kmsraj51 की कलम से …..
‘शून्य’
प्रिय मित्रों,,
हिंदी उपन्यास ‘शून्य’ जारी ….. है …..
भाग-6 => ब्लैंक मेल (शून्य-उपन्यास)-
चांदके धुंधले रोशनीमे टेरेसपर कमांड1 और कमांड2 बैठे हूए थे. उनके सामने लॅपटॉप रखा हूवा था. बिच बिचमें वे मजेसे व्हिस्कीके घूंट ले रहे थे. कमांड1 कॉम्प्यूटरको तेजीसे कमांड दे रहा था. एक पलमें न जाने कितने की बोर्डके बटन वह दबा रहा था.
‘” यह तुम क्या कर रहे हो?” कमांड2ने उत्सुकतावश पुछा.
” अरे यह पोलीस ऑफीसर जॉन अपने केसपर काम कर रहा है ” कमांड1 ने अपना की बोर्डके बटन दबाना जारी रखते हूए कहा.
“‘ तो फिर?” कमांड2 ने पुछा.
” उसके दिमागमें क्या पक रहा है यह हमें जानना नही चाहिए?” कमांड1 ने कहा.
‘” उसके दिमागमें क्या चल रहा है यह हमें कैसे पता चलेगा?” कमांड2ने आश्चर्यसे पुछा.
” इधर देख वह अब इंटरनेटपर ऑनलाईन है .. अब यह मेल मै उसको भेज रहा हूँ …. यह मेल उसका पासवर्ड ब्रेक करेगी” कमांड1 बडे आत्मविश्वाससे कह रहा था.
” पासवर्ड? लेकिन कैसे ?” कमांड2ने आश्चर्यसे पुछा.
” बताता हू… बताता हू” कमांड1 ने मेलका ‘सेंड’ बटन दबाया और आगे कहा,
” देखो, यह मेल जब वह खोलेगा तब उसके कॉम्प्यूटरपर ‘सेशन एक्सपायर्ड’ ऐसा मेसेज आयेगा. फिर वह फिरसे जब अपना पासवर्ड एंटर करेगा तब वह अपने प्रोग्रॅम मे एंटर किया हूवा होगा. इस तरह यह अपना प्रोग्रॅम उसका पासवर्ड अपने पास बडी सुरक्षा के साथ पहूँचाएगा”
कमांड1के चेहरेपर एक अजीब मुस्कुराहट की छटा दिखाई देने लगी.
” क्या दिमाग पाया बॉस…” कमांड2 कॉम्प्यूटरकी तरफ देखते हूए अपना व्हिस्कीका ग्लास बगल में रखते हूए बोला.
‘” धीरे धीरे तू भी यह सब सिख जाएगा” कमांड1ने उसके पिठपर थपथपाते हूए कहा.
” तेरे जैसा गुरू मिलनेके बाद मुझे चिंता करने की क्या जरुरत है ?” कमांड1 चढाते हूए कमांड2ने कहा.
कमांड1को जादा से जादा चढाने के चक्करमें कमांड2का बगलमें रखे व्हिस्कीके ग्लासको धक्का लगा और वह ग्लास निचे फर्शपर गिर गया. उसके टूकडे टूकडे होगए. कमांड2 ग्लासके टूकडे उठाने लगा.
कमांड1ने कॉम्प्यूटरपर काम करते हूए कांचके टूकडे उठा रहे कमांड2की तरफ देखा और फिरसे अपने काममें जूट गया.
” इऽऽ” कमांड2 चिल्लाया.
” क्या हूवा ?” कमांड1ने पुछा.
” उंगली कट गया “” कमांड2की कांच के टूकडे उठाते हूए उंगली कट गई थी. कमांड2 अपना दर्द छिपाने का प्रयास करने लगा.
” बी ब्रेव्ह … डोन्ट अॅक्ट लाइक अ किड ” कमांड1 ने कहा और मॉनिटरकी तरफ देखते हूए फिरसे अपने काममें जूट गया.
कमांड2ने वैसेही खुनसे सने हाथसे कांचके बाकी टूकडे उठाए, वहाँ एक पॉलीथीन बॅग पडी हूई थी उसमें डाले और उस पॉलीथीनकी बॅगको गांठ मारकर वह बॅग मकान के पिछले हिस्सेमें झाडीमें फेंक दी.
उतनेमें कमांड1को एक मेल आई हूई दिखाई दी.
” उसने अपनी मेल खोली है शायद… इसको तो अपना पासवर्ड ब्रेक करवाके लेनेकी बडी जल्दी दिख रही है ‘” बोलते हूए कमांड1ने मेल खोली. मेल ब्लँक थी. मेलमें पासवर्ड नही आया था. अचानक कमांड1ने विद्युत गतीसे कॉम्प्यूटर बंद किया.
” क्या हूवा?” कमांड2 ने पुछा.
‘” साला हम जितना सोच रहे थे उतना येडा नही है…. उसको शायद संदेह हूवा है'” कमांड1 ने कहा.
” मेल ब्लँक है … इसका मतलब उसका पासवर्डभी ब्लँक होगा'” कमाड2ने अपना अनुमान लगाया.
“मि. कमांड2 … इमेल पासवर्ड कभीभी ब्लँक नही होता'” कमांड1 अपने खास अंदाजमें कहा.
“” फिर …तूमने इतनी तेजीसे कॉम्प्यूटर क्यों बंद किया?” कमांड2 ने उत्सुकतावश पुछा.
“‘अरे, उसे अगर सहीमें संदेह हूवा होगा तो वह हमें ट्रेस करनेकी कोशीश जरुर करेगा'” कमांड2ने कहा.
“अच्छा अच्छा” कमांड2 उसे जैसे समझ गया ऐसा जताते हूए बोला.
कमांड1 व्हिस्कीका ग्लास लेकर अपने जगहसे उठ गया.
” हमें यहाँ ऐसे खुलेमें नही बैठना चाहिए ” कमांड2ने अपनी चिंता जाहिर की.
“‘ ऐसा क्यों?” कमांड1 ने व्हिस्कीका ग्लास हाथमें लेकर टहलते हूए कहा.
” नही मैने सुना है की अमेरिकन सॅटेलाईटके कॅमेरे धरतीपर 10 बाय 10 इंच तक स्पष्ट रुपसे देख सकते है … उसमें हम लोगभी दिख सकते है…” कमांड2ने स्पष्ट किया.
कमांड1 टहलते हूए एकदम ठहाका लगाकर हसने लगा.
” क्या हूवा ‘” कमांड2 उसके हसनेकी वजह समझ नही पा रहा था.
‘” अरे, यह अमेरिकन लोग प्रोपॅगँन्डा करनेमें बहुत एक्सपर्ट है .. अगर वे 10 बाय 10 इंच तक स्पष्टतासे देख सकते है तो फिर वे उस ओसामा बीन लादेनको, जो की कितने दिनसे उनके नाकमें दम कर रहा है, उसे क्यों पकड नही पा रहे है? … हां यह बात सही है की कुछ चिजोंमे अमेरिकन टेक्नॉलॉजीका कोई जवाब नही… लेकिन एक सच के साथ 10 झुठ जोडनेकी अमेरिकाकी पुरानी स्टाईल है… एक सच के साथ 10 झुठ जोडनेको क्या कहते है पता है? ‘”
” क्या कहते है?” कमांड2ने उत्सुकतासे पुछा.
” शुगरकोटींग … तुझे पता है? … दुसरे र्वल्ड वार के वक्त हिटलरकी फौज मरते दमतक क्यों लढी?”‘ कमांड1 ने पुछा.
कमांड2 कमांड1की तरफ असमंजस सा देखने लगा.
हिटलरने प्रोपॅगॅन्डा किया था की उनके फौजमें जल्दीही व्ही2 मिसाईल आनेवाला है… और अगर वह मिसाईल उनके फौजमें आता तो वे पुरी दुनियापर राज कर सकते थे'” कमांड1 ने कहा.
” फिर क्या हूवा आगया क्या वह मिसाईल उनके फौजमें ?” कमांड2 ने पुछा.
” जब व्ही2 नामकी कोई चिज होगी तो आएगी ना? …” कमांड1 ने कहा.
अब कमांड1 कॉम्प्यूटर फिरसे शुरु करने लगा.
” अब फिरसे क्यो शुरु कर रहे हो?… वह फिरसे हमें ट्रेस करेगा ना'” कमांड2 ने अपनी चिंता व्यक्त की.
” नही … अब शुरु करनेके बाद अपनेको अलग आय. पी. अॅड्रेस मिलेगा … जिसकी वजहसे वह हमें ट्रेस नही कर पाएगा ‘” कमांड1 कॉम्प्यूटर शुरु होनेकी राह देखते हूए बोला.
कॉम्प्यूटर शुरू हूवा और मॉनिटरके दाएँ कॉर्नरमें मेल आनेका मेसेजभी आया.
“‘बॉसकी मेल है ‘” मेल खोलते हूए कमांड1ने कहा.
उसने मेल खोली और पढने लगा.
“कमांड2…” कमांड1 ने आवाज दिया.
“‘ हां”
” हमें अगले मिशनके बारेंमे आदेश मिल चूके है” कमांड1 मेल पढते हूए बोला.
कमांड2 कमांड1 के कंधेपर झूककर मेलमें क्या लिखा है यह पढने की कोशीश करने लगा.
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भाग-7 => दिल है कि … (शून्य-उपन्यास)-
जॉन कारमें जा रहा था. हॉस्पिटलसे डॉक्टरने उसे फोन कर बताया था की अँजेनीको डिस्चार्ज दिया गया है. डॉक्टरके अनुसार मेडीकली वह पुरी तरहसे संवर गई थी. सिर्फ मेंटली और इमोशनली संवरनेमें उसे थोडा वक्त लग सकता था. सानीके पोस्टमार्टमके रिपोर्टभी आए थे. जॉनको उस सिलसिलेमें अँजेनीसे थोडी बातचीत करनी थी. बातचीत वह फोनपरभी कर सकता था. लेकिन दिलको कितनाभी समझाने की कोशीश करने पर भी दिल है की मानता नही था. उसे मिलनेकी उसकी इच्छा जितना रोकने की कोशीश करो उतनी तिव्र हो चली थी. उसने उसे मुंहसे कृत्रिम सांसे दी तब उसे उसका कुछ विषेश नही लगा था. लेकिन अब उसे उसके होठोंका वह मुलायम स्पर्श रह रहकर याद आ रहा था. उसने कर्र ऽऽ.. गाडीका. ब्रेक लगाया. गाडीको मोड लिया और निकल गया – अँजेनीके घरकी तरफ.
जॉनकी कार अँजेनीके अपार्टमेंटके निचे आकर रुकी. उसने गाडी पार्किंगकी तरफ मोड ली. पार्किंगमे कुछ समय वह वैसाही गाडीमें बैठा रहा. आखीर अपने मन से चल रहे कश्मकशसे उभरकर वह गाडीसे उतर गया. लंबे लंबे कदमसे वह लिफ्टकी तरफ गया. लिफ्ट खुलीही थी, उसमें वह घुस गया. लिफ्ट बंद होकर उपरकी तरफ दौडने लगी.
लिफ्ट रुक गई. लिफ्टमें डिस्प्लेपर 10 आंकडा आया था. लिफ्टका दरवाजा खुला और जॉन बाहर निकल गया. अँजेनीका फ्लॅटका दरवाजा अंदर से बंद था. वह दरवाजेके पास गया. फिर वहा थोडी देर अपने दरवाजा खटखटाऊ की नही यह सोचकर चहलकदमी करने लगा. वह डोअर दबानेही वाला था की अचानक सामनेका दरवाजा खुला. दरवाजेमें अँजेनी खडी थी. जॉन का चेहरा ऐसा हुवा मानो उसे चोरी करते हूए पकडा गया हो.
” क्या हूवा? ” अँजेनी हसते हूए बोली.
इतना खिलखिलाकर हसते हूए जॉन उसे पहली बार देख रहा था.
“‘ किधर? कहा? … कुछ नही… मुझे तुम्हारे यहा इस केसके सिलसिलेमें आना था… नही मतलब आया हूँ ” जॉन अपने चेहरेके भाव जितने हो सकते है उतने छिपाते हूए बोला.
” आवो ना फिर… अंदर आवो… ” अँजेनी फिरसे हसते हूए बोली.
अँजेनीने उसे घरके अंदर लेकर दरवाजा बंद किया.
जॉन और अँजेनी ड्रॉईंगरूममें बैठे हूए थे.
” पोस्टमार्टमके रिपोर्टके अनुसार … सानीको पिस्तौल की गोली सिनेमें बाई तरफ एकदम हार्टके बिचोबिच लगी… इसलिये वह गोल जो दिवारपर निकाला था वह उसने निकालनेका कोई सवालही पैदा नही होता” जॉनने अपना तर्क प्रस्तूत किया.
” मतलब वह आकार जरुर खुनीनेही निकाला होगा” अँजेनीने कहा.
थोडा सोचकर वह आगे बोली , ” लेकिन गोल निकालकर उसे क्या जताना होगा? “”
” वही तो… सबसे बडा सवाल अब हमारे सामने है”” जॉनने कहा.
” अगर इस तरह से और कोई खुन इससे पहले हूवा है क्या यह अगर देखा तो?” अँजेनीने अपना विचार व्यक्त किया.
” वह हम सब पहलेही देख चूके है… पिछले रेकॉर्डमें इस तरह का एकभी खुन मौजूद नही है”” जॉनने कहा.
इतनेमे जॉनका मोबाईल बजा. उसने बटन दबाकर वह कानको लगाया, “यस …सॅम”
जॉनने उधरसे सॅमको सुना और वह एकदम उठकर खडा होगया, ” क्या?”
अँजेनी क्या हूवा यह समझनेकी कोशीश करती हूई आश्चर्यसे उसके तरफ देखने लगी.
” मुझे जाना पडेगा ” जॉनने कहा और दरवाजेकी तरफ जानेको निकला.
जॉनने मोबाईल बंद कर अपने जेबमें रखा.
जाते जाते अँजेनीको उसने सिर्फ इतनाही कहा , “मै तुझे बादमे मिलता हूँ … मुझे अब जल्दसे जल्द वहाँ पहूँचना पडेगा.
अँजेनी कुछ बोले इसके पहले जॉन जा चूका था.
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भाग-8 => और एक ? … (शून्य-उपन्यास)-
जॉनकी गाडी एक भीड भाड वाले रस्ते से दौडने लगी. बादमें इधर उधर मुडते हूए वह गाडी एक पॉश बस्तीमें एक अपार्टमेंटके पास आकर रुकी. जॉन वहा पहूचनके पहले ही वहां पुलिस की टीम आकर पहूँची थी. इस बार पुलिस के अलावा वहां मिडीयाकी उपस्थीतीभी थी. भीडकी वजहसे रस्ता ब्लॉक होनेको आया था. जैसेही जॉनने गाडी पार्क की और वह गाडीसे बाहर आगया मिडीयावालोने उसे घेर लिया. भलेही वह एक प्राईव्हेट गाडीसे आया था और युनिफॉर्ममें नही था फिरभी पता नही मिडीयावालोंको वह इस केससे सबंधीत होनेकी भनक कैसे लगी थी?
“‘मि. जॉन वुई वुड लाईक टू हिअर यूअर कमेंट ऑन द केस प्लीज ‘” कोई उसके सामने कॅमेरा और माईक्रोफोन लेकर आया.
“‘प्लीज बाजू हटो …. मुझे अंदर जाने दो … पहले मुझे इन्व्हेस्टीगेशन पूरा करने दो … उसके बादही मै अपनी कमेंट दे पाऊंगा “‘ जॉन भीडमेंसे बाहर निकलने की कोशीश करते हूए बोला.
फिरभी वहांसे कोई हटनेके लिए तैयार नही था. बडी मुश्कीलसे उस भिडसे रस्ता निकालते हूए जॉन अपार्टमेंटकी तरफ जाने लगा. दुसरे कुछ पुलिस उसे जानेके लिए जगह बनानेके लिए उसकी मदत करने लगे.
जॉन लिफ्टसे अपार्टमेंटके दसवे मालेपर पहूँच गया. सामनेही एक फ्लॅटके सामने पुलिसकी भीड थी. जॉन फ्लॅटमें घुसतेही उसके सामने सॅम आया.
“सर, इधर ” सॅम जॉनको बेडरूमकी तरफ ले गया.
बेडरूममे खुनसे लथपथ एक स्त्री का शव पडा हूवा था और सामने दिवारपर फिरसे खुनसे एक बडासा गोल निकाला हुवा था. इस बार उस गोलके अंदर खुनसे 0+6=6 और 0x6=0 ऐसा लिखा हूवा था. जॉन सामने जाकर दिवारकी तरफ गौरसे देखने लगा.
” कौन औरत है यह?”” जॉनने सॅमको पुछा.
” हुयाना फिलीकिन्स … कोई टी व्ही आर्टीस्ट है ‘” सॅमने कहा.
” यहाँ क्या अकेली रह रही थी?” जॉनने पुछा.
‘” हाँ सर, … पडोसीयोंका तो यही कहना है … उनके अनुसार बिच बिचमें कोई आता था उसे मिलने… लेकिन हरबार वह कोई अलग ही शख्स रहता था. ‘” सॅमने उसे मिले जानकारी का सारांश बयान किया.
” खुनीने दिवारपर 0+6=6 और 0x6=0 ऐसा लिखा है … इससे कमसे कम इतना तो पता चलता है की वह गोल यानी की शुन्यही है .. लेकिन 0+6=6 और 0x6=0 इसका क्या मतलब? … कही वह हमे गुमराह करनेकी कोशीश तो नही कर रहा है?” जॉनने अपना तर्क प्रस्तुत किया.
‘” अॅडीटीव्ह आयडेंटीटी प्रॉपर्टी और झीरो मल्टीप्लीकेशन प्रॉपर्टी … गणितमें पढाया हूवा थोडा थोडा याद आ रहा है……” सॅम ने कहा.
“‘ वह सब ठीक है … लेकिन उस खुनीको क्या कहना है यह तो पता चले?” जॉनने जैसे खुदसेही पुछ लिया.
दोनो सोचने लगे. उस सवाल का जवाब दोनोंके पास नही था.
‘”बाकीके कमरे देखे क्या?'” जॉनने पुछा.
“‘ हां, तलाशी जारी है”” सॅम ने कहा.
फोटोग्राफर फोटो ले रहे थे. फिंगर प्रिन्ट एक्सपर्ट कुछ हाथके, उंगलीयोंके निशान मिलते है क्या यह ढूढ रहे थे.
” मोटीव्ह के बारेमें कुछ ?'” जॉनने बेडरूमसे बाहर आते हूए सॅमसे पुछा.
‘” नही सर … लेकिन इतना जरुर है की पहला खुन जिसने किया था उसनेही यह खुनभी किया होगा.” सॅम अपना अंदाजा बयान कर रहा था.
‘” हां … बराबर है … यह कोई सिरियल किलरकाही मसला लग रहा है “” जॉनने सॅमका समर्थन करते हूए कहा.
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भाग-9-अ => पहली गलती ? … (शून्य-उपन्यास)-
कमांड1 और कमांड2 कुर्सीपर सुस्ता रहे थे. बॉसने उनको जो काम सौंपा था वह उन्होने अच्छी तरह से निभाया था. इसलिए वे खुश लग रहे थे. उनकी पुरी रात दौडधूपमें गई थी. बैठे बैठे कमांड1को निंदभी आ रही थी. उसके सामने रातका एक एक वाक्या किसी चलचित्रकी तरह आ रहा था…
… रातके 3-3.15 बजे होगे. बाहर कडाके की ठंड थी. इधर उधर देखते हूए बडी सावधानीसे कमांड1 और कमांड2 एक अपार्टमेंटमें घुस गए. आपर्टमेंटमें सब तरफ एक तरह की डरावना सन्नाटा फैला हूवा था. वहा जो भी सेक्यूरीटी तैनात थी, उसका उन्होने पहलेसेही बंदोबस्त करके रखा था. तोभी वे बडी सावधानी बरतते हूए, अपने कदमोंका आवाज ना हो इसका खयाल रखते हूए लिफ्टके पास गए. चारो तरफ अपनी पैनी नजर दौडाते हूए कमांड1ने धीरेसे लिफ्टका बटन दबाया. लिफ्ट खुलतेही आजूबाजू देखते हूए कमांड1 और कमांड2 दोनो लिफ्टमें घुस गए. दोनोंने हाथमें सफेद सॉक्स पहने हूए थे. अपना चेहरा किसीकोभी दिखना नही चाहिए इसलिए उन्होने अपने पहने हूए ओव्हरकोटकी कॉलर खडी की थी. लिफ्टका दरवाजा बंद हूवा कमांड1ने सामने जाकर लिफ्टका बटन दबाया, जिसपर लिखा हूवा था -10.
लिफ्ट दसवे मालेपर आकर रुकी. लिफ्ट का दरवाजा अपने आप खुला. कमांड1 और कमांड2 फिरसे इधर उधर देखते हूए धीरेसे बाहर आ गए. कोई देख नही रहा है इसकी तसल्ली कर वे पॅसेजमें चलने लगे. उनके जूते के तलवेमे मुलायम रबर लगाया होता, क्योंकी वे भलेही तेजीसे चल रहे थे लेकीन उनके जुतोंका बिलकुल आवाज नही आ रहा था. वे 103 नंबरके फ्लॅटके सामने आकर रुके. फिरसे दोनोंने अपनी नजर आजूबाजू दौडाई, कोई नही था. अपने ओव्हरकोटके जेबसे कुछ निकालकर कमांड1ने सामने दरवाजे के की होलमे डालकर घुमाया. बस दो तिन झटके देकर घुमाया और दरवाजेके हॅडलको हलकासा झटका देकर निचे दबाया, दरवाजा खुल गया. दोनोंके चेहरे खुशीसे खिल गए. अंदर घना अंधेरा था.
दोनो धीरेसे फ्लॅटके अंदर घुस गए. उन्होने अपने हाथके सॉक्स निकालकर अपने ओव्हरकोटके जेबमें रख दिए. सॉक्सके अंदर उनके हाथमें रबरके हॅन्डग्लोव्हज पहने हूए थे. उन्होने धीरेसे आवाज ना हो इसकी खबरदारी लेते हूए दरवाजा अंदरसे बंद कर लिया.
हॉलमे अंधेरेमें कमांड1 और कमांड2 जैसे छटपटा रहे थे. अंधेरेमें उन्होने बेडरूमकी तरफ जानेवाले रस्तेका अंदाजा लगाया और वे उस दिशामें चलने लगे. अचानक कमांड1 बिचमें रखे हूए टी पॉयसे टकराया गिरते गिरते उसने बाजूमें रखे एक चिजको पकड लिया और खुदको गिरनेसे बचाया. कमांड2नेभी उसे गिरनेसे बचानेके लिए सहारा दिया. वो गिरनेसे तो बच गया लेकिन दुर्भाग्यसे बगलमें रखे एक गोल कांच के पेपर वेटको उसका धक्का लगा, जिसकी वजहसे वह पेपरवेट लुढकने लगा. कमांड1ने पेपरवेटको बडी चपलतासे पकड लिया और फिरसे उसकी पहली जगहपर रख दिया.
” अरे यार लायटर लगा … साला यहां कुछभी नही दिख रहा है….” कमांड1 दबे स्वरमें लेकिन चिढकर बोला.
कमांड2ने अपने जेबसे लायटर निकालकर जलाया. अब धुंदले प्रकाशमें थोडाबहुत दिखने लगा था. उनके सामनेही एक खुला हुवा दरवाजा था.
बेडरूम इधरही होना चाहिए…..
कमांड1ने सोचा. कमांड1 धीरे धीरे उस दरवाजेकी तरफ बढने लगा. उसके पिछे पिछे कमांड2 चल रहा था. दरवाजेसे अंदर जानेके बाद अंदर उनको बेडपर लिटी हुई कोई आकृती दिखाई दी. कमांड1ने मुंहपर उंगली रख कमांड2को बिलकुल आवाज ना करने की हिदायत दी. कमांड1ने अंधेरेमें टटोलकर बेडरूमका बल्ब जलाया. जो भी कोई लेटा हुवा था शायद घोडे बेचकर सो रहा था, क्योंकी उसके शरीरमें कुछ भी हरकत नही थी. कौन होगा यह जाननेके लिए कोई रास्ता नही था क्योंकी उसने अपने सरको चादरसे ढक लिया था. कमांड1 ने अपने ओवरकोटकी जेबसे बंदूक निकाली. सोये हूए आकृतीपर उसने वह बंदूक तानकर उसके चेहरेपरसे चादर हटाई. वह एक सुंदर स्त्री थी. वह शायद वही थी जो उनको चाहिए थी क्योंकी एक पलकाभी अवकाश ना लेते हूए कमांड1 ने सायलेंसर लगाई बंदुकसे उसपर गोलीयोंकी बौछार कर दी. उसके शरीर में हरकत हूई, लेकीन वह सिर्फ मरनेके पहलेकी छटपटाहट थी. फिरसे उसका शरीर ढीला होकर एक तरफ लूढक गया. निंदसे जगनेकीभी मोहलत कमांड1ने उसको नही दी थी. वह खुनसे लथपथ निश्चल अवस्थामें मरी हूई पडी थी.
” ए, तेरे पासका खंजर देना जरा” कमांड1 कमांड2को फरमान दिया.
अबतक का उसका दबा स्वर एकदम कडा हो गया था. कमांड2 ने उसके ओवरकोटके जेबसे चाकू निकालकर कमांड1के हाथमें दिया. कमांड1 वह खंजर मुर्देके खुनसे भिगोकर दिवारपर लिखने लगा.
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भाग-9-ब => पहली गलती ? … (शून्य-उपन्यास)-
लिखना होनेके बाद कमांड1 वहा बगलमेंही रखे हूए फोनके पास गया. ओवरकोटके दाएँ जेबसे उसने एक उपकरण निकाला, फोन नंबर डायल किया और उस उपकरणसे वह फोनके माऊथपीसमें बोलने लगा, ” … और एक शख्स …हयूयाना फिलीकींन्स …शून्यमे समा गया है …”
उधरसे कुछ आवाज आनेसे पहलेही उसने फोन रख दिया. शायद उसने पुलिस स्टेशनको फोन लगाया था. फोन रखनेके बाद अचानक कमांड1का खयाल उसके हाथ की तरफ गया.
” माय गॉड!” उसके मुंह से आश्चर्ययुक्त डरसे निकल गया.
” क्या हूवा ?” कमांड2 कमांड1के हाथकी तरफ देखकर बोला.
क्या गडबड हूई यह अब कमांड2केभी खयालमें आया था. कमांड1के दाए हाथका रबरसे बना हूवा हॅन्डग्लोव्ह फट गया था. खुनके पहले जब वह हॉलमे किसी चिजसे टकराया था तब शायद वह कहीं अटकर फट गया होगा.
“” मेरे हाथके और उंगलियोंके निशान अब सब तरफ लगे होगे… हमें अब यहांसे जानेसे पहले सब निशान मिटाना जरुरी है…” कमांड1 अपने जेबसे रुमाल निकालते हूए बोला.
” जादा नही होंगे … हम पुलिस आनेसे पहले झटसे साफ कर सकते है ‘” कमांड2भी अपने जेबसे रुमाल निकालते हूए बोला.
दोनो रुमालसे कमरेंमे सब जगह, लाईटका स्वीच, बेडका किनारा , बगलमें रखा टेबल सब जल्दी जल्दी साफ करने लगे.
बेडरूममें कहीभी उसके हाथके निशान नही बचे होगे इसकी तसल्ली करके वे हॉलमे चले गए. वहा उन्होने टी पॉय, दरवाजेका हॅन्डल, निचेका फर्श , जहां जहां हाथ लगनेकी गुंजाईश थी वे सब कपडेसे साफ किया. अचानक उन्हे पुलिसकी गाडीका सायरन सुनाई देने लगा. दोनोने तेजीसे एकबार बेडरुममें जाकर इधर उधर नजर दौडाकर कुछ बचातो नही इसकी तसल्ली की. जैसे पुलिस की गाडीका आवाज नजदिक आने लगा वे दौडतेही सामने दरवाजेके पास गए. सावधानीसे, धीरेसे दरवाजा खोलकर वे बाहरकी गतिविधीयोंका अंदाजा लेते हूए वहासे रफु चक्कर हो गए.
…. अचानक कमांड1 अपनी विचारोंकी दुनियासे जागते हूए कुर्सीसे खडा हो गया.
” क्या हूवा ?” कमांड2 ने पुछा.
” गफल्लत हो गई साली … एक बहुत बडी गलती हो गई” कमांड1ने कहा.
कमांड1का नशा पुरी तरह उतरा हूवा था.
” गलती … कैसी गलती? कमांड2 ने पुछा.
कमांड1के चेहरेके भाव देखकर कमांड2काभी नशा उतरने लगा था.
” मेरी उंगलीयोंके निशान अभीभी वहां बाकी रह गए है ” कमांड1ने कहा.
” हमनेतो सब जगहकी निशानिया मिटाई थी” कमांड2ने कहा.
” नही … एक जगह साफ करनेका हम भूल गए” कमांड1ने कहा.
” कहां ?” कमांड2ने पुछा.
अबतक कमांड2भी उठकर खडा हूवा था.
“” तुझे याद होगा की … जब मै हॉलमें किसी चीजसे टकराकर गिरनेवाला था … तब वहां टी पॉयपर रखे एक कांचके पेपरवेटको मेरा धक्का लगा था … और वह लुढकते हूए गिरने लगा था… .” कमांड1 बोल रहा था. .
कमांड2 कमांड1की तरफ चिंता भरी नजरोंसे देख रहा था.
” आवाज ना हो इसलिए मैने वह पेपरवेट उठाकर फिरसे उसकी पहली जगह पर रखा था…'” कमांड1ने कहा.
” माय गॉड … उसपर तेरे उंगलीके निशान मिटाने तो रह ही गए ”
कमांड1 गहन सोच मे डूब गया.
” अब क्या करना है ?” कमांड2 ने पुछा.
कमांड1 कुछ बोलनेके मनस्थीतीमें नही था. वह खिडकीके पास जाकर सोचमें डूबा खिडकीके बाहर देखने लगा. कमांड2को क्या करें और क्या बोले कुछ समझ नही रहा था. वह सिर्फ कमांड1की गतिविधीयाँ निहारने लगा. कमांड1 फिरसे खिडकीके पाससे वे दोनो जहां बैठे हूए थे वहां वापस आगया. उसने सामने रखा हूवा व्हिस्कीका ग्लास फिरसे भरा और एकही घूंटमे पुरा ग्लास खाली कर दिया. फिरसे कमांड1 खिडकीके पास गया और अपनी सोचमें डूब गया.
” कुछ ना कुछ तो होगा जो हम कर सकते है” कमांड2 कमांड1को दिलासा देनेकी कोशीश कर रहा था.
कमांड1 कुछ समय के लिए स्तब्ध खडा रहा और अचानक कुछ सुझे जैसा चिल्लाया,
” यस्स ऽऽ”
” क्या कुछ रास्ता मिला ?” कमांड2 खुशीसे पुछा.
लेकिन कमांड1 कहां वह सब कहनेके मनस्थितीमें था? उसने कमांड2को इशारा किया,
” चल जल्दी … चल मेरेसाथ चल”
कमांड1 दरवाजेसे बाहर गया और कमांड2 उसके पिछे पिछे असमंजसा चलने लगा.
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भाग-10 => माय गॉड …(शून्य-उपन्यास)-
हयूयानाके शवके आसपास इनव्हेस्टीगेशन कर रहे टेक्नीकल लोगोंकी भीड हूई थी. उनको दिक्कत ना हो इसलिए जॉन और सॅम बेडरूमसे बाहर चले गए. बाहर हॉलमेंभी जॉनके कुछ और साथी थे. उनमेंसे डॅन बाकी कमरोंमे कुछ मिलता है क्या यह ढूंढ रहा था. इतनेमें डॅनका व्हायब्रेशन मोडमें रखा हूवा मोबाईल व्हायब्रेट हूवा डॅनने फोन निकालकर नंबर देखा. नंबर तो पहचानका नही लग रहा था. डॅनने मोबाईल बंद कर जेबमे रखा और फिर अपने काम मे व्यस्त हूवा.
थोडी देरमें डॅनके फोनपर एस. एम. एस. आया. एस. एम. एस. उसी फोन नंबरसे आया था. उसने मेसेज खोलकर देखा-
‘डॅन फोन उठावो … वह तुम्हारे लिए बहुत फायदेका सौदा रहेगा.’
डॅन सोचमें पड गया. ऐसा किसका एस. एम. एस. हो सकता है? फायदा यानी किस फायदेके बारेंमे वह बात कर रहा होगा? अपने दिमागपर जोर देकर डॅन वह नंबर किसका होगा यह याद करनेकी कोशीश करने लगा. शायद नंबर अपने डायरीमें होगा यह सोचकर उसने डायरी निकालनेके लिए जेबमें हाथ डालाही था की डॅनका मोबाईल फिरसे व्हायब्रेट होगया. वही नंबर था. डॅनने मोबाईलका बटण दबाकर मोबाईल कानको लगाया.
उधरसे आवाज आई-
” मै जानता हू अब तुम कहा हो .. हयूयाना फिलीकींन्सके फ्लॅटमें … जल्दीसे कोई सुनेगा नही , कोई देखेगा नही ऐसे जगहपर जावो… मुझे तुमसे बहुत महत्वपुर्ण बात करनी है ”
जॉन और अँजेनी हॉलमें बैठे थे.
” इस दोनो खुनसे मै कुछ नतिजे तक पहूंचा हूं…” जॉन अँजेनीको बताने लगा.
“‘कौनसे?” अँजेनीने पुछा.
” पहली बात… यह की यह खुनी .. इंटेलेक्च्यूअल्स इस कॅटेगिरीमे आना चाहिए'” जॉनने कहा.
” मतलब?” अँजेनीने पुछा
” मतलब प्रोफेसर , वैज्ञानिक, मॅथेमॅटेशियन … या ऐसाही कोई उसका प्रोफेशन होना चाहिए'” जॉनने अपना तर्क बताया.
” कैसे क्या?”‘ अँजेनीने पुछा.
” उसके शून्यसे रहे लगावसे ऐसा लगता है… लेकिन 0+6=6 और 0x6 =0 ऐसा लिखकर उसे क्या सुझाना होगा?” जॉनने जैसे खुदसेही पुछा.
” ऐसा हो सकता है की उसे सब मिलाकर 6 खुन करने होंगे” अँजेनीने अपना कयास बताया.
“‘ हां हो सकता है” जॉन सोचमें डूबा उसकी तरफ देखते हूए बोला.
जॉनने मौकाए वारदात पर निकाले कुछ फोटो अँजेनीके पास दिए.
” देखो इस फोटोंसे कुछ खास तुम्हारे नजरमें आता है क्या?”” जॉनने कहा.
” एक बात मेरे ध्यानमें आ रही है …” जॉनने कहा.
” कौनसी?” फोटोकी तरफ ध्यानसे देखते हूए अँजेनीने पुछा.
” की दोनोभी खून अपार्टमेंटके दसवे मालेपरही हूए है …” जॉनने कहा.
अँजेनीने फोटो देखते हूए जॉनकी तरफ देखते हूए कहा, ‘” अरे हां… तुम बराबर कहते हो … यह तो मेरे ध्यानमेंही नही आया था””
अँजेनी फिरसे फोटो देखनेमें व्यस्त हूई. जॉन उसके चेहरेके हावभाव निहारने लगा. अचानक अँजेनीके चेहरेपर आश्चर्यके भाव आ गए.
‘” जॉन यह देखो …” अँजेनी दो तस्वीरें जॉनके हाथमें पकडाते हूए बोली.
जॉनने वे दोनो तस्वीरे देखी और अनायास ही उसके मुंह से निकल गया,”
‘” माय गॉड…”
जॉन उठकर खडा हो गया था.
=========== क्रमश::………..
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Krishna Mohan Singh
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