Kmsraj51 की कलम से…..
माँ से बढ़कर इस संसार में कोई और नहीं।
बिना बताए जाे हमारे सभी दुःख-दर्द काे जान जाती है, ओ प्रिय मां ही हाे सकती हैं, और काेई नहीं।
स्वामी विवेकानंद जी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया- माँ की महिमा संसार में किस कारण से गायी जाती है?
स्वामी विवेकानंद जी मुस्कराए, उस व्यक्ति से बोले, पांच सेर (किलोग्राम) वजन का एक पत्थर ले आओ।
जब व्यक्ति पत्थर ले आया तो स्वामी विवेकानंद जी ने उससे कहा, “अब इस पत्थर को किसी कपडे में लपेटकर अपने पेट पर बाँध लो और चौबीस घंटे बाद मेरे पास आओ तो मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा।
स्वामी विवेकानंद जी के आदेशानुसार उस व्यक्ति ने पत्थर को अपने पेट पर बाँध लिया और चला गया।
पत्थर बंधे हुए दिनभर वो अपना कार्य करता रहा, किन्तु हर छण उसे परेशानी और थकान महसूस हुई। शाम होते-होते पत्थर का बोझ संभाले हुए चलना फिरना उसके लिए असह्य हो उठा।
थका मांदा वह स्वामी विवेकानंद जी के पास पंहुचा और बोला- “मै इस पत्थर को अब और अधिक देर तक बांधे नहीं रख सकूँगा।”
एक प्रश्न का उत्तर पाने क लिए मैं इतनी कड़ी सजा नहीं भुगत सकता।
स्वामी विवेकानंद जी मुस्कुराते हुए बोले – पेट पर इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया और माँ अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ (9 Month) माह तक ढ़ोती है और ग्रहस्थी का सारा कार्य भी करती है।
इस संसार में माँ के सिवा कोई और इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है, इसलिए माँ से बढ़ कर इस संसार में कोई और नहीं।
माँ की तुलना इस दुनिया में किसी से भी नहीं की जा सकती।
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आपका सबका प्रिय दोस्त,
Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
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