क्योंकी उसने अपने सरको चादरसे ढक लिया था. कमांड1 ने अपने ओवरकोटकी जेबसे बंदूक निकाली. सोये हूए आकृतीपर उसने वह बंदूक तानकर उसके चेहरेपरसे चादर हटाई. वह एक सुंदर स्त्री थी. वह शायद वही थी जो उनको चाहिए थी क्योंकी एक पलकाभी अवकाश ना लेते हूए कमांड1 ने सायलेंसर लगाई बंदुकसे उसपर गोलीयोंकी बौछार कर दी. उसके शरीर में हरकत हूई, लेकीन वह सिर्फ मरनेके पहलेकी छटपटाहट थी. फिरसे उसका शरीर ढीला होकर एक तरफ लूढक गया. निंदसे जगनेकीभी मोहलत कमांड1ने उसको नही दी थी. वह खुनसे लथपथ निश्चल अवस्थामें मरी हूई पडी थी.

” ए, तेरे पासका खंजर देना जरा” कमांड1 कमांड2को फरमान दिया.

अबतक का उसका दबा स्वर एकदम कडा हो गया था. कमांड2 ने उसके ओवरकोटके जेबसे चाकू निकालकर कमांड1के हाथमें दिया. कमांड1 वह खंजर मुर्देके खुनसे भिगोकर दिवारपर लिखने लगा.

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भाग-9-ब => पहली गलती ? … (शून्य-उपन्यास)-

लिखना होनेके बाद कमांड1 वहा बगलमेंही रखे हूए फोनके पास गया. ओवरकोटके दाएँ जेबसे उसने एक उपकरण निकाला, फोन नंबर डायल किया और उस उपकरणसे वह फोनके माऊथपीसमें बोलने लगा, ” … और एक शख्स …हयूयाना फिलीकींन्स …शून्यमे समा गया है …”

उधरसे कुछ आवाज आनेसे पहलेही उसने फोन रख दिया. शायद उसने पुलिस स्टेशनको फोन लगाया था. फोन रखनेके बाद अचानक कमांड1का खयाल उसके हाथ की तरफ गया.

” माय गॉड!” उसके मुंह से आश्चर्ययुक्त डरसे निकल गया.

” क्या हूवा ?” कमांड2 कमांड1के हाथकी तरफ देखकर बोला.

क्या गडबड हूई यह अब कमांड2केभी खयालमें आया था. कमांड1के दाए हाथका रबरसे बना हूवा हॅन्डग्लोव्ह फट गया था. खुनके पहले जब वह हॉलमे किसी चिजसे टकराया था तब शायद वह कहीं अटकर फट गया होगा.

“” मेरे हाथके और उंगलियोंके निशान अब सब तरफ लगे होगे… हमें अब यहांसे जानेसे पहले सब निशान मिटाना जरुरी है…” कमांड1 अपने जेबसे रुमाल निकालते हूए बोला.

” जादा नही होंगे … हम पुलिस आनेसे पहले झटसे साफ कर सकते है ‘” कमांड2भी अपने जेबसे रुमाल निकालते हूए बोला.

दोनो रुमालसे कमरेंमे सब जगह, लाईटका स्वीच, बेडका किनारा , बगलमें रखा टेबल सब जल्दी जल्दी साफ करने लगे.

बेडरूममें कहीभी उसके हाथके निशान नही बचे होगे इसकी तसल्ली करके वे हॉलमे चले गए. वहा उन्होने टी पॉय, दरवाजेका हॅन्डल, निचेका फर्श , जहां जहां हाथ लगनेकी गुंजाईश थी वे सब कपडेसे साफ किया. अचानक उन्हे पुलिसकी गाडीका सायरन सुनाई देने लगा. दोनोने तेजीसे एकबार बेडरुममें जाकर इधर उधर नजर दौडाकर कुछ बचातो नही इसकी तसल्ली की. जैसे पुलिस की गाडीका आवाज नजदिक आने लगा वे दौडतेही सामने दरवाजेके पास गए. सावधानीसे, धीरेसे दरवाजा खोलकर वे बाहरकी गतिविधीयोंका अंदाजा लेते हूए वहासे रफु चक्कर हो गए.

…. अचानक कमांड1 अपनी विचारोंकी दुनियासे जागते हूए कुर्सीसे खडा हो गया.

” क्या हूवा ?” कमांड2 ने पुछा.

” गफल्लत हो गई साली … एक बहुत बडी गलती हो गई” कमांड1ने कहा.

कमांड1का नशा पुरी तरह उतरा हूवा था.

” गलती … कैसी गलती? कमांड2 ने पुछा.

कमांड1के चेहरेके भाव देखकर कमांड2काभी नशा उतरने लगा था.

” मेरी उंगलीयोंके निशान अभीभी वहां बाकी रह गए है ” कमांड1ने कहा.

” हमनेतो सब जगहकी निशानिया मिटाई थी” कमांड2ने कहा.

” नही … एक जगह साफ करनेका हम भूल गए” कमांड1ने कहा.

” कहां ?” कमांड2ने पुछा.

अबतक कमांड2भी उठकर खडा हूवा था.

“” तुझे याद होगा की … जब मै हॉलमें किसी चीजसे टकराकर गिरनेवाला था … तब वहां टी पॉयपर रखे एक कांचके पेपरवेटको मेरा धक्का लगा था … और वह लुढकते हूए गिरने लगा था… .” कमांड1 बोल रहा था. .

कमांड2 कमांड1की तरफ चिंता भरी नजरोंसे देख रहा था.

” आवाज ना हो इसलिए मैने वह पेपरवेट उठाकर फिरसे उसकी पहली जगह पर रखा था…'” कमांड1ने कहा.

” माय गॉड … उसपर तेरे उंगलीके निशान मिटाने तो रह ही गए ”

कमांड1 गहन सोच मे डूब गया.

” अब क्या करना है ?” कमांड2 ने पुछा.

कमांड1 कुछ बोलनेके मनस्थीतीमें नही था. वह खिडकीके पास जाकर सोचमें डूबा खिडकीके बाहर देखने लगा. कमांड2को क्या करें और क्या बोले कुछ समझ नही रहा था. वह सिर्फ कमांड1की गतिविधीयाँ निहारने लगा. कमांड1 फिरसे खिडकीके पाससे वे दोनो जहां बैठे हूए थे वहां वापस आगया. उसने सामने रखा हूवा व्हिस्कीका ग्लास फिरसे भरा और एकही घूंटमे पुरा ग्लास खाली कर दिया. फिरसे कमांड1 खिडकीके पास गया और अपनी सोचमें डूब गया.

” कुछ ना कुछ तो होगा जो हम कर सकते है” कमांड2 कमांड1को दिलासा देनेकी कोशीश कर रहा था.

कमांड1 कुछ समय के लिए स्तब्ध खडा रहा और अचानक कुछ सुझे जैसा चिल्लाया,

” यस्स ऽऽ”

” क्या कुछ रास्ता मिला ?” कमांड2 खुशीसे पुछा.

लेकिन कमांड1 कहां वह सब कहनेके मनस्थितीमें था? उसने कमांड2को इशारा किया,

” चल जल्दी … चल मेरेसाथ चल”

कमांड1 दरवाजेसे बाहर गया और कमांड2 उसके पिछे पिछे असमंजसा चलने लगा.

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भाग-10 => माय गॉड …(शून्य-उपन्यास)-

हयूयानाके शवके आसपास इनव्हेस्टीगेशन कर रहे टेक्नीकल लोगोंकी भीड हूई थी. उनको दिक्कत ना हो इसलिए जॉन और सॅम बेडरूमसे बाहर चले गए. बाहर हॉलमेंभी जॉनके कुछ और साथी थे. उनमेंसे डॅन बाकी कमरोंमे कुछ मिलता है क्या यह ढूंढ रहा था. इतनेमें डॅनका व्हायब्रेशन मोडमें रखा हूवा मोबाईल व्हायब्रेट हूवा डॅनने फोन निकालकर नंबर देखा. नंबर तो पहचानका नही लग रहा था. डॅनने मोबाईल बंद कर जेबमे रखा और फिर अपने काम मे व्यस्त हूवा.

थोडी देरमें डॅनके फोनपर एस. एम. एस. आया. एस. एम. एस. उसी फोन नंबरसे आया था. उसने मेसेज खोलकर देखा-

‘डॅन फोन उठावो … वह तुम्हारे लिए बहुत फायदेका सौदा रहेगा.’

डॅन सोचमें पड गया. ऐसा किसका एस. एम. एस. हो सकता है? फायदा यानी किस फायदेके बारेंमे वह बात कर रहा होगा? अपने दिमागपर जोर देकर डॅन वह नंबर किसका होगा यह याद करनेकी कोशीश करने लगा. शायद नंबर अपने डायरीमें होगा यह सोचकर उसने डायरी निकालनेके लिए जेबमें हाथ डालाही था की डॅनका मोबाईल फिरसे व्हायब्रेट होगया. वही नंबर था. डॅनने मोबाईलका बटण दबाकर मोबाईल कानको लगाया.

उधरसे आवाज आई-

” मै जानता हू अब तुम कहा हो .. हयूयाना फिलीकींन्सके फ्लॅटमें … जल्दीसे कोई सुनेगा नही , कोई देखेगा नही ऐसे जगहपर जावो… मुझे तुमसे बहुत महत्वपुर्ण बात करनी है ”

जॉन और अँजेनी हॉलमें बैठे थे.

” इस दोनो खुनसे मै कुछ नतिजे तक पहूंचा हूं…” जॉन अँजेनीको बताने लगा.

“‘कौनसे?” अँजेनीने पुछा.

” पहली बात… यह की यह खुनी .. इंटेलेक्च्यूअल्स इस कॅटेगिरीमे आना चाहिए'” जॉनने कहा.

” मतलब?” अँजेनीने पुछा

” मतलब प्रोफेसर , वैज्ञानिक, मॅथेमॅटेशियन … या ऐसाही कोई उसका प्रोफेशन होना चाहिए'” जॉनने अपना तर्क बताया.

” कैसे क्या?”‘ अँजेनीने पुछा.

” उसके शून्यसे रहे लगावसे ऐसा लगता है… लेकिन 0+6=6 और 0x6 =0 ऐसा लिखकर उसे क्या सुझाना होगा?” जॉनने जैसे खुदसेही पुछा.

” ऐसा हो सकता है की उसे सब मिलाकर 6 खुन करने होंगे” अँजेनीने अपना कयास बताया.

“‘ हां हो सकता है” जॉन सोचमें डूबा उसकी तरफ देखते हूए बोला.

जॉनने मौकाए वारदात पर निकाले कुछ फोटो अँजेनीके पास दिए.

” देखो इस फोटोंसे कुछ खास तुम्हारे नजरमें आता है क्या?”” जॉनने कहा.

” एक बात मेरे ध्यानमें आ रही है …” जॉनने कहा.

” कौनसी?” फोटोकी तरफ ध्यानसे देखते हूए अँजेनीने पुछा.

” की दोनोभी खून अपार्टमेंटके दसवे मालेपरही हूए है …” जॉनने कहा.

अँजेनीने फोटो देखते हूए जॉनकी तरफ देखते हूए कहा, ‘” अरे हां… तुम बराबर कहते हो … यह तो मेरे ध्यानमेंही नही आया था””

अँजेनी फिरसे फोटो देखनेमें व्यस्त हूई. जॉन उसके चेहरेके हावभाव निहारने लगा. अचानक अँजेनीके चेहरेपर आश्चर्यके भाव आ गए.

‘” जॉन यह देखो …” अँजेनी दो तस्वीरें जॉनके हाथमें पकडाते हूए बोली.

जॉनने वे दोनो तस्वीरे देखी और अनायास ही उसके मुंह से निकल गया,”

‘” माय गॉड…”

जॉन उठकर खडा हो गया था.

=========== क्रमश::………..

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‘शून्य’ – (Shunya) सस्पेंस थ्रिलर उपन्यास – हिन्दी में !!

kmsraj51 की कलम से …..

‘शून्य’
Real Art

प्रिय मित्रों,,

आज मैं आप सब के लिए हिंदी उपन्यास ‘शून्य’ – (Shunya) सस्पेंस थ्रिलर उपन्यास …..
लेकर आया हूँ,,,,,

“‘शून्य’ – (Shunya) Suspense Thriller Complete Novel in Hindi”

भाग-1 => हैप्पी गो अनलकी (शून्य-उपन्यास)-

हिमालय की वह उंचे पर्वतोंकी श्रुंखला और पर्वतोंपर लहराते हूए, आसमानमें बादलोंसे बातें करते हूए उंचे पेढ. आगे बर्फ से ढंकी हूई पर्वतोंकी ढलान चमक रही थी. उस चमकती ढलानसे लगकर कहीं दूरसे किसी सांप की तरह बल खाती हूई एक नदी गुजर रही थी. शुभ्र और अमृत की तरह निर्मल उस नदीका पाणी बहते हूए आसमंतमें जैसे एक मधूर धुन बिखेरता हूवा जा रहा था.

उंचे उंचे पेढ की सरसराहट , पंछींयोंकी चहचहाट, बहते नदी की मधूर धुन. इन कुदरती बातोंसे कौनसा युग चल रहा होगा यह बताना लगभग नामुमकीन. हजारो, लाखो सालोंसे चल रहे इन कुदरती करिश्मों में अगर मानवी उत्थान का प्रतीक समझे जाने वाली बातोंकी उपस्थीती ना हो तो पुराना युग क्या? और आधुनिक युग क्या? … दोनो एक समान. ऐसी इस जगह पर्वत की गोदमें नदीके किनारे एक पुरानी गुंफा थी. उस गुंफा के आस पास उंची हरी हरी घास हवा के साथ लहरा रही थी. गुंफामे एक ऋषी ध्यानस्थ बैठा हूवा था. सरपर बढी हूई जटायें, दाढी मुंछ बढ बढकर थकी हूई. न जाने कितने सालसे तप कर रहे ऋषी के चेहरेपर एक तेज, एक गांभीर्य झलक रहा था. आसपासके वातावरण से अनजान , या यूं कहीए वक्त, जगह और अपने शरीर से अनजान उनकी सुक्ष्म अस्तीत्वका विचर युगो युगोतक चल रहा होगा. अनादि, अनंत, सनातन कालसे विचर करते हूए उस ऋषीकी सुक्ष्म अहसास ने इस आधुनिक युग में प्रवेश किया …

अमेरिकाके एक शहरमें एक रस्ते के फुटपाथपर शामके समय लोग अपनी आधूनिकता की शानमें अपने ही धुनमें चले जा रहे थे. रस्तेपर आलिशान गाडीयाँ दौड रही थी. लोग अपने आपमे ही इतने व्यस्त और मशगुल थे की उन्हे दुसरों की तरफ ध्यान देने की बिलकुल फुरसत नही थी. सब कैसे अनुशाशीत ढंग से एक स्वयंचलित यंत्र की तरह चल रहा था. चलते हूए सबकी नजर कैसी अपनी नाक की दिशा में सिधी थी. हो सकता है उन्हे इधर उधर देखते हूए चलना भी अपने शिष्टाचार के खिलाफ लगता होगा. ऐसेही लोगोंकी भिडमें चलती हूई एक बाईस तेईस साल की सुंदरी अँजेनी अपने हाथमें शॉपींग बॅग लिये एक दुकान मे जानेके लिये मुडी. चलते हूए एक हाथसे बडी खुबसुरतीसे वह बिच बिचमें अपने चेहरे पर आती लटोंको पिछे की ओर हटा रही थी. उसकी लबालब भरे शॉपिंग बॅगसे लग रहा था की उसकी खरीदारी लगभग पुरी हो गयी होगी, बस कुछ दो-एक चिजें रह गई होगी. अचानक एक पुलिस व्हन सायरन बजाती हूई रास्ते से गुजरने लगी. लोगोंका अनुशाशन जैसे भंग हो गया. अँजेनी दुकानमें जाते हूए रुक गई और मुडकर क्या हूवा यह देखने लगी. कोई चलते चलते रुककर, तो कोई चलते चलते मुडकर क्या हूवा यह देखने लगे. न जाने कितने दिनोंके बाद कुछ लोगोंके भावहिन चेहरे पर डर के भाव उमटने लगे थे. कुछ लोग तो चेहरे पर बिना कुछ भाव लाए उस व्हन की तरफ देखने लगे. शायद चेहरेपर कुछ भाव जताना भी उनको नागवार लगता होगा. पुलिस व्हन आई उसी गतीमें गुजर गई. रस्ता थोडी देर तक जैसे पाणी में पत्थर गिरने से निकलने वाले तरंग की तरह विचलित हूवा और फिर थोडी देरमें पुर्ववत हुवा. जैसे कुछ हूवा ही ना हो. अँजेनी फिरसे मुडकर दुकानमें जाने लगी. उसे क्या मालूम था? की अभी अभी जो व्हॅन रस्ते से गुजर गई उसका उसके जिंदगी से भी कुछ सरोकार होगा.

पुलिस व्हॅन एक साफ सुधरी कोलोनीमें एक अपार्टमेंट के निचे रुक गई. बस्तीमें एक अजीब सन्नाटा छाया हूवा था. पुलिस व्हॅनसे तप्तरताके साथ पुलिस ऑफीसर जॉन और उसकी टीम उतर गई. जो लोग अपार्टमेंटके बाल्कनीमें बैठकर सुस्ता रहे थे वह अचंभेसे निचे पुलिस व्हॅनकी तरफ देखने लगे. उतरते ही जॉन और उसकी टीम अपार्टमेंट की लिफ्ट की तरफ दौड गई. ड्रायव्हरने व्हॅन अंदर ले जाकर पार्किंग लॉटमें पार्क की. जॉन और उसके सहकारीयोंने लिफ्टके पास आकर देखा तो लिफ्ट जगह पर नही थी. जॉनने लिफ्टका बटन दबाया. बहुत देर से राह देखकरभी लिफ्ट निचे नही आ रही थी.
” शिट” चिढे हूए जॉनके मुंह से निकल गया.
अधिरतासे जॉन बार बार लिफ्टका बटन दबाने लगा. थोडी देरमें लिफ्ट निचे आ गई. जॉनने लिफ्टका बटन फिरसे दबाया. लिफ्टका दरवाजा खुल गया. अंदर काला टी शर्ट पहना हूवा एकही आदमी था. उस हालातमें भी उसके टी शर्टपर लिखे अक्षरोंने जॉन का ध्यान आकर्षित किया. उस काले टी शर्टपर सफेद अक्षरोंसे लिखा हुवा था –
‘ झीरो’.
वह आदमी बाहर आतेही जॉन और उसके साथीदार लिफ्टमें घुस गए. लिफ्टमें जातेही जॉनने 10 नं. फ्लोअरका बटन दबाया. लिफ्ट बंद होकर उपरकी तरफ दौडने लगी.

10 नं. फ्लोअरपर लिफ्ट रुक गई. जॉनके साथ सब लोग बाहर आ गए. उन्होने देखा की उनके सामने ही एक फ्लॅटका दरवाजा पुरा खुला हूवा था. सब लोग उस खुले फ्लॅटकी तरफ दौड पडे. वे सब लोग एक दुसरे को कव्हर करते हूए धीरे धीरे फ्लॅटके अंदर जाने लगे. हॉलमें कोई नही था. जॉन और उसके और दो साथीदार बेडरुमकी तरफ जाने लगे. बचे हूए कुछ किचनमें, स्टडी रुममें और बाकी कमरे देखने लगे. किचन और स्टडी रुम खालीही थी. जॉनको बेडरूममें जाते वक्त ही अंदर सब सामान बिखरा हूवा दीख गया. उसने अपने साथीदारको इशारा किया. जॉन और उसके दो साथीदार सतर्तकासे धीरे धीरे बेडरुममें जाने लगे. वे एक दुसरेको कव्हर करते हूए अंदर जातेही उनको सामने बेडरुममे एक भयानक दृष्य दिखाई दिया. एक खुन से लथपथ आदमी बेडपर लिटा हूवा था. उसके शरीर में कुछ हरकत नही दिख रही थी. या तो वह मर गया था या फिर बेहोश हो गया होगा. जॉनने सामने जाकर उसकी नब्ज टटोली. वह तो कबका मर चुका था.
” इधर है … इधर”
जॉनके साथ आया एक साथीदार चिल्लाया.
अब जॉनके पिछे उसके बाकी साथीदार भी अंदर आगए. जॉनने आजुबाजू अपनी मुआयना करती हूई नजर दौडाई. अचानक उसका ध्यान जिस दिवार को बेड सटकर लगा हूवा था उस दिवार ने आकर्षीत किया. दिवार पर खुन की छींटे उड गई थी या खुन से कुछ लिखा हूवा था. जॉनने गौर करकर देखा तो वह खुनसे कुछ लिखा हूवाही प्रतित हो रहा था क्योकी दिवारपर खुनसे एक गोल निकाला हूवा था.
गोल… गोल का क्या मतलब होगा…
जॉन सोचने लगा.
और वह खुन उस मरे हूए आदमी का है या और किसीका?…
वह गोल खुनी ने निकाला होगा या फिर जो मर गया उसने मरनेसे पहले वह निकाला होगा?
” यू पिपल कॅरी ऑन ”
जॉनने अपने टीमको उनकी इन्वेस्टीगेशन प्रोसीजर शुरु करने को कहा.
उसके साथीदार अपने अपने काममें व्यस्त हो गए. जॉनने अपनी पैनी नजर एकबार फिरसे बेडरुमकी सब चिजे निहारते हूए दौडाई. बेडरुममें कोनेमें एक टेबल रखा हूवा था. टेबलपर एक तस्वीर थी. तस्वीरके बाजुमें कुछ खत और लिफाफ़े पडे हूए थे. जॉन ने एक लिफाफ़ा उठाया. उसपर लिखा हूवा था-
”प्रति – सानी कार्टर’.
इसका मतलब जो मर गया था उसका नाम सानी कार्टर था और वह सब खत उसे पोस्टसे आये हूए थे. जॉन बाकी लिफाफ़े और खत उठाकर देखने लगा. वे खत छानते हूए जॉन खिडकीके पास गया. उसने खिडकीसे बाहर झांककर देखा. बाहर बडा खुबसुरत दृष्य था – एक गोल नयनरम्य तालाब का. उस तालाब को हरी हरी हरीयालीने घेर रखा था. वह दृष्य देखकर जॉन कुछ पलोंके लिये अपने आसपासके मौहोल को भूल सा गया. तालाब की तरफ देखते देखते तालाब के आकारने उसे अपने आसपासके मौहोलसे फिरसे जोड दिया. क्योंकी तालाब का आकार लगभग गोलही था. जॉन फिरसे सोचने लगा-
” दिवारपर… गोलसा क्या निकाला होगा?”
अचानक जॉनके दिमाग मे एक विचार चौंध गया..
” गोल यानी ‘झीरो’ तो नही होगा… हां गोल यानी जरुर ‘झीरो’ ही होगा”
जॉन ने आवाज दिया ” सॅम और तू डॅन “‘
” यस सर” सॅम और डॅन तत्परतासे आगे आते हूए बोले.
” हम जब निचे लिफ्टमें चढे… तब हमें एक काले टी शर्टवाला आदमी दिखाई दिया…और उसके टी शर्टपर ”झीरो” ऐसा लिखा हूवा था… तुमने देखाना?” जॉनने पुछा.
” हां सर…मुझे उसका चेहरा भी याद है” सॅमने कहा.
” हां सर…मुझेभी याद है” डॅन ने कहा.
” गुड … अब तेजीसे निचे जावो और देखो वह निचे मिलता है क्या? … जल्दी जावो … वह अबभी जादा दुरतक नही गया होगा.”
जॉनके साथीदार सॅम और डॅन लगभग दौडते हूए ही निकल गए.

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भाग-2 => आसमान गिर पड़ा (शून्य-उपन्यास)-

जब अँजेनीने अपनी कार अपार्टमेंटमें पार्किंगके लिए घुमाई उसे वहाँ वह शापींग करते वक्त रस्ते में दिखी पुलिस व्हॅन दिखाई दी. उसका दिल जोर जोर से धडकने लगा. क्या हूवा होगा? वह कार से उतरकर अपना शॉपींग किया हूवा सामान लेकर जल्दी जल्दी लिफ्ट की तरफ चल पडी. जब वह वहाँ पहूँची, लिफ्टका दरवाजा खुला और अंदरसे दो पुलिसके लोग बाहर आ गए. पुलीसको देखकर उसका दिल औरही बैठसा गया. उसने झटसे लिफ्टमें जाकर लिफ्टका बटन दबाया जिसपर 10 यह नंबर लिखा हूवा था.
लिफ्टसे बाहर आतेही जब अँजेनीने अपने खुले फ्लॅटके सामने लोगोंकी भीड देखी उसकेतो हाथ पांव कापने लगे. उसके हाथसे शॉपींगका सारा सामान निचे गीर पडा. वैसेही वह उस भीडकी तरफ दौड पडी.
” क्या हूवा?” उसने अंदर जाते हूवे वहाँ जमा हूई भीडको पुंछा. सब लोग गंभीर मुद्रामें सिर्फ उसकी तरफ देखने लगे. किसीकी उसको कुछ बताने की हिम्मत नही बनी. वह फ्लॅटके अंदर चली गई. सब पुलीसवालोंका बेडरुमकी तरफ रुख देखकर वह बेडरुमकी तरफ चली गई.
जाते जाते फीरसे उसने एक पुलीसवालेको पुछा, ” क्या हूवा?”
वह उससे आँखे ना मिलाते हूवे गंभीरतासे सिर्फ बेडरुमकी तरफ देखने लगा.
वह जल्दीसे बेडरुमके अंदर चली गई. सामनेका दृष्य देखकर जैसे अब उसकी बचीकुची जान निकल गई थी. उसके सामने उसके पती का खुनसे लथपथ शव पडा हूवा था. उसे अब सारा कमरा घुमता हूवा नजर आने लगा और वह अपना होशोहवास खोकर निचे गीर पडी. गिरते वक्त उसके मुंहसे निकल गया-
” सानी…”
उसकी वह हालत देखकर बगलमें खडा जॉन झटसे उसे सहारा देने के लिए सामने आया. उसने उसे हिलाकर उसे जगाने की कोशीश की. वह बेहोश हो गई थी. लेकिन जब जॉनने गौर किया की उसकी सांसभी शायद रुक चूकी थी, उसने बगलमें खडे अलेक्स को आदेश दिया ” कॉल द डॉक्टर इमीडीएटली … आय थींक शी हॅज गॉट अ ट्रिमेंडस शॉक”.
अलेक्स तत्परतासे बगलमें रखे फोनके पास जाकर फोन डायल करने लगा.
डॉक्टर के आने तक कुछ करना जरुरी था लेकिन जॉन को क्या करे कुछ सुझाई नही दे रहा था.
“सर शी नीड्स आर्टिफिशीअल ब्रीदिंग” किसीने सुझाव दिया.
फिर जॉन अपने मुंहसे उसके मुंहमे सांस भरने लगा और बिच बिचमे उसकी रुकी हूई धडकन शुरु होनेके लिए उसके सिनेपर जोर जोरसे दबाव देने लगा. दबाव देते हूए 101,102,103 गिनकर उसने फिरसे उसके मुंहमें हवा भरी और फिरसे 102,102,103 गिनकर उसके सिनेपर दबाव देने लगा. ऐसा दो-तीन बार करनेके बाद जॉनने अँजेनीकी सांस टटोली. लेकिन एक बार गई हूई उसकी सांस मानो लौटनेको तैयार नही थी. उसके सारे साथीदार उसके इर्द-गिर्द जमा हुए थे. उनको भी क्या करे कुछ समझ नही आ रहा था. डॉक्टरके आनेतक एक आखरी प्रयास सोचकर जॉनने फिरसे एकबार अँजेनीके मुंहमे हवा भरी और 101,102,103 गिनकर उसके सिनेपर दबाव देने लगा.
हॉस्पीटलमें अँजेनीको इंटेसीव केअर युनिट में रखा गया था. बाहर दरवाजे के पास जॉन और उसका एक साथीदार खडे थे. इतनेंमे आय.सी.यू का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आगए. जॉन वह क्या कहते है यह सुननेके लिए बेताब उनके सामने जाकर खडा होगया. डॉक्टरने अपने चेहरेसे हरा कपडा हटाते हूए कहा-
” शी इज आऊट ऑफ डेंजर …. नथींग टू वरी”
जॉनके जानमें जान आगई. इतनेमें जॉनके मोबाईलकी घंटी बजी. जॉनने मोबाईलके तरफ देखते हूए बटन दबाते हूए कहा-
” यस सॅम”
उधरसे आवाज आई ” सर , हमने उसे सब तरफ ढुंढा लेकिन वह हमें नही मिला.”
”नही मिला.?.. उसके जानेमें और हमारे ढुंढनेमें ऐसा कितना फासला था? ….वह वही कही आसपास होना चाहिए था. ” जॉनने कहा.
”सर… शायद उसने बादमें अपने कपडे बदले होगे.. क्योंकी हमने आसपासके सभी पुलीस स्टेशनमें उसका हूलिया और पहनावेके बारेंमे खबर कर दी थी…” उधरसे आवाज आई.
”अच्छा, अब एक काम करो…उसका स्केच बनानेके काममें जुड जावो… हमें उसे किसीभी हालमें पकडनाही होगा…” जॉनने अपना दृढ निश्चय जताते हूए आदेश दिया.
” यस सर …” उधर से आवाज आई.
जॉनने मोबाईल बंद किया और डॉक्टरसे कहा,” अच्छा अब हम निकलते है… टेक केअर ऑफ हर … और कोई मुसीबत या परेशानी हो तो हमें फोन करना ना भूलीएगा…”
”ओ.के…” डॉक्टरने कहां.
जानेसे पहले जॉनने अपने साथीदारसे कहा,” उसके रिश्तेदारके बारेमे मालूम करो…और उन्हे इन्फॉर्म करो…”
” यस सर” जॉनके साथीदारने कहा.
….क्रमश:…

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भाग-3 => वर्ल्ड अंडर अंडरवर्ल्ड (शून्य-उपन्यास)-

एक कोलनीमें एक छोटासा आकर्षक बंगला. बंगलेके बाहर एक कार आकर खडी हूई. कारसे उतरकर एक आदमी झटसे घरके कंपाऊंडमे घूस गया. कोई पच्चीसके आसपास उसकी उम्र होगी. उसने काला गॉगल पहन रखा था. अंदर जाते हूए आसपासके गार्डनपर अपनी नजरे दौडाते हूए वह दरवाजेके पास पहूंच गया. अपनी कारकी तरफ देखते हूए उसने दरवाजेकी बेल बजाई. दरवाजा खुलनेकी राह देखते हूए वह कोलनीके दुसरे घरोंकी तरफ देखने लगा. दरवाजा खुलने को बहुत समय लग रहा था इसलिए बंद दरवाजे के सामने वह चहलकदमी करने लगा. अंदरसे आहट सुनते ही वह दरवाजेके सामने अंदर जानेके लिए खडा होगया. दरवाजा खुला. सामने दरवाजेमें उसकाही हमउम्र एक आदमी खडा था. अंदरका आदमी दरवाजेसे हट गया और बाहरका आदमी बिना कुछ बोले अंदर चला गया. ना कुछ बातचीत ना भावोंका आदान प्रदान.

बाहरका आदमी अंदर जानेके बाद दरवाजा अंदरसे बंद हूवा. दोनोंकी रहन सहन, कद काठी, रंग इससे तो वे दोनो अमेरीकी मुलके नही लग रहे थे. दोनोही बिना कुछ बोले घर के तहखानेकी तरफ जाने लगे. घरके ढाचेसे ऐसा कतई प्रतित नही होता था की इस घरको कोई तहखाना होगा.

जो बाहरसे आया था उसने पुछा, ” बॉसका कोई मेसेज आया?”

” नही अभीतक तो नही … कब क्या करना है , बॉस सब महूरत देखकर करता है” दुसरेने कहा.

पहला मन ही मन मुस्कुराया और बोला,” कौन किस पागलपनमें उलझेगा कुछ बोल नही सकते ”

दूसरेने गंभिरतासे कहा ” कमांड2 तुझे अगर हमारे साथ काम करना है तो यह सब समझकर अपने आपमें ढालना जरुरी है… यहां सब बातें तोलमोलकर प्रिकॅलक्यूलेटेड ढंगसे की जाती है.””

कमांड2 कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करे ये ना समझते हूए सिर्फ कमांड1 की तरफ देखने लगा.

”कोईभी बात करनेसे पहले बॉसको उसके नतिजे की जानकारी पहलेसेही होती है.” कमांड1ने कहा.

अब वे चलते चलते अंधेरे तहखानेमें आ पहूचें. वहां तहखानेमें बिचोबिच टेबलपर एक कॉम्प्यूटर रखा हूवा था. दोनो काम्प्यूटरके सामने जाकर खडे हूए. कमांड1ने कॉम्प्यूटरके सामने कुर्सीपर बैठते हूए कॉम्प्यूटर शुरू किया. कमांड2 उसकेही बगलमें एक स्टूलपर बैठ गया. कॉम्प्यूटरपर लिनक्स ऑपरेटींग सिस्टीम शुरू होने लगी.

” तूझे पता है हम लिनक्स क्यों युज करते है?” कमांड1ने पुछा.

अपना अज्ञान जताते हूए कमांड2 ने सिर्फ अपना सर हिलाया.

‘”कॉम्प्यूटरके लगभग सभी सॉफ्टवेअर जिसका सोर्स कोड युजर (उपभोक्ता) को नही दिया जाता कहां बनायें जातें है?” कमांड1ने जवाब देने के बजाय दुसरा सवाल पुछा.

” कंपनीमें…” कमांड2ने भोले भावसे कहा.

” मेरा मतलब कौनसे देशमें?”

” अमेरिकामें” कमांड2ने जवाब दिया.

” तुझे पता होगाही की जिस सॉफ्टवेअरका सोर्स कोड कस्टमरको दिया जाता है उसे ‘ओपन सोर्स’ सॉफ्टवेअर कहते है… मतलब उस सॉफ्टवेअरमें क्या होता है यह कस्टमर जान सकता है… … और जिस सॉफ्टवेअरका कोड कस्टमरको नही दिया जाता उस सॉफ्टवेअरमें ऐसा बहुत कुछ हो सकता है… जो की होना नही चाहिए.” कमांड1 कह रहा था.

‘”मतलब?'” कमांड2 ने बिचमेंही टोका.

‘”मतलब तुझे पताही होगा की मायक्रोसॉफ्ट कंपनीने एक बार ऐलान किया था की वे उनके प्रतिस्पर्धीयोंको काबूमें रखनेके लिए उनके सॉफ्टवेअर विंन्डोज ऑपरेटींग सीस्टीममें कुछ ‘टॅग्ज’ इस्तेमाल करने वाले है…” कमांड1 कह रहा था.

” हां … तो ?” कमांड2 कमांड1 आगे क्या कहता है यह सुनने लगा.

”और उन ‘टॅग्ज’ की वजहसे कंपनीको जो चाहिए वही प्रोग्रॅम ठीक ढंगसे काम करेंगे… और दुसरे यातो बहुत धीमी गतीसे चलेंगे, बराबर नही चलेंगे या चलेंगेही नही.” कमांड1ने कहा.

” लेकिन उसका अपने लिनक्स इस्तेमाल करनेसे क्या वास्ता?” कमांड2ने पुछा.

” वास्ता है… बल्की बहुत नजदीकी वास्ता है… सुनो … अगर वे अपने प्रतिस्पर्धीयोंको काबुमें करनेके लिए ऐसे ‘टॅग्ज’ इस्तेमाल कर सकते है की जिसकी वजहसे उनके प्रतिस्पर्धीयोंका पुरा खातमा हो जाए … तो ऐसाभी मुमकीन है की वे उनके सॉफ्टवेअर और हार्डवेअरमें ऐसे कुछ ‘टॅग्ज’ इस्तेमाल करेंगे की जिसकी वजह से पुरी दुनिया की महत्वपुर्ण जानकारी इंटरनेटके द्वारा उनके पास पहूंच जाए … उसमें हमारे जैसे लोगोंकी गतिविधीयाँ भी आगई… खासकर 9-11 के बाद यह सब उनके लिए बहुत महत्वपुर्ण होगया है…” कमांड1 ने कमांड2की तरफ देखते हूए उसकी प्रतिक्रिया लेते हूए कहा.

” हां तुम सही कहते हो… ऐसा हो सकता है” कमांड2 ने अपनी राय बताते हूए कहा.

” इसलिए मैने क्या किया पता है? … लिनक्स का सोर्स कोड लेकर उसे कंपाईल किया… और फिर उसे अपने कॉम्प्यूटरमें इन्स्टॉल किया… अपनेसे जो हो सकता है वह सभी तरह की एतीहात बरतना जरुरी है…” कमांड1 बोल रहा था.

उसके बोलनेमे गर्व और खुदका बडप्पन झलक रहा था.

” अरे यह अमेरिका क्या चीज है तुझे पताही नही … सारी दुनियापर राज करनेका उनका सपना है… और उसके लिए वह किसीभी हदतक गिर सकते है…” कमांड1 आगे बोल रहा था.

कमांड2ने कमांड1 की तरफ प्रश्नार्थक मुद्रामें देखा.

” चांदपर सबसे पहले आदमी कब पहूँचा? … तुमने स्कुलमें पढाही होगा ना?..” कमांड1 ने सवाल किया.

” अमेरिकाने भेजे यान द्वारा 1969 को नील आर्मस्ट्राँग सबसे पहले चांदपर पहूंचा.” कमांड2 ने झटसे स्कुली बच्चे की तरह जवाब दिया.

”सभी स्कुली बच्चोंके दिमाग मे यही कुटकुटकर भरा हूवा है … और अभीभी भरा जा रहा है… लेकिन सच क्या है इसके बारेमे लोगोंने कभी सोचा है?… जो व्हीडीओ अमेरिकाने टी व्ही पर सारी दुनिया को दिखाया उसमें अमेरिकाका झंडा मस्त लहराता हूवा दिख रहा था… चांदपर अगर हवाही नही है … तो वह झंडा कैसा लहरेगा … जो लोग चांद पर उतरे उनके साये… यान की बदली हूई जगह… ऐसे न जाने कितने सबुत है जो दर्शाते है की अमेरीकाका यान चांदपर गयाही नही था…” कमांड1 आवेशमें आकर बोल रहा था.

” क्या बात करता है तू … फिर यह सब क्या झूट है? …” कमांड2 ने आश्चर्यसे पुछा.

” झूठ ही नही … सफेद झूठ… इतनाही नही उस वक्त सॅटेलाईटसे जमीन की ली हूई तस्वीरोंमे जो सेट उन लोगोंने बनाया था उसकी तस्वीर भी मिली है…”

” ठिक है मान लेते है की यह सब झूठ … लेकिन अमेरिका यह सब किसलिए करेगा?”

” हां यह अच्छा सवाल है … की उन्होने वह सब क्यों किया? … इतना सारा झंझट करने की उन्हे क्या जरुरत थी? … जिस वक्त अमेरिकाने उनका यान चांदपर उतरनेका दावा किया तब रशीया अमेरिकाका सबसे बडा प्रतिस्पर्धी था… हम रशीयासे दो कदम आगे है यह दिखानेके लिये उन्होने यह सब किया … और उसमें वे कामयाबभी रहे…” हर एक शब्दके साथ कमांड1का आवेश बढता दिखाई दे रहा था.

” माय गॉड… मतलब इतना बडा धोखा और वह भी सारी दुनियाको…” कमांड2के मुंहसे निकल गया.

” अमेरिका अब अंग्रेज पहले जिस रास्तेसे जा रहे थे उस रस्ते से चल रहा है… दुसरे वर्ल्ड वार के पहले ब्रिटीश लोगोंने सारी दुनियापर राज किया… उस वक्त कहते थे की उनकी जमिनपर सुरज कभी डूबता नही था… अब अमेरिकाभी वही करनेका प्रयास कर रही है…. फर्क सिर्फ इतना है की ब्रिटीश लोगोंने आमनेसामने राज किया और ये अब छुपे रहकर राज करना चाहते है… मतलब ‘प्रॉक्सी रूलींग’. अफगाणिस्थान, इराक, कुवेत, साऊथ कोरिया यहाँ पर वे क्या कर रहे है … प्रॉक्सी रूलींग … और क्या?”

” हां तुम बिलकुल सही कहते हो…” कमांड2ने सहमती दर्शाई.

” और यही अमेरिकाका अधिपत्य, प्रभुत्व खतम करना अपना परम हेतू है ..” कमांड1ने जोशमें कहा.

कमांड2के चेहरेसे ऐसा लग रहा था की वह उसकी बातोंसे बहुत प्रभावित हुवा है. और कमांड1के चेहरेपर कमांड2को ब्रेन वॉश करनेमें उसे जो सफलता मिली थी उसका आनंद झलक रहा था.

इतनेमें शुरु हुए कॉम्प्यूटरका बझर बजा. कमांड1को ईमेल आई थी. कमांड1ने मेलबॉक्स खोला. उसमें बॉसकी मेल थी.

” एक बात मेरे समझमें नही आती की यह बॉस है कौन?” कमांड2ने उत्सुकतापुर्वक पुछा.

” यह किसीकोभी पता नही … सिवाय खुद बॉसके… और इस बातसे हमें कोई सरोकार नही की बॉस कौन है?… क्योंकी हम सब लोगोंको एक सुत्रमें जिस बातने जोडा है वह कोई एक व्यक्ती ना होकर … एक विचारधारा है… वह विचारधाराही सबसे महत्वपुर्ण है… आज बास है कल नही होगा… लेकिन उसकी विचारधारा हमेशा जिंदा रहना चाहिए…” कमांड1 मेल खोलते वक्त बोल रहा था.

मेलमें सिर्फ ‘हाय’ ऐसा लिखा हूवा था और मेलको कोई फाईल अटॅच की हूई थी. कमांड1 ने अटॅचमेंट ओपन की. वह मॅडोनाकी एक ‘बोल्ड’ तस्वीर थी.

” यह क्या भेजा बॉसने?” कमांड2 ने आश्चर्यसे पुछा.

” तुम अभी बच्चे हो… धीरे धीरे सब समझ जावोगे… बस इतनाही जान लो की दिखाने के दात और खाने के दात हमेशा अलग रहते है… ” कमांड1 तस्वीर की तरफ देखकर मुस्कुराते हूए बोला.

कमांड1 ने बडी चपलतासे कॉम्प्यूटरके कीबोर्डके चार पाच बटन दबाए. सामने मॉनिटरपर एक सॉफ्टवेअर खुल गया. कमांड1ने मॅडोनाके उस तस्वीरको डबल क्लीक किया. एक निले रंग का प्रोग्रेस बार धीरे धीरे आगे बढने लगा. कमांड1 ने कमांड2की तरफ रहस्यतापुर्ण ढंग से देखा.

” लेकिन यह क्या कर रहे हो … स…” कमांड2ने कहा.

कमांड1ने झटसे कमांड2के मुंहपर हाथ रखकर उसकी बोलती बंद की.

” गलतीसेभी तुम्हारे मुंहमें मेरा नाम नही आना चाहिए… तुझे पता है… दिवार के भी कान होते है…”

”सॉरी” कमांड2 अपने गलती का अहसास होते हूए बोला.

” यहां गलतियोंको माफ नही किया जाता…” कमांड1ने दृढतापुर्वक कहा.

तबतक प्रोग्रेस बार आगे बढते हूए पुरीतरह निला हो चूका था.

” इसे स्टेग्नोग्राफी कहते है … मतलब तस्वीरोंमे संदेश छुपाना… देखनेवालोंको सिर्फ तस्वीर दिखाई देगी … लेकिन इस तस्वीरमेंभी बहोत सारी महत्वपुर्ण जानकारी छिपाई जा सकती है…” कमांड1 उसे समझा रहा था.

” लेकिन अगर यह तस्वीर यहां पहूचनेसे पहले किसी और के हाथ लगी तो?” कमांड2 अपनी शंका उपस्थीत की.

” यह सब जानकारी सिर्फ इस सॉफ्टवेअरके द्वारा ही बाहर निकाली जा सकती है… और उसे पासवर्ड लगता है…. यह सॉफ्टवेअर बॉसने खुद बनाया हूवा है…. इसलिये यह किसी दुसरे के पास रहने का तो सवाल ही पैदा नही होता” कमांड1ने उसके सवाल का यथोचीत उत्तर दिया था.

” कौनसी जानकारी छिपाई गई है इस तस्वीर में … जरा देखु तो” कमांड2 उत्सुकतावश देखने लगा.

इतनेमें मॉनिटरपर एक मेसेज दिखने लगा. ” अगले काम की तैयारी शुरु करो … उसका वक्त बादमें बताया जाएगा.”

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भाग-4 => वह कहाँ गई? (शून्य-उपन्यास)-

हॉस्पिटल के सामने एक सफेद कार आकर खडी हूई, उसमेंसे जॉन उतर गया. आज वह उसके हमेशाके पुलीस युनीफार्ममें नही था. और उसका मुडभी हमेशा का नही लग रहा था. उसके हाथमें सफेद फुलोंका एक गुलदस्ता था. सिधे लिफ्टके पास जाकर उसने लिफ्ट का बटन दबाया. लिफ्टमें प्रवेश कर उसने फ्लोअर नं. 12 का बटन दबाया. लिफ्ट बंद होकर उपरकी तरफ दौडने लगी. लिफ्टके रफ्तारके साथ उसके दिमाग में चल रहे विचारोंनेभी रफ्तार पकड ली….

दिवारपर खुनसे गोल क्यों निकाला गया होगा?….

फोरेन्सीक जांचमें खुन सानीकाही पाया गया था…..

जरुर जिसने भी वह गोल निकाला वह कुछ कहने का प्रयास कर रहा होगा…

खुन किसने किया इसका अंदाजा शायद अँजेनीको होगा…

लिफ्ट रुक गई और लिफ्टकी बेल बजी. बेलने जॉनके विचारोंके श्रुंखलाको तोडा. सामने इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्लेमें 12 यह नंबर आया था. लिफ्टका दरवाजा खुला और जॉन लिफ्टसे बाहर निकल गया. अपने लंबे- लंबे कदम से चलते हूए जॉन सिधा ‘बी’ वार्डमें घुस गया.

जॉनने एकबार अपने हाथमें पकडे फुलोंके गुलदस्तेकी तरफ देखा और उसने ‘बी2’ रूमका दरवाजा धीरेसे खटखटाया. थोडी देर तक राह देखी, लेकिन अंदर कोईभी आहट नही थी. उसने दरवाजा फिरसे खटखटाया – इस बार जोरसे. लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नही थी. यह देखकर उसने अपनी उलझन भरी नजर इधर उधर दौडाई. उसे अब चिंता होने लगी थी. वह दरवाजा जोर जोरसे ठोकने लगा.

क्या हूवा होगा?…

यही तो थी अँजेनी …

आज उसे डिस्चार्ज तो नही करने वाले थे…

फिर .. वह कहाँ गई?

कुछ अनहोनी तो नही हूई होगी?…

उसका दिल धडकने लगा. उसने फिरसे आजूबाजू देखा. वार्डके एक सिरेको एक काऊंटर था. काऊंटरपर जानकारी मील सकती है… ऐसा सोचकर वह तेजीसे काऊंटरकी तरफ जाने लगा.

“एक्सक्यूज मी” उसने काऊंटरपर नर्सका ध्यान अपनी तरफ आकर्षीत करनेका प्रयास किया.

नर्सके लिए यह रोजका ही होगा, क्योंकी जॉनकी तरफ ध्यान न देते हूए वह अपने काममें व्यस्त रही.

” ‘बी2’ को एक पेशंट थी… अँजेनी कार्टर … कहा गई वह? … उसे डिस्चार्ज तो नही दिया गया? … लेकिन उसका डिस्चार्ज तो आज नही था … फिर वह कहाँ गई? … वहाँ तो कोई नही…” जॉन सवालों पे सवाल पुछे जा रहा था.

” एक मिनट … एक मिनट … कौनसी रूम कहां आपने?'” नर्सने उसे रोकते हुए कहा.

“बी2” जॉनने एक गहरी सास लेकर कहां.

नर्सने एक फाईल निकाली. फाईल खोलकर ‘बी2′ … बी2’ ऐसा बोलते हूए उसने फाईलके इंडेक्सके उपर अपनी लचीली उंगली फेरी. फिर इंडेक्समें लिखा हूवा पेज नंबर निकालने के लिए उसने फाईलके कुछ पन्ने अपने एक खास अंदाजमें पलटे.

“‘बी2’ … मिसेस अँजेनी कार्टर…” नर्स तसल्ली करने के लिए बोली.

” हां …अँजेनी कार्टर” जॉनने कंन्फर्म किया.

जॉन उत्सुकतासे उसकी तरफ देखने लगा. लेकिन वह एकदम शांत थी. जैसे वह जॉनके सब्रका इंतहान ले रही हो. जॉनको उसका गुस्सा भी आ रहा था.

” सॉरी … मिस्टर ..?” नर्सने जॉनका नाम जानने के लिए उपर देखा.

जॉन का दिल और जोर जोरसे धडकने लगा.

“जॉन” जॉनने खुदको संभालते हूए अपना नाम बताया.

” सॉरी … मिस्टर जॉन … सॉरी फॉर इनकन्व्हीनियंस … उसे दुसरी रूममें … बी23 में शीफ्ट किया गया है….” नर्स बोल रही थी.

जॉनके जान मे जान आई थी.

“ऍक्यूअली … बी2 बहुत कंजेस्टेड हो रहा था … इसलिए उनकेही कहने पर….” नर्स अपनी सफाई दे रही थी.

लेकिन जॉनको कहा उसका सुनने की फुरसत थी? नर्स अपना बोलना पुरा करनेके पहलेही जॉन वहांसे तेजीसे निकल गया … बी23 की तरफ.

….. उपन्यास ….. जारी रखा ……….. है ,,,,,

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भाग-5 => दिल-विल… (शून्य-उपन्यास)-

बी23 की तरफ जाते हूए जॉनको खुदका ही आश्चर्य लगने लगा था.

यह कैसी बेचैनी?…

ऐसा तो पहले कभी नही हूवा था…

अबतक न जाने कितनी केसेस उसके हाथके निचेसे गई थी… लेकिन एक स्त्री के बारेमें ऐसी बेचैनी…

और कुछ अनहोनी तो नही हूई होगी? ऐसी चिंता और इतनी चिंता उसे पहले कभी नही हूई थी…

उसने बी23 का दरवाजा खटखटाया. दरवाजा खुलाही था. दरवाजा धकेलकर वह अंदर जाने लगा. अंदर बेडपर अँजेनी लेटी हूई थी. वह सोचमें डूबी खिडकीसे बाहर जैसे शुन्य भावसे देख रही थी. जॉन की आहट आतेही उसने दरवाजे की तरफ देखा. जॉनको देखतेही वह मुस्कुरा दी. लेकिन उसके चेहरेसे दुख का साया अभीभी हटा नही दिख रहा था. शायद अभीभी वह गहरे सदमेसे उभरी नही थी. वह उसके पास जाकर खडा हूवा. उसने उसे बगलमे रखे स्टूलपर बैठने का इशारा किया. स्टूलपर बैठनेके बाद फुलोंका गुलदस्ता उसके बाजूमे रखते हूवे जॉनने पुछा – ” कैसी हो?”

वह फिरसे उसकी तरफ देखकर मुस्कुराई. ऐसे लग रहा था जैसे मुस्कुरानेके लिए उसे बडा कष्ट हो रहा हो.

” मुसिबतोंका पहाड जिसपर गिर पडता है वही उसकी मार समझ सकता है… आप किस पिडादायक मनस्थीतीसे गुजर रही होगी मै समझ सकता हू…” जॉन बोल रहा था.

अँजेनीके आँखोसे आसु बहने लगे. जॉन बोलते बोलते रुक गया. उसने उसे धिरज देता हूवा अपना हाथ उसके कंधेपर रख दिया. अब तो उसने जो आँसूओंका बांध रोकने की कोशीश की थी वह टूट गया और वह जॉनसे लिपटकर फुट फुटकर रोने लगी. जॉन उसे सहलाते हूए ढाढस बंधाने का प्रयास कर रहा था. उसे कैसे समझाया जाए कुछ समझ नही आ रहा था.

अब वह थोडी नॉर्मल हो गई थी. जॉनने अब जान लिया की अँजेनीको खुनके बारेमें पुछनेका यही सही वक्त है.

” किसने खुन किया होगा? … आपको कोई संदेह? … या अंदाजा? ‘” जॉनने धीरेसे पुछा.

अँजेनीने इन्कारमें अपना सर हिलाया और फिर खिडकीके बाहर देखते हूए फिरसे सोचमें डूब गई.

जॉनने उसकी जेबसे एक फोटो निकाला.

” यह देखो… यहाँ दिवारपर … खुनसे गोल निकाला गया है … यह क्या हो सकता है? …कुछ अंदाजा? … या फिर किसने निकाला होगा… इसके बारे मे कुछ बता सकती हो?” जॉनने पुछा.

अँजेनीने फोटो गौरसे देखा. दिवारपर लिखे हूए गोल के निचे बेडपर पडे हूए उसके पतीके मृत शरीरको देखकर फिरसे उसका गला भर आया… जॉनने फोटो फिरसे जेबमें रखा.

‘” नही मतलब इस गोलका कुछ अर्थ समझमें आता है क्या? … वह एबीसीडीका ‘ओ’ भी हो सकता है … या फिर शून्यभी हो सकता है …” जॉनने कहा.

” मै समझ सकता हूँ की यह आपके पती के खुन के बारे में पुछने का उचीत वक्त नही … लेकिन जानकारी जितनी जादा और जितने जल्दी मिल सकती है उतने जल्दी हम खुनीको पकड सकते है…” जॉन ने कहा.

अँजेनी अब अपने इरादे पक्के कर संभलकर सिधे बैठ गई ” पुछो आपको जो पुछना है ..”‘

जॉननेभी जान लिया की पुरी जानकारी निकालनेका यही उचीत समय है.

“‘ सानी क्या करता था? … मतलब बाय प्रोफेशन” जॉनने पहला सवाल पुछा.

” वह इंपोर्ट एक्सपोर्टका बिझीनेस करता था … मेनली गारमेंटस् … इंडीयन कॉन्टीनेंटमें उसका बिझीनेस फैला हूवा था ” अँजेनी बोल रही थी.

” कोई प्रोफेशनल रायव्हल?” जॉनने पुछा.

” नही… उसका डोमेन एकदम अलग होनेसे उसे कोई प्रोफेशनल रायव्हल्स होनेका सवालही पैदा नही होता. ‘” अँजेनी बोल रही थी.

“‘ अच्छा आप क्या करती है ?” जॉनने अगला सवाल पुछा.

” मै एक फॅशन डिझायनर हूँ” अँजेनीने कहा.

बहुत देरतक उनके सवाल जवाब चलते रहे. आखीर स्टूलसे उठते हूए जॉनने कहा ” ठीक है … अबके लिए इतनी जानकारी काफी है… अब आप थकी भी होगी… मतलब दिमागसे… आराम करो … फिरसे कुछ लगा तो हम आपसे पुछेंगेही …”

जॉन जाने लगा.

अँजेनी उसे दरवाजे तक छोडनेके लिए उठने लगी तो जॉन ने कहा ” आप पडे रहिए .. आपको आराम की सख्त जरुरत है'”

फिरभी वह उसे दरवाजेतक छोडनेके लिए उठ गई. जॉन दरवाजे तक पहूचता नही की उसे पिछेसे उसकी आवाज आई –

” थँक यू …”

जॉन एकदमसे रुक गया और उसने मुडकर पुछा ” किसलिए?”

” मेरी जान बचानेके लिए … डॉक्टरने मुझे सब बताया है… अगर आप समयपर मुझे कृत्रिम सांसे नही देते तो शायद मै अब जिवीत नही होती …” अँजेनी उसकी तरफ कृतज्ञता भरी निगाहोंसे देखते हूए बोली.

” उसमें क्या है… मैने मेरा कर्तव्य किया बस ‘” जॉनने कहा.

” वह आपका बडप्पन है” अँजेनी दरवाजेतक पहूचते हूए बोली.

जॉन अब वहा से निकल गया था. लंबे लंबे कदम डालते हूवे जल्दी जल्दी वह चलने लगा. शायद अपनी भावनाएँ छिपाने के लिए. थोडे ही समयमे वह कॉरीडोर के सिरेतक जा पहूंचा. दाई तरफ मुडनेसे पहले उसने एक बार पिछे मुडकर देखा. वह अभीभी उसके तरफही देख रही थी.

जॉन पॅसेजमेंसे लिफ्टकी तरफ जा रहा था. अँजेनीको छोडकर जाते हूए उसे अपना दिल भारी भारी लग रहा था. अचानक जॉनका ध्यान लिफ्टकी तरफ गया. लिफ्ट अभीभी वहासे दूरही थी. लिफ्टके उस तरफवाले हिस्सेसे एक युवक आया. उसने काला टी शर्ट पहना हूवा था और उस टी शर्टपर ‘झीरो’ निकाला हुवा था, जैसा उसने पहलेभी सानीके खुनके दिन देखा था. जॉन एकदम हरकतमें आया और लिफ्टकी तरफ दौडने लगा.

उसने आवाज दिया, “ए… हॅलो ”

लेकिन उसका आवाज पहूचनेसे पहलेही वह युवक लिफ्टमें घुस गया था. जॉन औरभी जोरसे दौडने लगा. लिफ्ट बंद होगई थी… लेकिन अभीभी निचे या उपर नही गई थी. जॉन दौडते हूए लिफ्टके पास गया. उसने लिफ्टका बटन दबाया. लेकिन व्यर्थ. लिफ्ट निचे जाने लगी थी. जॉनको क्या करे कुछ सुझ नही रहा था. वह युवक उस दिन देखे युवकके हूलिए जैसा नही था. लेकिन पता नही क्यों जॉनको लग रहा था की जरुर सानीके खुनका रहस्य उस ‘झीरो’ में छिपा हूवा है. जॉन बगलकी सिढीयोंसे तेजीसे निचे उतरने लगा. बिच बिचेमें उसका लिफ्टकी तरफभी ध्यान था. लेकिन मानो लिफ्ट बिचमें कही भी रुकनेके लिए तैयार नही थी. शायद वह एकदम ग्राऊंड फ्लोअरकोही रुकनेवाली थी. जब जॉनने देखा की लिफ्ट उससे दो माले आगे निकल गई तो वह और जोरसे सिढीयाँ उतरने लगा.

आखिर सासें फुली हूई हालतमे वह ग्राऊंड फ्लोअरको पहूँच गया. उसने लिफ्टकी तरफ देखा. लिफ्टमेंके लोग कबके बाहर आ चूके थे और लिफ्टका डिस्प्ले लिफ्ट उपरकी दिशामें जा रही है ऐसा दर्शा रहा था. जॉन दौडते हूए हॉस्पीटलके बाहर लपका. उसने सब तरफ अपनी पैनी नजरें दौडाई. पार्कीगमेभी जाकर देखा. हॉस्पीटलके बाहर रोडपर जाकर देखा. लेकिन वह काले रंगके टी शर्टवाला युवक कही भी दिखाई नही दे रहा था.

…..क्रमश::………..

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Jokes (मजाक) !!

kmsraj51 की कलम से …..

इंप्रेशन ….

एक मॉडर्न लड़की और सिविल इंजीनियर
लड़का डेट
पर
गए…
.

लड़के ने कैंडिल लाइट डिनर की तैयारी कर
रखी थी, और
सोच रखा था कि अगर सबकुछ ठीक
रहा तो उसे
प्रपोज
कर देगा…
डेट पर मिलने के थोड़ी देर बाद…
.
लड़की ने शर्माते हुए पूछा- ये प्यार
क्या होता है….???
.
लड़के ने सोचा इंप्रेशन जमाने
कायही मौका है…
.
उसने जवाब दिया- प्यार
का रिश्तादो इंसानों में
वही होता है जो सीमेंट और रेत के बीच
पानी का होता है, फर्ज करो…
.
लड़का = सीमेंट
लड़की = रेत
प्यार = पानी
.
अब अगर सीमेंट और रेत को आपस में
मिला दिया जाए
तो वो स्ट्रांग नहीं होंगे लेकिनअगर इसमें
पानी मिक्स
कर दिया जाए तो कोई इनको जुदा नहीं कर
सकता…
लड़के का यह जवाब सुन लड़की हंसते हुए
बोली…
“कमीने तू शक्ल से ही मजदूर लगता है…

“मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही, गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं”

संता और उसकी बिवी आफ्रीकाके जंगलमें सफारी पर थे. तभी अचानक एक शेरने उनपर हमला किया.
संता की बिवी चिल्लाई – शुट हिम … शुट हिम…
संता ने कहा – हां करता हु भाई … जरा कॅमेरेके सेल तो बदलने दो ..

आया था मेरी कब्र पे दिया जलाने के लिए ………….
.
.
.
गौर फरमाइए ……….
.
.
.
आया था मेरी कब्र पे दिया जलाने के लिए ………….
..
.
.
.
.
रखा हुआ फुल भी ले गया साला ,
अपनी गर्ल फ्रेंड को मनाने के लिए

Tution sir – अबे गधे homework क्यों नहीं किया ?
student – तमीज से बात कर साले … customer से कोई ऐसे बात करता है …

सफ़र जैसा मजा कही नहीं , लेकिन घाटी डरा देती है.
भाई जैसा प्यार कही नहीं, लेकिन भाभी लड़ा देती है.

भुक्कड़ के घर में …..

पहला – यार मै बड़ी मुसीबत में फँस गया हूँ ..
दूसरा – क्यों क्या हुवा ?
पहला – अरे मैंने मेरे घर में एक चूहा देखा है !
दूसरा – ओह , ऐसी बात है तो … एक काम करो …चूहे पकड़ने वाली मशीन का इस्तामाल करो …
पहला – चूहा पकड़ने वाली मशीन… मेरे पास नहीं है …
दूसरा – तो एक खरीद लो …
पहला – मेरे पास अभी उतने पैसे भी नहीं है …
दूसरा – अगर तुम्हे चैहिये तो मै मेरे पास वाली मशीन दे सकता हूँ ..
पहला – हाँ ये ठीक .रहेगा ..
दूसरा – बस तुम्हे ये करना है की चूहा मशीन के पास आये इसके लिए थोडा चीज इस्तमाल करना पड़ेगा …
पहला – मेरे पास तो चीज भी नहीं है।..
दूसरा – ओके … फिर एक काम कर थोड़ो ब्रेड का टुकडा लो और उसमे थोडा तेल लगाकर उसे चूहा पकड़ने के मशीन में लगा दो …
पहला – मेरे पास तेल भी नहीं है …
दूसरा – तेल नहीं है … तो खा ली ब्रेड का टुकड़ा रखा तो भी चलेगा …
पहला – मेरे पास ब्रेड भी नहीं है यार …
दूसरा – चीज नहीं है … तेल नहीं है … और ब्रेड भी नहीं है … तो साला वो चूहे का पिल्ला तेरे जैसे भुक्कड़ के घर में क्या कर रहा है …

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