नाभि चिकित्सा।

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ϒ नाभि चिकित्सा। ϒ

नाभि द्वारा समस्त प्रकार की बीमारियों का उपचार सदियों से होता आया है, यह उपचार विधि अत्यन्त सरल है। विश्व के हर काेने में, कही न कही, किसी न किसी नाम या किसी न किसी चिकित्सा पद्धति में इस उपचार का उल्लेख हमे देखने काे मिल ही जाता है। परंतु एक ताे इसका एक जगह पर एक साथ संगृह नही है, फिर यह अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियाें में इसका उल्लेख अलग-अलग नामाें से किया गया हैं। यहा पर नाभि उपचार से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार की चर्चा की जा रही है। नाभि उपचार – हमारे देश में देसी उपचारकर्ताओं द्वारा बडे ही विश्वास से किया जाता रहा हैं। जैसे पेट से संबंधित बीमारियों में या फिर नाभि खिसक जाने पर, दस्त जैसी सिकायताें पर या अन्य प्रकार के पेट से संबंधित बीमारियों में इसका प्रयाेग किया जाता रहा है।

कभी-कभी मुख्यधारा की चिकित्सा या प्रचलित चिकित्सा पद्धतियाें के उपचार से जब राेगी परेशान हाे जाता था। तब नाभि उपचारकर्ता की शरण लेता था। नाभि के जानकार व्यक्तियाें द्वारा नाभि स्पंदन की जानकारी कर, नाभि स्पंदन काे यथास्थान पर ला कर, उसके इस राेग काे जड़ मूल से नष्ट कर देते हैं। यह ताे बात – मात्र नाभि स्पंदन परिक्षण के साथ उसे यथास्थान ला कर उपचार करने की है।

हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति मे नाडी परिक्षण से विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जानकारी का विस्तृत विवरण किया गया है, इस प्राचीनतम चिकित्सा में नाडी की गति, नाडी का स्थान व उसकी चाल से बीमारियों की जानकारी के विवरण में नाभि-नाडी का भी विवरण हैं। परंतु नाभि जैसे छोटे से स्थान में अनेकाे प्रकार की बीमारियों काे पहचानना अत्यन्त कठिन कार्य है।

जबकि इस नाभि-नाडी परिक्षण से कई  प्रकार के ऐसे असाध्य राेग तथा ऐसे राेग जाे साधारण नाडी परिक्षण या फिर अत्यआधुनिक चिकित्सकीय परीक्षणाें से भी ज्ञात नहीं हाेते थे, उसे नाभि-नाडी परिक्षणकर्ता आसानी से पहचान कर बतला दिया करता था। इस नाभि-नाडी परिक्षण में ताे यहा तक उल्लेख है कि असाध्य बीमारियों के साथ अज्ञात बीमारियों की जानकारी के साथ परिक्षणकर्ता यह तक बतला दिया करता था की बीमारी साध्य है या असाध्य।

महिलाओं में बाॅझता का कारण या बाॅझता साध्य है या असाध्य, बाॅझता उपचार की प्राकृतिक विधियाॅ आदि सभी बतला दिया करता था। चूंकि यह परीक्षण एक तो कठिन था, साथ ही इसके जानकाराें का व्याप्त अभाव, एंवम इसके जानकार व्यक्तियों ने इसे अपने तक ही सीमित रखा, नाभि-नाडी परिक्षण जैसे विषयों पर विद्वान चिकित्सकाें ने किसी प्रकार का कार्य नही किया न ही इस विषय पर ग्रंथ आदि की रचना की गई। इन्हीं सभी  कारणाें से हमारे देश की यह अमूल्य धराेहर धीरे-धीरे लुप्त हाेती गयी। हमारे देश की इस अमूल्य धराेहर व इसकी उपयाेगिता काे बाैद्ध भिझुओं ने पहचाना एंव अपने साथ इसके मूल सिद्धान्ताें काे अपने देश चीन व जापान ले गये, एंव एक नई उपचार विधि “ची नी शाॅग चिकित्सा” के नाम से विकसित हुई एंव आज बडे-बडे मिसाज थैरापी, एक्यूपंक्चर, तथा परंपरागत प्राकृतिक चिकित्सा तथा सौंदर्य समस्याओं के निदान में `ब्यूटी क्लिनिक` आदि में इसका प्रयोग बडे ही आत्मविश्वास के साथ किया जा रहा हैं।

इसका एक कारण और भी है, इसके परिणाम अत्यन्त ही आश्यर्चजन व आशानुरूप हैं। इस सरल उपचार विधि का प्रयोग Five Star Hotels में शरीर की सर्विसिंग हेतु किया जाता है। जिस प्रकार से हम अपने वाहन आदि की सर्विसिंग इस लिये कराते है ताकि हमे मालूम हाे कि इसमें क्या खराबी है जाे भी खराबी हाेती है, उसे ठिक कर दिया जाता है, इससे वाहन पहले की अपेक्षा अच्छी तरह से कार्य करने लगता हैं। ठीक इसी प्रकार से हमारे शरीर के आंतरिक अंग नियमित कार्य करते-करते, कभी-कभी निष्क्रिय सुषुप्तावस्ता में आ जाते है इससे रस रसायनाें में परिवर्तन हाेने लगता है इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं। 

यदि शरीर का एक अंग कार्य नहीं करता ताे इसका परिणाम यह हाेता है, उससे संबंधित अन्य अंग भी प्रभावित हाेने लगते हैं। “ची नी शाॅग चिकित्सा” में संपूर्ण बीमारियों का कारण पेट काे माना गया है, पेट में पाये जाने वाले  आंतरिक अंगाें काे ही उपचार हेतु टारगेट किया जाता है। इसकी पहचान हेतु दाे विधियाॅ अपनाई जाती है एक नाभि परिक्षण द्वितीय पेट पर पाये जाने वाले अंगाें की पहचान कर उपचार किया जाता हैं। जापानीयाें में नाभि परिक्षण ही प्रमुख है इसमें सर्वप्रथम नाभि-नाडी व स्पंदन दाेनाे का संयुक्त परिक्षण कर उपचार किया जाता है, जापानीयाें का मानना है कि नाभि का संबंध भावनात्मक हाेता हैं। नाभि की बनावट धारियों से बीमारियों की पहचान की जाती है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

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केले के फूल खाने के फायदे।

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ϒ केले के फूल खाने के फायदे। ϒ

केले का पेड़ एक ऐसा पेड़ है। जिसके हर हिस्से को किसी न किसी काम में लाया जा सकता है। फूल, फल और तने को खा सकते हैं, पत्तियों का इस्तेमाल प्लेट की तरह कर सकते हैं और छाल का इस्तेमाल कागज बनाने के लिए किया जा सकता है। केले के दिल के तौर पर जाने, जाने वाले केले के फूल में ढेर सारा फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, कैल्शियम, कॉपर, फॉस्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन ई होता है। इस फूल को खाने से होते हैं कौन-कौन से फायदे…..

1. शुगर के मरीजों के लिए अच्छे होते हैं।
एक शोध में पाया गया कि डायबिटीज के मरीजों के इन्सुलिन लेवल केले के फूल खाने से घट गए, हालांकि, इस शोध को अभी क्लीनिकली प्रूव नहीं किया जा सका है।

2. ये नैचरल ऐंटी-डिप्रेसेंट हैं।
क्योंकि इन फूलों में ढेर सारा मैग्नीशियम होता है, ये आपका मूड सुधारकर स्ट्रेस को कम करने की शक्ति रखते हैं।

3. फ्री रैडिकल से लड़ने वाले ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स से लैस।
फ्री रैडिकल स्वस्थ सेलों पर हमला कर उन्हें खराब कर देते हैं, जिससे दिल की बीमारी, कैंसर और स्किन एजिंग जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। इन फूलों में ऐंटी-ऑक्सिडेंट होते हैं जो फ्री रैडिकल्स का मुकाबला कर उन्हें बॉडी डैमेज करने से बचाते हैं।

4. ये खाने में हल्के होते हैं और पाचन संबंधी दिक्कतें दूर करते हैं।
केले के फूल खाने में बहुत हल्के होते हैं और पाचन तंत्र को आराम देते हैं। अगर पेट में दर्द हो या ऐसिडिटी के कारण सूजन हो जाए, तो इनके सेवन से दूर हो जाती है।

5. इन्फेक्शन्स से बचाते हैं।
ये फूल पैथोजेनिक बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकते हैं जिससे इन्फेक्शन नहीं होते।

6. माहवारी की ब्लीडिंग कंट्रोल कर PCOS को करते हैं ठीक।
आयुर्वेद के मुताबिक, एक कप केले के फूल को दही में पकाकर खाने से शरीर में प्रोजेस्ट्रोन लेवल बढ़ता है और माहवारी में ज्यादा खून नहीं बहता। माना जाता है कि केले के फूलों से पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS) से जूझ रही महिलाओं को मदद मिलती है।

7. खून की कमी से बचाते हैं।
अधिक आयरन होने से, केले के फूल शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाते हैं और एनीमिया को रोकते हैं।

8. स्तनपान कराने वाली माओं का दूध बढ़ाते हैं।
आयुर्वेद का सुझाव है कि स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को केले के फूल खाने चाहिए। इससे उन्हें दूध ज्यादा बनेगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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करी पत्ते के स्वास्थ्य लाभ।

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ϒ करी पत्ते के स्वास्थ्य लाभ। ϒ

सांभर में तड़का लगाने के लिए, पोहे का स्वाद बढ़ाने के लिए करी पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यह कई दूसरे व्यंजनों में भी सुगंध और स्वाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है। करी पत्ते में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए वरदान हैं।
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इसका इस्तेमाल त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसके अलावा करी पत्ते के कई ऐसे फायदे भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आइए, जानते हैं करी पत्ता और किस-किस तरह हमारे लिए फायदेमंद है।

  • ऐंटीऑक्सि‍डेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों से भरपूर करी पत्ते स्किन के लिए बहुत फायदेमंद है।
  • अगर आपका लीवर कमजोर है तो करी पत्ता आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें मौजूद विटमिन सी लीवर को सेहतमंद रखता है।
  • करी पत्ते में आयरन और फॉलिक एसिड पाया जाता है। इस वजह से यह एनीमिया के खतरे से सुरक्षित रखता है।
  • करी पत्ते के इस्तेमाल से बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं और डैंड्रफ की प्रॉब्लम भी दूर हो जाती है।
  • करी पत्ते के सेवन से कब्ज की समस्या में राहत मिलती है। इससे पेट से जुड़ी दूसरी दिक्कतों में भी आराम मिलता है।
  • करी पत्ता कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मददगार है। यह ब्लड में गुड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाता है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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प्राचीन घरेलू स्वास्थ्य दोहावली।

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ϒ प्राचीन घरेलू स्वास्थ्य दोहावली। ϒ

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पानी में गुड डालिए बीत जाए जब रात।
सुबह छानकर पीजिए अच्छे हाें हालात॥ (1)

धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन(आंख) में डार(डाल)।
दुखती अँखियां ठीक हाें, पल(समय) लागे दाे-चार॥ (2)

ऊर्जा मिलती है बहुत, जब पिएं गुनगुना नीर।
कब्ज खत्म हाे पेट की, मिट जाए हर पीर(दर्द)॥ (3)

प्रातःकाल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप।
बस दाे-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप॥ (4)

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार।
करें हाजमे का सदा – ये ताे बंटाढार॥
(5)

भोजन करें धरती पर अल्थी-पल्थी मारकर।
चबा-चबा कर खाए, वैद्य न झांके द्वार॥
(6)

प्रातःकाल फल रस लाे, दोपहर लस्सी-छाछ।
सदा रात में दूध पी, सभी राेग का नाश॥
(7)

प्रात काल, दोपहर लीजिये जब नियमित आहार।
तीस मिनट की नींद लाे, राेग न आवें द्वार॥
(8)

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार।
डाक्टर, ओझा व वैघ का लुट जाए व्यापार॥
(9)

घूंट-घूंट पानी पियाे, रहे तनाव से दूर।
एसिडिटी या मोटापा होवें चकनाचूर॥ (10)

अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास।
पानी पीजै सदैव बैठकर, कभी न आवे पास॥
(11)

रक्तचाप बढने लगे – तब मत सोचो भाई।
सौगंध राम की खाइके, तुरंत छाेड़ दाे चाय॥
(12)

सुबह खाइये कुवंर-सा, दोपहर यथा नरेश।
भाेजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश॥
(13)

♦ देर रात तक जागना, राेगाे का जंजाल।
अपच, आंख के रोग संग, तन भी रहे निढाल॥ (14)

♦ दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ।
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ॥ (15)

♦ सत्तर राेगाे काे करें-चूना हमसे दूर।
दूर करें ये बांझपन, सुस्ती अपच हुजूर॥ (16)

♦ भोजन करके जाेहिए, केवल घंटा डेढ।
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड॥ (17)

♦ अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल।
यही खाइए नहीं ताे, हृदय समझिए फेल॥ (18)

♦ पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान।
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान॥ (19)

♦ एल्युमीनियम के पात्र का करता है जाे उपयाेग।
आमंत्रित करता सदैव ही अड़तालीस(48) राेग॥ (20)

♦ फल या मीठा खाइके, तुरंत न पीजै नीर।
ये सब छाेटी आंत में बनते विषधर तीर॥ (21)

चोकर खाने से सदा – बढ़ती तन की शक्ति।
गेहूं माेटा पीसिये, दिल में बड़े विरक्ति॥ (22)

♦ राेज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय।
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय॥ (23)

♦ भोजन करके खाइए – सौंफ, गुड़, अजवाइन।
पत्थर भी पच जायेगा – जानै सकल जहान॥ (24)

♦ लौकी का रस पीजिए – चोकर युक्त पिसान।
तुलसी, गुड़, सेंधा नमक – हृदय राेग निदान॥ (25)

♦ चैत्र माह में नीम की पत्ती हर दिन खावे।
ज्वर, डेंगू या मलेरिया – सोलह मील भगाये॥ (26)

♦ साै वर्षों तक वह जिए – लेते नाक से सांस।
अल्पकाल ओ जिवें – जाे करें मुंह से श्वासोश्वास॥ (27)

♦ ज्यादा शीतल व गर्म पानी से कभी न करें स्नान।
घट जाता है आत्मबल, नैनन काे नुकसान॥ (28)

♦ अगर हृदय राेग से आपकाे बचना है – श्रीमान।
ताे सुरा(शराब), चाय व कोल्ड ड्रिंक का मत करिए पान॥ (29)

♦ जाे तुलसी का पत्ता करें सदैव जीवन में उपयाेग।
मिट जाते हर उम्र में – उसके तन के सारे राेग॥ (30)

प्यारे दोस्तों – ऊपर दिए गये – प्राचीन घरेलू आयुर्वेदिक चिकित्सा, अच्छे स्वास्थ्य के लिए 100% कारगर हैं। जिसका शरीर पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

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सफेद दाग का उपचार।

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ϒ सफेद दाग का उपचार। ϒ

सफेद दाग काे Curing Vitiligo (श्वेतदाग) के नाम से भी जाना जाता हैं। जिसका मतलब है सफेद (leuco) और चर्म या त्वचा (Derma). इसकाे “Achromia” के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका मतलब है सामान्य रंग अथवा वर्णकयुक्तता की कमी अथवा उसका अभाव, जैसे त्वचा की वर्णहीनता, अवर्णता। इस बीमारी में चमड़ी के सामान्य रंग में फर्क आ जाता है आैर वह सफेद हाे जाती हैं।

सफेद दाग एक त्वचा रोग है। हमारे भारत में कई लाेग इस राेग काे कुष्ठ(Leprosy) रोग का नाम देकर हमारे मन में इस राेग के लिए कुठां पैदा कर दी हैं। पुरे विश्व में 1.5 – 2.5% लाेग इस राेग से प्रभावित हैं। लेकिन भारत में इस राेग से 09 – 11% लाेग प्रभावित है और इसके बाद मेक्सिको में पाएं जाते हैं।

इस रोग में त्वचा पर अलग-अलग अकार के सफेद दाग देखें जा सकते हैं। ये राेग किसी काे भी हाे सकता है, जैसे बच्चाें, महिलाओं और पुरुषाें काे। यह राेग किसी भी उम्र के व्यक्ति काे हाे सकता हैं। कई बार ये राेग वंशानुगत भी हाेता हैं। सफेद दाग का राेग ठिक हाे जाता है इसलिए आपकाे धैर्य रखने की जरूरत हैं।

अगर आप सफेद दाग के राेग काे दुर करना चाहते है ताे, आपकाे कुछ घरेलू उपचार के साथ, बहुत ही जरूरी बाताें का भी ध्यान रखना हाेगा।

इस राेग काे दुर करने के लिए कुछ सहज घरेलू उपचार।

1. विषाक्त पदार्थ काे बाहर निकाले। – शरीर से विषाक्त पदार्थ काे बाहर निकालने से ना राेके, जैसे- मल, मूत्र, पसीना।

2. ये चीजे ना खायें। – इस रोग में आपको मिठाई, रबड़ी, दूध और दही को एक साथ सेवन नहीं करना चाहिएं। इससे आपकी त्वचा पर बुरा असर पड़ सकता हैं। ताे ध्यान रखें, एेसी स्थिति में एेसे खाद्य पदार्थ से बचे।

3. गरिष्ठ(भारी) भोजन ना करे। – बहुत ज्यादा गरिष्ठ(भारी) भोजन का सेवन ना करें, इससे आपकाे तकलिफ हाे सकती हैं। जैसे- उड़द की दाल, मांस, मछली आदि का सेवन ना करें।

4. इन बातों का ख्याल रखें। – भोजन में खटाई, तेज मिर्च और गुड़ का सेवन ना करें।

5. ज्यादा नमक(Salt) ना खाए। – ज्यादा नमक खाना आपके लिए हानिकारक हाे सकता हैं। इसलिए खाने में ज्यादा नमक का प्रयोग ना करें। कम से कम नमक का सेवन करें और करें अपनी इस समस्या काे दुर।

6. बथुआ(Bathua) है फायदेमंद। – रोज बथुआ की सब्ज़ी खाये। इसकाे उबाल कर इसके पानी से ही सफेद दाग काे धाेये। कच्चे बथुआ का रस(Juice) दाे कप निकाल कर आधा कप तिल के तेल(Sesame oil) में मिलाकर धीमी आँच पर पकायें। जब सिर्फ तेल रह जाये इसे उतार कर शीशे के बोतल में भर लें। इस तेल काे प्रतिदिन ३-४ बार सफेद दाग पर लगाये।

7. अखरोट(Walnuts) खाये। – अखरोट में इतनी शक्ति है कि वह आपकी सफेद पड़ चुकी त्वचा काे भी काली कर सकता हैं। ५० ग्राम अखरोट का प्रतिदिन सेवन करे और देखें इससे आपकाे कितना फायदा हाेता हैं। 

8. लहसुन का रस(Garlic juice) – लहसुन का सेवन प्रतिदिन करें। इसके रस में हरड़ घिसकर सफेद दाग पर लेप करें, इससे आपके त्वचा के सफेद दाग मिट जायेगे और आपकाे इस राेग से छुटकारा मिल जायेगा। 

9. उड़द की दाल(Urad Dal) – उड़द की दाल काे पानी में ८ घंटे तक भीगाें दे। इस भीगी हुई दाल काे पीसकर सफेद दाग पर ४ महीने तक प्रतिदिन लगाये, इससे सफेद दाग मिट जायेगा।(याद रखें – प्रतिदिन उड़द की दाल काे पानी में ८ घंटे तक भीगाें कर, पीसकर लगाये).

10. नीम का उपयोग करें(Use Neem) – नीम की पत्ती, फूल और फल आदि काे सुखाकर, पीस कर चूर्ण बना ले और इसे एक डिब्बें में भर कर रख ले। प्रतिदिन २-३ ग्राम इस चूर्ण काे पानी के साथ लें।

मात्रा चूर्ण बनाने के लिये। – 

नीम की पत्ती – १०० ग्राम, नीम के फूल – ५० ग्राम, नीम के फल – १०० ग्राम,

11. क्या खायें – अपने खाने में कम से कम सप्ताह में दो दिन काले चने की चपाती(रोटी) खायें, और क्या-क्या खाये – मूंग की दाल, बथुआ, पालक, भिंडी, ककड़ी, गोभी, गाय के दूध, मक्खन और आसानी से पच जाने वाले भोजन ही खाये। ताजा फल व रस और पानी का खूब सेवन करें।

© कमलेश कुमार ® ID – kamleshk177@gmail.com

हम दिल से आभारी हैं कमलेश कुमार जी के। आपने https://kmsraj51.com के पाठकों के लिये सरल तरीके से घर का बना आयुर्वेदिक जड़ी बूटी द्वारा सफेद दाग का उपचार हिंदी में Share करने के लिये।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

आयुर्वेदिक काढ़ा।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ आयुर्वेदिक काढ़ा। ϒ

मेरे सभी प्रिय पाठक मित्रों,

सर्दियों का माैसम आ गया हैं।

अच्छा स्वास्थ्य बनाने के लिए सर्दियों का माैसम Other माैसम की अपेक्षा ज्यादा लाभप्रद हाेता है। सर्दियों के माैसम में लगभग हरेक हरी सब्जियों का खजाना प्रकृति की आेर से हम मनुष्याें काे उपहार स्वरूप मिलता हैं।

सर्दियों के माैसम में स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां भी बहुत ज्यादा हाेती हैं। सर्दी, जुक़ाम, कफ, खांसी और बुखार(ज्वर) आम बात हैं।

क्या कारण है जाे इस माैसम में सर्दी, जुक़ाम, कफ, खांसी और बुखार(ज्वर) इतनी जल्दी-जल्दी हाे जाती हैं। इसका मुख्य कारण है रोग प्रतिरोधक क्षमता(Immunity) का ज़रूरत से ज्यादा कम हाे जाना। अर्थात जब-जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता(Immunity) कम हाे जाती है बीमारियाें के जीवाणु अटैक कर देते है और शरीर बीमार हाे जाता हैं।

अब आप सभी के मन में सबसे बड़ा प्रश्न चल रहा हाेगा की आखिरकार – रोग प्रतिरोधक क्षमता काे कैसे संतुलित रखा जाए।

आज मैं आप सभी काे “रोग प्रतिरोधक क्षमता” काे संतुलित रखने के लिए, घर का बना “आयुर्वेदिक काढ़ा” बनाने का तरीका Step by Step बताऊगां।

“आयुर्वेदिक काढ़ा” बनाने का तरीका Step by Step  

“आयुर्वेदिक काढ़ा” बनाने के लिए जिन सामग्रियों की ज़रूरत पड़ती है ओ इस तरह से हैः

काली तुलसी की पत्ती, लाैंग, काली मिर्च, इलायची, अदरक, गुड़, चायपत्ती और पानी।

एक व्यक्ति के लिए सामग्रियों की मात्राः

काली तुलसी की पत्तीः कम से कम १५ – २० पत्ते।

लाैंगः कम से कम ३ – ५ पीसी हुई ।

काली मिर्चः कम से कम ४ – ६ पीसी हुई।

इलायचीः कम से कम २ पीसी हुई छोटी इलायची।

अदरकः १५ – २० ग्राम पीसी हुई।

गुड़ः स्वादानुसार।

चायपत्तीः कम से कम १ छोटा चम्मच।

पानीः ४०० मिलीलीटर(400 ML)।

“आयुर्वेदिक काढ़ा” बनाने की विधि।

सबसे पहले गैस स्टोव पर बर्तन में पानी चढ़ायें(रखें), जब पानी उबलने लगे तब उसमें सबसे पहले पीसी हुई लाैंग, काली मिर्च, इलायची, अदरक, और स्वादानुसार गुड़ ड़ाले, इन सब के ड़ालने के २ मिनट के बाद काली तुलसी की पत्ती ड़ाले, इसके ३-४ मिनट के बाद चायपत्ती ड़ाले, इन सब सामग्रियों काे ड़ालने के बाद तब तक पकाए – जब तक पानी की मात्रा लगभग १७५ मिलीलीटर(ml) रह जायें, इसे गैस स्टोव से उतार कर चाय छन्नी से कप या गिलास में छान लें। आपका “आयुर्वेदिक काढ़ा” बनकर तैयार हैं।

अब इसे गर्म चाय या कॉफी की तरह फुक-फुक कर पी लें।

सुबह की शुरूआत आयुर्वेदिक काढ़ें के साथ करें – बीमारियां आपसे काेसाें दुर हाेगीं।

अच्छी सेहत के लिए याद रखें।

संयमित व नियमित आहार लें।

⇒ खाने के साथ सलाद जरूर लें।

⇒ मौसम के अनुसार फलों का जूस व साबुत फल खाना ना भुलें।

 रात के खाने के बाद कम से कम १०० कदम अवश्य चलें।

 दिन में खाने के बाद कम से कम २०-३० मिनट तक आराम करें।

⇒ प्रतिदिन स्नान करें।

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∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

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आम का पन्ना-एक पारम्परिक भारतीय पेय।

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ϒ आम का पन्ना  एक पारम्परिक भारतीय पेय। ϒ

Aam Panna

आम का पन्ना – एक पारम्परिक भारतीय पेय”

कच्चे आम का पन्ना गर्मियों में सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला पारम्परिक भारतीय पेय है। गर्मियों में शरीर के तापमान को स्थिर रखने तथा लू से बचने में कच्चे आम का पन्ना बहुत सहायक होता है। आइए आज हम आपको इस प्राचीन तथा पारम्परिक पेय को बनाने की विधि से अवगत कराते है।

तीन से चार सामान्य आकार के कच्चे आम लेकर अच्छी तरह धो लें। इन्हें छीलकर गूदा अलग कर लें तथा गुठली अलग निकाल दें। गूदे को एक कप पानी डालकर उबाल लें। इस उबले हुए गूदे में पिसा हुआ 200 ग्राम गुड़ डालकर एक उबाल दे दें। ठंडा होने पर पुदीना की पत्ती, थोड़ा सा काला तथा थोड़ा सा सफ़ेद नमक, तथा थोड़ा सा काली मिर्च चूर्ण डालकर मिक्सी में पीस लें। अब इस गूदे को छानकर इसमें एक लीटर पानी तथा भुना हुआ जीरा चूर्ण मिलाएं। ठंडा करके परोसें।

Post Inspired by : Poojya Acharya Bal Krishan Ji Maharaj

मैं पूज्य आचार्य बाल कृष्ण जी महाराज का आभारी हूं।

http://patanjaliayurved.org/

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

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* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

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पैरों को साफ़ और सुन्दर रखने के घरेलू उपाय।

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ϒ पैरों को साफ़ और सुन्दर रखने के घरेलू उपाय। ϒ

कहते हैं कि जो लोग अपने पैर साफ रखते हैं, उन्हें कई तरह की बीमारियां नहीं होती हैं। इसके अलावा पैरों को साफ रखने से न सिर्फ वे सुंदर लगेंगे, बल्कि आपको फटी एड़ियों के कारण शर्मिंदा भी नहीं होना पड़ेगा। डॉक्टरों के अनुसार, पैर और पैर की एड़ियों को साफ-सुथरा रखना भी उतना ही जरुरी है, जितना कि सिर के बालों को शैम्पू करना। इसलिए हर व्यक्ति को रोज अपने पैरों को साफ करने के लिए 10 मिनट का समय जरूर निकालना चाहिए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में, जिन्हें अपनाने से आपके पैर बहुत जल्दी साफ हो जाएंगे।


 

संतरे के रस में काफी विटामिन सी होता है। यदि आपके पैर धूप में जल गए हैं, तो उन पर संतरे का रस लगाइए।15 मिनट के बाद जब रस सूख जाए तो पैरों को साफ पानी से धो लीजिए।

2  पैरों को साफ करने के लिए दानेदार नमक का उपयोग करें। इस नमक से धीरे-धीरे मसाज करने से पैर बिल्कुल साफ हो जाएंगे।

3 ⇒ पैरों को गीला करके दानेदार चीनी को 10 मिनट तक पैरों पर रगड़ें। फिर पैरों को गर्म पानी में कुछ देर डुबो कर रखें।

4  यदि आपको लगता है कि आपके पैर बहुत ज्यादा रूखे हैं, तो शहद का उपयोग करें। शहद से अपने पैरों को 10 मिनट के लिए मसाज करें। उसके बाद पैरों को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में डुबोएं और फिर ब्रश से घिस कर साफ करें।

5 ⇒ टमाटर के छिलके से पैरों को रगड़ें। इससे टैनिंग मिटती है।

6 ⇒ फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए प्याज का रस बहुत लाभकारी होता है। हफ्ते में दो बार यह रस एड़ियों पर लगाना चाहिए।

7  यदि आप फटी एड़ियों से परेशान हैं तो उस पर नींबू रगड़ें। इसके साथ ही हल्के गर्म पानी में एक ताजा नींबू निचोड़ें और उसमें 20 मिनट के लिए अपने पैरों को डुबोएं। फिर स्क्रब कर लें।

8  जिन लोगों को पैर में ज्यादा पसीना आता है, उनके लिए सिरका बहुत अच्छा उपाय है। अपने पैरों को पानी और थोड़े से सिरके में डुबोएं और फिर 10 मिनट के बाद पैर धो लें।

 नहाने के लिए इस्तेमाल करने वाले शैम्पू के झाग से आप पैरों की एड़ियां साफ कर सकती हैं।

© संयोगिता सिंह। (सहारनपुर -उत्तर प्रदेश)

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मस्सों की आयुर्वेदिक चिकित्सा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Kmsraj51-CYMT08

मस्सों की आयुर्वेदिक चिकित्सा। 

मस्सों को दुर करने के लिये अपनाएँ ये कारगर घरेलू नुस्खे।

मस्से सुंदरता पर दाग की तरह दिखाई देते हैं। मस्से होने का मुख्य कारण पेपीलोमा वायरस है। त्वचा पर पेपीलोमा वायरस के आ जाने से छोटे, खुरदुरे कठोर पिंड बन जाते हैं, जिन्हें मस्सा कहा जाता है। पहले मस्से की समस्या अधेड़ उम्र के लोगों में अधिक होती थी, लेकिन आजकल युवाओं में भी यह समस्या होने लगी है। यदि आप भी मस्सों से परेशान हैं तो इनसे राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपायों काे अपना सकते हैं। आइए, जानते हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खों के बारे में…..


 

1⇒ बेकिंग सोडा और अरंडी तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर इस्तेमाल करने से मस्से धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।

2⇒ बरगद के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इसके रस को त्वचा पर लगाने से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने-आप गिर जाते हैं।

3⇒ ताजा अंजीर मसलकर इसकी कुछ मात्रा मस्से पर लगाएं। 30 मिनट तक लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। मस्से खत्म हो जाएंगे।

4⇒ खट्टे सेब का जूस निकाल लीजिए। दिन में कम से कम तीन बार मस्से पर लगाइए। मस्से धीरे-धीरे झड़ जाएंगे।

5⇒ चेहरे को अच्छी तरह धोएं और कॉटन को सिरके में भिगोकर तिल-मस्सों पर लगाएं। दस मिनट बाद गर्म पानी से फेस धो लें। कुछ दिनों में मस्से गायब हो जाएंगे।

6⇒ आलू को छीलकर उसकी फांक को मस्सों पर लगाने से मस्से गायब हो जाते हैं।

7⇒ कच्चा लहसुन मस्सों पर लगाकर उस पर पट्टी बांधकर एक सप्ताह तक रहने दें। एक सप्ताह बाद पट्टी खोलने पर आप पाएंगे कि मस्से गायब हो गए हैं।

8⇒ मस्सों से जल्दी निजात पाने के लिए आप एलोवेरा के जैल का भी उपयोग कर सकते हैं।

9⇒ हरे धनिए को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे रोजाना मस्सों पर लगाएं।

10⇒ ताजे मौसमी का रस मस्से पर लगाएं। ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें। मस्से गायब हो जाएंगे।

11⇒ केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उसे एक पट्टी से बांध लें। ऐसा दिन में दो बार करें और लगातार करते रहें, जब तक कि मस्से खत्म नहीं हो जाते।

12⇒ मस्सों पर नियमित रूप से प्याज मलने से भी मस्से गायब हो जाते हैं।

13⇒ फ्लॉस या धागे से मस्से को बांधकर दो से तीन सप्ताह तक छोड़ दें। इससे मस्से में रक्त प्रवाह रुक जाएगा और वह खुद ही निकल जाएगा।

14⇒ अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगाएं। इससे मस्से नरम पड़ जाएंगे और धीरे-धीरे गायब हो जाएंगे।

15⇒ अरंडी के तेल की जगह कपूर के तेल का भी उपयोग कर सकते है।

© संयोगिता सिंह। (सहारनपुर -उत्तर प्रदेश)

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पिंपल्स से निपटने के कारगर घरेलू नुस्खे।

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पिंपल्स से निपटने के कारगर घरेलू नुस्खे। 

युवावस्था में हार्मोंस बदलते हैं और तनाव भी इसी वक्त सबसे ज्यादा घेरता है। युवा वर्ग ही सबसे ज्यादा खानपान संबंधी लापरवाही बरतता है। यही तीन कारण पिंपल्स के लिए जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं पिंपल्स से निपटने के घरेलू नुस्खे….

1⇒ हल्दी – हल्दी एंटीसेप्टिक का काम करती है। इसीलिए इसमें बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है।

एक चम्मच हल्दी पाउडर में थोड़ा सा पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें।

इस पेस्ट को पिंपल्स पर लगाएं। कुछ मिनट के लिए लगा रहने दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। ऐसा एक हफ्ते तक करें। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।


 

2⇒ पुदीना – पुदीना शरीर को ठंडक पहुंचाता है। साथ ही, इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी पाए जाते हैं।

पुदीने की कुछ पत्तियों को मिक्सर में पीस लें।

 इसका पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर रात को सोने से पहले लगा लें या इसे छानकर जूस निकालकर भी चेहरे पर लगा सकते हैं। इसे रातभर चेहरे पर लगा रहने दें।

 सुबह चेहरा धो लें। ऐसा हफ्ते में एक बार जरूर करें। धीरे-धीरे पिंपल्स खत्म हो जाएंगी।


 

3⇒ नींबू – पिंपल्स में नींबू बहुत फायदेमंद होता है। नींबू में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है।

दो मध्यम आकार के नींबू लेकर उनका जूस निकाल लें।

नींबू के रस को कॉटन में भिगोकर चेहरे पर लगा लें। सूख जाए तो ठंडे पानी से धो लें।

दिन में दो बार इसे तीन-चार दिनों तक लगाएं। पिंपल्स दूर हो जाएंगे।


 

4⇒ लहसुन – लहसुन में एंटीफंगल तत्व पाए जाते हैं। इसीलिए यह पिंपल्स को बहुत जल्दी दूर कर देता है।

लहसुन की दो कलियां और एक लौंग पीस लें।

 इस पेस्ट को सिर्फ पिंपल्स पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने दें। फिर चेहरा धो लें। ऐसा करने से पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।


 

5⇒ टूथपेस्ट – टूथपेस्ट का उपयोग दांतों को सफेद बनाने के लिए तो सभी करते हैं, लेकिन इसका उपयोग पिंपल्स को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है।

 रात को सोने से पहले पिंपल्स पर टूथपेस्ट लगाएं।

सुबह ठंडे पानी से चेहरा धो लें। पिंपल्स पर इसका असर साफ दिखाई देगा।

 पिंपल्स पर सिर्फ सफेद टूथपेस्ट लगाना चाहिए।


 

6⇒ भाप – भाप पिंपल्स का एक बढ़िया इलाज है। चेहरे पर भाप लेने से रोम छिद्र खुल जाते हैं। चेहरे की गंदगी दूर हो जाती है।

जब भी पिंपल्स की समस्या हो, चार-पांच दिनों तक दिन में दो बार चेहरे पर भाप लें।

♦ पिंपल्स खत्म हो जाएंगे और चेहरा ग्लो करने लगेगा।


 

7⇒ बर्फ – पिंपल्स को खत्म करने के लिए बर्फ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

बर्फ के टुकड़े को कॉटन में लपेटकर चेहरे पर हल्के से मसाज करें।

तीन-चार दिन तक दिन में दो बार बर्फ से मसाज करने से पिंपल्स की ठीक हो जाएंगे।


 

8⇒ दालचीनी – दालचीनी को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को एक चम्मच या दो चम्मच मात्रा में लेकर चेहरे पर लगाएं।

ऐसा दिन में कम से कम दो बार करें। पिंपल्स दूर हो जाएंगी।


 

9⇒ संतरे के छिलके – संतरे के छिलकों को चेहरे के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लें।

इस पाउडर को एक से दो चम्मच पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाएं।

आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें। ऐसा दिन में दो से तीन बार करें।


 

10⇒ शहद – शहद एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है। पिंपल्स की समस्या में यह रामबाण है।

 कॉटन बॉल को शहद में डुबोकर चेहरे पर लगाएं।

 सूखने पर चेहरा धो लें। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।


 

11⇒ पपीता – पपीता में बहुत अधिक मात्रा में एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह पिंपल्स को बहुत जल्दी खत्म करने की क्षमता रखता है।

एक पपीता को छिलकर मिक्सर में पीस लें और चेहरे पर लगाएं। पपीते का जूस भी चेहरे पर लगाया जा सकता है।

पंद्रह से बीस मिनट चेहरे पर लगा रहने दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।


 

12⇒ टमाटर – टमाटर एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसीलिए इसे स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

टमाटर को पीसकर उसका जूस बना लें। इस जूस को छानकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें।

 दिन में कम से कम दो बार ऐसा करें। पिंपल्स पर असर दिखाई देने लगेगा।


 

13⇒ नीम – नीम की पत्तियों को आयुर्वेद में त्वचा की बीमारियों की अचूक दवा माना गया है।

 नीम की पत्तियों को धोकर उसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद चेहरा धो लें।

© संयोगिता सिंह। (सहारनपुर -उत्तर प्रदेश)

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आयुर्वेद-घरेलू औषधालय।

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आयुर्वेद-घरेलू औषधालय। 

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ये 5 PICS देखेंगे तो कर पाएंगे बहुत आसानी से इन 10 रोगों का इलाज।

भारतीय आयुर्वेद के अनुसार भारत के हर घर का किचन एक तरह का घरेलू औषधालय है। किचन में रखी कई चीजें जैसे मसाले, खाद्यान्न, फल-सब्जी, शहद, घी-तेल आदि औषधि का काम भी करते हैं। अत: रसोई घर को औषधि का भंडार कहना गलत नहीं होगा। आइए, जानते हैं ऐसे कुछ अनुभूत नुस्खाें के बारे मे जो वक्त पड़ने पर बेहद कारगर सिद्ध हो सकते हैं।

1⇒ एक चम्मच सरसों के तेल में एक चुटकी हल्दी और नमक मिलाकर दांतों पर लगाने या हल्के-हल्के मालिश करने से दांत का दर्द दस से पंद्रह मिनट में ठीक हो जाता है।

2⇒ अगर त्वचा पर अनचाहे बाल उग आये हों, तो इन बालों को हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिला कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएं। ऐसा करने से शरीर के अनचाहे बालों से निजात मिलती है।

3⇒ दही में भूरे जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया मिटता है।

4⇒ सिरके के साथ जीरा देने से हिचकी बंद हो जाती है।

5⇒ खाना खाने को मन नहीं करता। भरपेट नहीं खा सकते। पचता भी नहीं तो धनिया, छोटी इलायची, कालीमिर्च तीनों एक जैसी मात्रा में लें। इन्हें पीस कर छान लें और शीशी में रखें। चौथाई चम्मच घी तथा आधा चम्मच चीनी में आधा चम्मच इस चूर्ण को डालकर खाएं।

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6⇒ कमजोरी में रात को पानी में एक बड़ा चम्मच पिसा धनिया भिगो दें। प्रात: छानकर पी लें। कुछ दिन नियमित करें। कमजोरी दूर होगी।

7⇒ भोजन के बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ लेने से कॉलेस्ट्रोल काबू में रहता है।

8⇒ 5-6 ग्राम सौंफ लेने से लीवर और आंखों की ज्योति ठीक रहती है। गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है।

9⇒ अजवाइन, सौंफ और थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर खाएं। आराम मिलेगा। पेटदर्द गायब हो जाएगा।

10⇒ अजवाइन को गर्म करके पतले कपड़े में पोटली बांधकर सूंघने से जुकाम और सर्दी में लाभ होता है।

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विटामिन का भरपुर स्रोत अंगूर हैं।

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अंगूर फल के लाभ। 

गर्मियों में अंगूर खाने सभी को अच्छे लगते हैं। इससे अंदर ठंडक लगती है और प्यास भी बुझती है। इसके अलावा यह शरीर को हेल्दी रखने के साथ ही कब्ज, अपचन, थकान, गुर्दे की बीमारियों और आंखों में होने वाले मोतियाबिंद जैसे रोगों से भी दूर रखता है। अंगूर में विटामिन ए, सी, बी6, फोलेट के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स जैसे पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और सेलेनियम भी पाए जाते हैं। 100 ग्राम अंगूर में सिर्फ 69 कैलोरी, प्रोटीन/वसा की मात्रा 0.3 ग्राम, मिनरल्स 0.6 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 16.5 ग्राम और फाइबर की मात्रा 2.9 ग्राम होती है। काले या हरे अंगूर में 15 से 25 प्रतिशत ग्लूकोज की मात्रा भी पाई जाती है, जो रक्त में घुलनशील होकर काफी कम समय में शरीर को भरपूर ऊर्जा देती है।
अंगूर में पाए जाने वाले फ्लैवोनॉयड्स, जो एंटी-ऑक्सीडेंट्स के रूप में काम करते हैंस ये चेहरे को झुर्रियां कम करते हैं और आपको त्वचा को बनाते हैं जवां। अंगूर में सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाने वाला पोषक तत्व एक स्वस्थ और हेल्दी लाइफ को बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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अंगूर से होने वाले फायदे।

♦ अंगूर से होने वाले फायदे। 

1. अस्थमा⇒

अंगूर कई प्रकार के रोगों में उपचार के तौर पर भी इस्तेमाल होता है। अस्थमा (दमा) रोगियों के लिए भी ये बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद पानी की मात्रा से फेफड़ों में भी पानी की कमी पूरी होती है, जो अस्थमा की संभावना को काफी कम कर देती है।

2. हड्डियों के लिए⇒

अंगूर कॉपर, आयरन और मैंगनीज़ का बहुत अच्छा स्रोत होता है, जो हड्डियों के निर्माण और उन्हें मजबूत बनाने में बहुत जरूरी होता है। इसका रोजाना सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। मैंगनीज़ भी हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी तत्व है जो नर्वस सिस्टम को सही रखता है।


3. दिल की बीमारी⇒

अंगूर खून में नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को नियंत्रित करता है जिससे ब्लड क्लॉटिंग नहीं होती। इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी कम हो जाता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से बचाव करता है। फ्लेवोनॉइड्स की ज़्यादा मात्रा भी अच्छे एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करती है। इससे ब्रेस्ट कैंसर नहीं फैलता। अंगूर में रेसवेराट्रॉल और क्यूरसेटिन दो प्रकार के तत्व शरीर को रेडिकल्स से बचाकर आर्टरीज़ को भी सुरक्षित रखने का काम करते हैं। ये ब्लड में प्लेटलेट्स की कमी नहीं होने देते।

Other Benefits: माइग्रेन, कब्ज, थकान और डायबिटीज से छुटकारा, दांतों के लिए फायदेमंद, अल्जाइमर बीमारी से दूर रखता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, मोतियाबिंद में कारगर, किडनी के लिए लाभकारी, त्वचा के लिए फायदेमंद, गठिया रोग से मुक्ति, मुंह के छाले खत्म करता है, त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है, असमय बुढ़ापे को रोकता है, त्वचा को कोमल बनाता है, जवां रखता है, दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाता है, बालों के विकास में मददगार, रुसी की समस्या खत्म करता है, बालों को झड़ने से रोकता है, अरोमाथेरेपी में इस्तेमाल किया जाता है।


4. माइग्रेन⇒

पके हुए अंगूर के रस के सेवन से माइग्रेन जैसी समस्या में आराम मिलता है। सुबह-सुबह बिना पानी मिलाए एक गिलास अंगूर का रस पीना बहुत फायदेमंद होता है। रेड वाइन को माइग्रेन की एक वजह मानी जाती है, लेकिन अंगूर का जूस और इसके बीज से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। वैसे तो कम सोना, मौसम में बदलाव, पाचन समस्या में परेशानी आदि कई माइग्रेन बीमारी का कारण हो सकते हैं, लेकिन एल्कोहल के सेवन को इसकी खास वजह माना जाता है। अंगूर का जूस पीकर इसके खतरे का काफी कम किया जा सकता है।


 

5. कब्ज⇒

अंगूर कब्ज जैसी समस्या से भी राहत दिलाता है, क्योंकि इसमें मौजूद ऑर्गेनिक एसिड, शुगर और सेल्यूलोज की मात्रा पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती है। इसमें भोजन को आसानी से पचाने वाले रेशे पाए जाते हैं जो न सिर्फ आंतों को साफ रखते हैं, बल्कि पेट की भी अच्छी तरह से सफाई करते हैं। अच्छे परिणाम के लिए रोजाना कम-से-कम 350 ग्राम अंगूर का सेवन करना चाहिए। यह दस्त बीमारी से भी छुटकारा दिलाता है।


 

6. थकान⇒

रोजाना अंगूर का जूस पीने से शरीर में आयरन और मिनरल्स की मात्रा बराबर बनी रहती है, जो थकान जैसी समस्या से भी कोसों दूर रखती है। वैसे तो एनीमिया आम समस्या है, लेकिन महिलाओं में ये सबसे ज्यादा पाई जाती है। ऐसे में अगर एनीमिया से छुटकारा पाना है, तो अंगूर का भरपूर मात्रा में जूस पिएं। इससे आयरन की मात्रा आपके शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखेगी जो थकान और आलसपन से भी दूर रखती है। जिंक, सेलेलियम, कार्बोहाइड्रेट और पॉलिफिनोल्स की मात्रा ब्रेन को एक्टिव रखती है। अंगूर के जूस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून की कमी पूरी हो जाती है।


 

7. अल्जाइमर बीमारी⇒

रेसवेराट्रॉल अंगूर में पाए जाने वाला एक बहुत ही फायदेमंद पॉलीफेनोल है जो अल्जाइमर के मरीजों में एमीलॉइडल बेटा पेपटाइड्स के स्तर को कम करता है। कई रिसर्च में ये पाया गया है कि अंगूर खाने से दिमाग हेल्दी रहता है। ब्रिटेन के साइंटिस्ट्स के अनुसार काले अंगूर में पाए जाने वाले फ्लेवोनॉइड्स का सीधा संबंध नर्व सेल्स से होता है जो याददाश्त सुधारने में मदद करते हैं।


 

8. डायबिटीज⇒

डायबिटीज के रोगियों के लिए अंगूर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। यह शुगर की मात्रा को कम करता है। खून में मौजूद शुगर को नियंत्रित करने में अंगूर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


 

9. दांतों के लिए⇒

हाल ही में हुई एक रिसर्च के अनुसार अंगूर के बीज और रेड वाइन के सेवन से कैविटी और मसूड़ों की समस्या कई प्रतिशत तक कम हो जाती है। ये मुंह की बीमारियों से भी बचाती है।


 

10. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है⇒

विटामिन ए, सी और के का खजाना समेटे अंगूर शरीर को हेल्दी बनाए रखता है। यह खासतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इससे सर्दी, खांसी, जुकाम जैसे संक्रामक बीमारियां शरीर को जल्दी प्रभावित नहीं करतीं।


 

11. मोतियाबिंद⇒

फ्लेवोनॉइड्स में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स सिर्फ त्वचा के लिए ही नहीं, आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होते है। ये मोतियाबिंद जैसी बीमारी से बचाते हैं।


 

12. किडनी के लिए लाभकारी⇒

अंगूर के रस में पानी और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है और एलब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड की मात्रा काफी कम होती है जो किडनी से विषैले तत्वों को बाहर निकालकर उसे स्वस्थ बनाती है।


 

13. गठिया रोग⇒

अंगूर खाने या इसका जूस पीकर गठिया रोग की संभावना को काफी कम किया जा सकता है, क्योंकि ये शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है जो गठिया रोग का मूल कारण होता है।


 

14. त्वचा के लिए⇒

अंगूर में विटामिन ए पाया जाता है, जो त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है। रोजाना सेवन से त्वचा में निखार आता है। साथ ही झुर्रियां भी कम होती हैं। आंखों के नीचे काले घेरो पर अंगूर लगाकर उसे कुछ दिनों में ही दूर भी किया जा सकता है।


 

15. मुंह के छाले⇒

अंगूर मुंह के छालों से भी राहत दिलाता है। इसके रस से कुल्ला करने से मुंह में होने वाले छाले दूर होते हैं।



 

त्वचा के लिए फायदेमंद ♥

त्वचा को हेल्दी रखने में भी अंगूर बहुत गुणकारी होता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इनफ्लेमेटरी तत्व त्वचा के लिए जरूरी तत्वों की पूर्ति करते हैं। साथ ही किसी भी प्रकार के फलों की तरह इसमें भी मौजूद विटामिन सी त्वचा को हेल्दी रखता है।

16. सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है

अंगूर के बीजों और गूदों में मौजूद प्रोएंथोसाइनिडिंस और रेसवेराट्रॉल बहुत ही प्रभावकारी एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। ये सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से त्वचा की रक्षा करते हैं। साथ ही त्वचा पर पड़ने वाले लाल निशान, और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले सेल्स का खात्मा करते हैं। ज्यादातर सनस्क्रीन लोशन में अंगूर का उपयोग किया जाता है।


17. असमय बुढ़ापे को रोकता है⇒

फ्री रेडिकल्स की समस्या चेहरे पर झुर्रियों बनाती है, जो असमय बुढ़ापे का मुख्य कारण होती है। लेकिन अंगूर में मौजूद विटामिन सी, इन समस्याओं से लड़ता है और इससे होने वाले त्वचा के नुकसान को रोकता है। रोजाना केवल 20 मिनट अंगूर के गूदे से चेहरे पर मसाज करके इस समस्या को रोका जा सकता है।


18. त्वचा को कोमल बनाता है⇒

अंगूर के बीजों में विटामिन ई त्वचा में नमी की मात्रा बनाए रखते हैं। त्वचा की डेड सेल्स को हटाने के लिए अंगूर का गूदा एक अचूक उपाय है। जिससे कोमल त्वचा पाई जा सकती है। अंगूर के बीजों का तेल भी त्वचा को कोमल बनाए रखने में काफी मददगार होता है।


19. त्वचा को जवां रखता है⇒

अंगूर में मौजूद ऑर्गेनिक एसिड की मात्रा से त्वचा को जवां बनाया जा सकता है। विटामिन सी कोलेजन के निर्माण में सहायक होता है, जो जरुरी सेल्स के विकास के साथ ही रक्त के प्रवाह को भी बनाए रखता है। ये कई प्रकार की बीमारियों से लड़ता है। यहां तक कि मौसम की मार से भी बचाता है।


20. दाग-धब्बों से छुटकारा⇒

हरे अंगूर की सहायता से चेहरे के दाग-धब्बों के साथ ही पिंपल्स की समस्या को भी खत्म किया जा सकता है। विटामिन सी त्वचा के निशानों को खत्म करने में काफी कारगर होता है। अंगूर को नमक के साथ बांधकर उसे आधे घंटे के लिए पकाया जाए। फिर इसे चेहरे पर 15 मिनट लगाकर हल्के गुनगुने पानी से धो लें।


बालों के लिए फायदेमंद 

घने, चमकदार और लंबे बालों का ध्यान रखना भी एक बहुत बड़ा टास्क होता है। खाने-पीने की अनदेखी और जरूरी पोषक तत्वों की कमी से आजकल डैंड्रफ, दोमुंहे बाल, सफेद बाल और बालों के गिरने की समस्या बहुत आम बात है। लेकिन अंगूर खाकर या इसका जूस पीकर, इस समस्या से तुरंत निजात पाई जा सकती है।

21. लंबे बालों के लिए⇒

अंगूर में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स सिर के रक्त प्रवाह को सही रखते हैं। इससे बाल हेल्दी रहते हैं।इसमें कोई दोराय नहीं कि तेल बालों के विकास में मदद करता है। अंगूर के बीजों का तेल बालों में होने वाले पसीने, उसकी दुर्गंध को दूर करने के साथ ही उसे चमकदार, घना, मुलायम और लंबा बनाने में मदद करता है।


22. रूसी की समस्या खत्म करता है⇒

अंगूर के बीजों के तेल से डैंड्रफ, सिर में खुजली की समस्या दूर होती है। इसमें मौजूद पानी की मात्रा सिर में ज़रूरी नमी की पूर्ति करती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है।


23. बाल गिरने की समस्या से निजात⇒

अंगूर असमय बालों के झड़ने की समस्या को रोकता है। इसके बीजों में मौजूद विटामिन ई और लिनोलिक एसिड बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है। साथ ही दोमुंहे बाल, जो बालों की झड़ने की खास वजह है, उन्हें भी खत्म करता है।


24. अरोमाथेरेपी⇒

हर तरह की त्वचा के लिए फायदेमंद अंगूर के बीज को अरोमाथेरेपी के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।


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पाएं Face टैनिंग से छुटकारा।

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इन घरेलु नुस्खों से पाएं टैनिंग से छुटकारा। 

गर्मियों में, आपको हर महीने बार-बार पार्लर जाना पड़ता है? पूरे दिन धूप में दिन गुज़ारने की वजह से हमारी स्किन में टैनिंग (झुलस जाना) हो जाती है और इसकी वजह से हमें स्किन से जुड़ी कई और समस्याएं जैसे – स्किन पर असमान पैची लेयर, रैशेज़, स्किन में ढीलापन और स्किन एजिंग, को झेलना पड़ता है।

ये आपकी स्किन को बेज़ान और थका हुआ भी बनाती है। ऐसे में पार्लर जाना जरूरी हो जाता है, लेकिन फेशियल, स्क्रब्स और क्रीम पर इतने पैसे खर्च करने के बाद भी हमारी स्किन में कोई फर्क नहीं आता। इस सब के बीच हम भूल जाते हैं कि टैनिंग को खत्म करने के लिए हमारी दादी-नानी के बताए सीक्रेट्स, हमारे ही किचन में छुपे बैठे हैं। विश्वास करें, ये काफी असरदार होते हैं। टैनिंग से छुटकारा पाने के लिए आप भी ये 5 टिप्स जरूर ट्राय करें।

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लेमन जूस, खीरा और गुलाब जल – इन तीनों को समान मात्रा में, एक कटोरी में मिला लें। 2 मिनट के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें। अब एक कॉटन की मदद से चेहरे, पैर और हाथ, जहां-जहां टैनिंग हो इसे लगाएं। जहां खीरे का जूस और गुलाब जल एक कूलिंग एजेंट की तरह काम करके, आपकी ब्लेमिश्ड (जली हुई) स्किन को आराम पहुंचाएगा। वहीं, लेमन जूस एक ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम करके टैनिंग को खत्म करेगा।
इसी तरह आप, शहद और लेमन जूस का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। लेमन (आधा लेमन लें) में एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे अपनी स्किन पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। आप चाहें तो लेंमन जूस की जगह नाशपाती का जूस भी इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर आप इसे हर एक दिन बाद इस्तेमाल करेंगी तो आपको जल्द ही इसके रिजल्ट नज़र आने लगेगा।

टमाटर, दही और लेमन जूस – मुहांसे और एजिंग की वजह से होने वाले पिग्मेंटेशन और डार्क स्पॉट को कम करने में ये काफी मददगार होते हैं. एक कटोरी में, दो चम्मच टमाटर का छिलका, एक चम्मच दही और लेमन जूस लें और इन्हें अच्छी तरह से मिलाएं। इसे टैनिंग वाले एरिया पर 30 मिनट लगाकर कर रखें और फिर ठंडे पानी से धो लें। इस मिक्सचर में टमाटर होने की वजह से शायद आपको थोड़ी खुजली भी हो, पर आप घबराए नहीं और फेस पैक को अपना काम करने दें।

दूध और पपीता – मैश्ड किया पपीता और दूध का गाढ़ा पेस्ट बना लें और लगाएं। इसके सूख जाने के बाद इसे ठंडे पानी से धो लें। अगर आपके पास ज़्यादा टाइम नहीं है तो टैनिंग वाले एरिया में पपीते के छिलके को रगडें। इसके अलावा आप मिल्क पाउडर भी इस्तेमाल कर सकती हैं। एक कटोरी में दो चम्मच मिल्क पाउडर, एक चम्मच शहद और आलमेंड ऑयल के कुछ ड्रॉप्स डालकर फेस पैक तैयार करें। इसे टैनिंग वाले एरिया पर 20 मिनट लगाकर रखने के बाद धो लें। अगर आपकी स्किन सेंसटिव है तो ये आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन है।
 


हल्दी और लेमन जूस – एक कटोरी में एक चम्मच हल्दी, 3 चम्मच लेमन जूस और एक चम्मच नारियल तेल लें। इनका पेस्ट तैयार करें और 30 मिनट के लिए लगाएं। जैसे ही ये सूखने लगे, इसे स्किन से हटा दें। कुछ ही मिनटों में आपकी स्किन चमकनेलगेगी। ये ऑयली और सेंसटिव स्किन के लिए अच्छा ऑप्शन है।

तेल – 4 चम्मच तिल का तेल, एक-एक चम्मच ऑलिव ऑयल और ऑलमेंड ऑयल मिलाएं। इन्हें अपनी स्किन पर 20 मिनट के लिए लगाएं और फिर गरम पानी और बेसन को स्क्रबर की तरह इस्तेमाल करके इसे हटाएं। अगर आपकी स्किन ड्राय है तो ये आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन है क्योंकि ये आपकी स्किन को मॉइश्चराइज़ करके, डेड स्किन को हटा देगा।

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त्वचा की देखभाल – सरल आयुर्वेद नुस्खे।

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त्वचा की देखभालसरल आयुर्वेद नुस्खे।

आजकल अधिकांश लोग खुद को खूबसूरत बनाने के लिए ढेरो कॉस्मेटिक प्रोडक्ट यूज करते हैं। ऐसे में कई बार उन्हें इन प्रोडक्ट के रिएक्शन भी झेलने पड़ते हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें अब अपनी जड़ों तक जाना होगा, यानी सदियों से चला रहा परंपरागत हर्बल ज्ञान अपनाना होगा। आज हम कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खों का जिक्र करेंगे, जिनका उपयोग करके सालों से महिलाएं अपना सौंदर्य निखारती आई हैं।

 

1- खीरा एक ऐसी गुणकारी फल है, जिसका सेवन सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिए। साथ ही, खीरा स्किन के लिए भी बहुत लाभदायक माना जाता है। इसे खाने से शरीर की गर्मी छंट जाती है। स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए चेहरे पर खीरे का जूस बनाकर या खीरे का पेस्ट बनाकर लगाएं।

 

2- यदि आपके चेहरे पर काले धब्बे हैं तो आलू की स्लाइस लेकर हल्के-हल्के से मसाज करें। आलू का जूस चेहरे पर लगाएं। रोज इसे चेहरे पर लगाने से चेहरा निखर जाता है।

 

3- नारियल पानी बहुत ही गुणकारी होता है। इसीलिए रोजाना नारियल पानी पीने से चेहरा चमकने लगता है। नारियल पानी से चेहरा धोने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। नारियल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से रंग निखरने लगता है।

 

4- दो चम्मच टमाटर का रस और आधा चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट के बाद धो लें। चेहरा कांतिवान दिखेगा।

 

5- कई इलाकों में पारंपरिक हर्बल वैद्य शहद के साथ फेस पैक तैयार करते हैं। इन जानकारों के अनुसार बेसन, शहद, जैतून, दूध मलाई को मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इस मिश्रण में 3 चम्मच बेसन, शहद, दूध मलाई और जैतून के तेल का 1-1 चम्मच मिलाएं। चेहरे पर लगाएं और करीब 20 मिनट बाद इसे साफ पानी से धो लें।

 

6- आयुर्वेद में हल्दी को रंगत निखारने वाली सबसे बेहतरीन औषधि माना जाता है। दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी रंगत निखरती है। बेसन के उबटन में हल्दी मिलाकर लगाने से भी चेहरा ग्लौ करने लगता है।

 

7- दही कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर है। दही खाने और लगाने, दोनों का फायदा चेहरे पर दिखाई देने लगता है। रोज सुबह एक चम्मच दही लेकर चेहरे पर मसाज करें। सूखने के बाद चेहरा धो लें। इस नुस्खे को नियमित रूप से करने पर रंग गोरा हो जाता है और पिंपल्स भी खत्म हो जाते हैं।

 

8- केला त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है। पके हुए केले को अच्छी तरह से मैश कर लें। उसे चेहरे पर फेस पैक की तरह लगाएं। करीब 15 मिनट बाद इसे धो लें। चेहरा धुल जाने के बाद रक्त चंदन का लेप करें। माना जाता है कि ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में जबरदस्त निखार आता है।

 

9- स्ट्राबेरी के पके हुए फलों को मैश करके चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद इसे धो लें तो यह चेहरे के लिए टॉनिक की तरह काम करता है।

 

10- दो चम्मच टमाटर का रस और आधा चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट के बाद धो लें। चेहरा कांतिवान दिखेगा।

 

11- टमाटर एंटीऑक्सीडेंट व पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसीलिए यह स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप सांवले रंग से परेशान हैं, तो टमाटर को पीसकर इसका पेस्ट चेहरे पर लगाएं। चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे और रंग निखरने लगेगा।

 

12- अंडे का पीला भाग यानी जर्दी को चेहरे पर लगाने से रंग गोरा हो जाता है। अंडे में शहद और नींबू मिलाकर लगाएं। जब पैक सूख जाए तो ठंडे पानी से चेहरा धो लें। स्किन ग्लौ करने लगेगी।

 

13- स्किन को गोरा बनाने के लिए एक पपीता का टुकड़ा पीस लें। यह गाढ़ा पेस्ट अपने चेहरे पर लगाएं। एक घंटे तक यह पेस्ट चेहरे पर लगा रहने दें। फिर चेहरा धो लें। यह नुस्खा नियमित रूप से दोहराने पर रंग गोरा होने लगता है।

 

14- तुलसी भगवान का उपहार है। यह सिर्फ बीमारियों को ठीक नहीं करती है, बल्कि स्किन के लिए भी टॉनिक का काम करती है। तुलसी के कुछ पत्ते लेकर उनका जूस बना लेंं। इस जूस का हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। कुछ देर रहने दें और फिर गुनगुने से पानी चेहरा धो लें। ऐसा रोज करने से धीरे-धीरे रंग गोरा होने लगता है।

 

15- नींबू स्किन के लिए एक चमत्कारी दवा की तरह काम करता हैं। रंग निखारने के लिए नींबू का रस चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद चेहरा धो लें। नींबू के रस में टमाटर का रस मिलाकर लगाने से भी त्वचा की सफाई हो जाती है और रंग गोरा होने लगता है।

 

16- संतरा विटामिन सी से भरपूर होता है। इसे स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। संतरा खाने और लगाने से भी त्वचा सेहतमंद हो जाती है। त्वचा का रंग निखारने के लिए रोज संतरे का जूस बनाकर चेहरे पर लगाएं।

सूखने पर इसे धो लें। यदि चेहरे पर दाग-धब्बे हैं तो संतरे के छिलकों का उपयोग करें। संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर की एक चम्मच मात्रा में कच्चा दूध मिलाकर उसे चेहरे पर लगाएं। रंग निखरने लगेगा।

 

17- यदि आप अपनी स्किन की केयर करने के लिए एक्स्ट्रा टाइम नहीं निकाल पाते हैं तो दूध और केसर का उपयोग करें। थोड़े-से दूध में केसर की पत्तियों को पीस लें। इस दूध से चेहरे की मसाज करें। कुछ देर रहने दें। फिर चेहरा धो लें। रंग निखर जाता है और फेस ग्लौ करने लगता है।

 

18- दूध त्वचा के लिए टोनर का काम करता है। कच्चे दूध से चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो लें। रंग गोरा हो जाएगा।

 

19- कश्मीर में महिलाएं सेब के रस का उपयोग अपने सौंदर्य को निखारने के लिए करती हैं। सेब लेकर उसे कुचलकर रस तैयार करें। इस रस को चेहरे पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें। यह काम नियमित रूप से करने पर पिंपल्स और दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं और चेहरा चमकने लगता है।

 

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

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किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।

जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होता वहाँ थकावट होती है और थका हुआ कभी सफल नहीं होता।

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अमरूद के फायदे अनेक।

Kmsraj51 की कलम से…..

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अमरूद के फायदे अनेक।

सर्दियों में हेल्थ को फिट रखने के लिए काफी सारे ऑप्शन होते हैं, क्योंकि इस सीज़न में फल और सब्जियों की भरमार होती है। सर्दियों में जितनी जल्दी वजन बढ़ता है, उतनी ही जल्दी आप डाइट कंट्रोल भी कर सकते हैं। आज हम आपको अमरूद के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सस्ता और सेहत के लिहाज से बहुत ही फायदेमंद है।

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अमरूद के फायदे

1- मुंह में छाले होने पर: अगर आपके मुंह में छाले हो गए हैं या फिर अक्‍सर आपको माउथ अल्‍सर की प्रॉब्‍लम बनी रहती है तो आप अमरूद की नई-नई कोमल पत्तियों को सेवन करें। इससे आराम मिलता है।

2- बॉडी को फिट  रखने के लिए: अमरूद में मौजूद पौष्टिक तत्‍व शरीर को फिट और फाइन रखने में मदद करते हैं, लेकिन अमरूद सही समय पर खाया जाए। रात में अमरूद खाने से खांसी होने का डर रहता है।

3- ज्यादा कब्‍ज होने पर : अमरूद बॉडी के मेटाबॉल्जिम को बैलेंस रखता है। इस वजह से इसके सेवन से कब्‍ज से छुटकारा मिल जाता है।

4- आंखों को बनाए स्‍वस्‍थ : अमरूद में विटामिन ए की मात्रा काफी होती है जो आंखों को स्‍वस्‍थ बनाए रखती है। इसके अलावा, अमरूद में विटामिन सी भी होता है जो बीमारियों को दूर भगाता है।

5- स्किन ग्‍लो करने के लिए: अमरूद में मौजूद पोटैशियम के कारण इसके नियमित सेवन से स्‍किन ग्‍लो करने लगती है और कील-मुंहासों से भी छुटकारा मिलता है।

6- अमरूद खाकर मोटापा घटा सकते हैं: मोटापे की मुख्‍य वजह बॉडी का कोलेस्‍ट्रॉल होता है। अमरूद में मौजूद तत्‍व कोलेस्‍ट्रॉल को कम कर देते हैं। इससे मोटापा घट जाता है। तो अगली डाइटिंग शेड्यूल में अमरूद को शामिल करना न भूलें।

7- नशे को कम करता है : अगर किसी व्‍यक्ति को भांग का नशा भयंकर चढ़ गया हो तो उसे अमरूद के पत्‍तों का रस पिलाने से नशा कम हो जाता है। रस की जगह अमरूद के पत्‍तों को भी खिलाया जा सकता है, बशर्ते नशे का शिकार व्‍यक्ति उसे अच्‍छे से चबा ले।

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8- महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने के लिएअमरूद में फोलेट की मात्रा अधिक होती है। इससे महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ती है। अगर किसी भी महिला को मां बनने में परेशानी आ रही हो तो रोज़ अमरूद खाना चाहिए।

9- विटामिन सी: आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमरूद में संतरे से चार गुना ज्यादा विटामिन सी होता है। विटामिन सी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और कैंसर से लड़ने में मददगार होते हैं।

10- पोटैशियन और सोडियम: अमरूद में मौजूद पोटैशियम शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है। इससे ब्लड प्रेशर का संतुलन बना रहता है। साथ ही, कोलेस्ट्रॉल स्तर भी कम होता है।

11- डायबिटीज: अमरूद के सेवन से खून में शुगर का स्तर कम होता है, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है। यह शुगर को डाइजेस्ट करने और इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करता है।

12- थायरॉइड: अमरूद में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। इससे थायरॉइड की समस्या में आराम होता है। इससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बना रहता हैं।

13- ब्लड सर्कुलेशन के लिए: अमरूद में विटामिन बी अच्छी मात्रा में उपलब्ध है। साथ ही, नायसिन भी है जिससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। ब्लड सर्कुलेशन सही होने पर दिमाग भी तेज होता है। इसके अलावा पायरीडॉक्सीन नामक तत्व दिमाग और नसों के लिए फायदेमंद है, जो अमरूद में पाया जाता है।

Source: http://www.bhaskar.com

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