Kmsraj51 की कलम से…..

ϒ दादी माँ के आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे। ϒ
मीठे सेब के अचूक नुस्खे।
मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने के लिए सेब एक अचूक इलाज है। ऐसे रोगी को प्रतिदिन एक सेब खाने को दें। इसके अलावा रोगी को दोपहर तथा रात को भोजन में कच्चे सेबों की सब्जी दें। शाम को एक गिलास सेब का रस दें तथा रात को सोने से पहले एक पका मीठा सेब खिलाएं। इससे एक महीने में ही रोगी की दशा में सुधार आने लगता है।
जिन लोगों की आंखें कमजोर हैं उन्हें एक ताजा सेब की पुल्टिस कुछ दिनों तक आंखों पर बाँधनी चाहिए। यदि भोजन के साथ प्रतिदिन ताजा मक्खन तथा मीठा सेब खाएं तो नेत्र ज्योति तो तेज होती ही है साथ ही चेहरा लाल हो जाता है।
दिल के लिए शहद बहुत शक्ति बढाने वाला है। सोते वक्त शहद व नींबू का रस मिलाकर एक ग्लास पानी पीने से कमजोर हृदय में शक्ति का संचार होता है। पेट के छोटे-मोटे घाव और शुरुआती स्थिति का अल्सर शहद को दूध या चाय के साथ लेने से ठीक हो सकता है। सूखी खाँसी में शहद व नींबू का रस समान मात्रा में सेवन करने पर लाभ होता है।
शहद से मांसपेशियाँ बलवती होती हैं। बढ़े हुए रक्तचाप में शहद का सेवन लहसुन के साथ करना लाभप्रद होता है। अदरक का रस और शहद समान मात्रा में लेकर चाटने से श्वास कष्ट दूर होता है और हिचकियाँ बंद हो जाती हैं। संतरों के छिलकों का चूर्ण बनाकर दो चम्मच शहद उसमें फेंटकर उबटन तैयार कर त्वचा पर मलें। इससे त्वचा निखर जाती है और कांतिवान बनती है।
हैजा रोग होने पर जब शरीर में ऐंठन होने लगती है या सर्दी के कारण शरीर में ऐंठन होती है तो ऐसे में अखरोट के तेल की मालिश करने से रोग में आराम मिलता है। अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया रोग से सूजे हुए स्थान पर लेप करने से रोग में आराम मिलता है।
बड़ की छाल और बबूल के पत्ते और छाल बराबर मात्रा में लेकर एक पानी में भिगो दें। इस पानी से कुल्ला करने पर गले का रोग ठीक होता है। बड़ की जटा का चूर्ण दूध की लस्सी के साथ पीने से नकसीर रोग ठीक होता है। बहेड़े और शक्कर बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से आँखों की रोशनी में बढ़ोतरी होती है।
बिच्छू या बर्रे के दंश स्थान पर पुदीने का अर्क लगाने से यह विष को खींच लेता है और दर्द को भी शांत करता है। दस ग्राम पुदीना व बीस ग्राम गुड़ दो सौ ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है। पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर उसे गर्म-गर्म चाय की तरह पीने से बुखार दूर होकर बुखार के कारण आई कमज़ोरी भी दूर होती है।
तलवे में गर्मी के कारण आग पड़ने पर पुदीने का रस लगाना लाभकारी होता है। हरे पुदीने की 20-25 पत्तियाँ, मिश्री व सौंफ 10-10 ग्राम और कालीमिर्च 2-3 दाने इन सबको पीस लें और सूती, साफ कपड़े में रखकर निचोड़ लें। इस रस की एक चम्मच मात्रा लेकर एक कप कुनकुने पानी में डालकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
छोटी इलायची और पीपरामूल का चूर्ण घी के साथ सेवन करने से ह्रदय रोग में फायदा होता है। एक चम्मच शहद प्रतिदिन खाने से ह्रदय की कमजोरी दूर होती है। अगर का चूर्ण शहद में मिलाकर प्रतिदिन खाने से ह्रदय की शक्ति बढ़ जाती है। गुड़ व घी मिलाकर खाने से दिल मजबूत होता है। अलसी के पत्ते और सूखे धनिए का क्वाथ बनाकर पीने से ह्रदय की दुर्बलता मिट जाती है।
निम्न रक्तचाप हो तो गाजर के रस में शहद मिलाकर पिएँ। उच्च रक्तचाप में सिर्फ गाजर का रस पीने से रक्तचाप संतुलित हो जाता है। सर्पगंधा को कूटकर रख लें। सुबह-शाम 2-2 ग्राम खाने से बढ़ा हुआ रक्तचाप सामान्य हो जाता है। प्रतिदिन लहसुन की कच्ची कली छीलकर खाने से कुछ दिनों में ही रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
पहाड़ी नींबू भूख बढ़ाने वाला होता है। बेस्वाद मुँह होना, अधिक प्यास लगना, उल्टियाँ होना, कमजोर पाचन शक्ति, खाँसी, सांस लेने में परेशानी और पेट के कीड़ों के लिए यह बेहद लाभदायक है। अपच के लिए यह हितकारी है। नींबू के रस में थोड़ी शकर मिलाएं। इसे गर्म कर सिरप बना लें। इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पिएं। पित्त के लिए यह अचूक औषधि है।
तुलसी के पौधे के पास बैठने मात्र से ऊर्जा और ऑक्सीजन मिलती है। तुलसी का पौधा मां समान होता है। यह कई बीमारियों से निजात पाने में सहायक होता है। खाँसी, दमा और अन्य सांस की बीमारियों में इसका उपयोग लाभप्रद साबित होता है और इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हम घर में ही तुलसी, नीम और अन्य विशेष पौधों को लगाकर बीमारियों को दूर रख सकते हैं।
चार लौंग कूट कर एक कप पानी में डाल कर उबालें। आधा पानी रहने पर छान कर स्वाद के अनुसार मीठा मिला कर पी कर करवट लेकर सो जाएं। दिन भर में ऐसी चार मात्रा लें। उल्टियां बंद हो जाएंगी। चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने में तेज बुखार कम हो जाता है।
सावधानी:
यहाँ बताए गए सभी नुस्खे पुराने समय से चले आ रहे हैं पर इन्हें आजमाने से पूर्व अपने चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
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Krishna Mohan Singh(KMS)
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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
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