Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ जीतने की प्रबल इच्छा। ϒ
यह बात बहुत समय पहले कि है, एक महान शुरवीर योद्धा अपने दुश्मन राज्य से जब युद्ध करने जा रहा था, ताे उसने देखा की उसके सैनिकों में दुश्मनाें से युद्ध करने काे लेकर भय हैं। भय का मुख्य कारण था, दुश्मन राज्य के सैनिकों की संख्या बहुत अधिक थी।
युद्ध करने के लिए सागर के पार जाना था। वह महान शुरवीर योद्धा अपने सभी सैनिकों के साथ बड़े समुद्री जहाजाें व बड़े नावाें से सागर के किनारे पहुँचने पर सारे जहाजाें और नावाें काे जला दिया।
फिर उस महान शुरवीर योद्धा ने अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए बाेला अगर आप सभी काे वापस घर जाना है, ताे हर हाल में हम सभी काे दुश्मनाें से जीतना ही हाेगा, क्योंकी वापस जाने के लिए नाव व जहाज अब नहीं रहे । अगर हम सभी दुश्मनाें से युद्ध ना जीत पाए ताे यही मारे जायेगे। इसलिए हर हाल में हम सभी काे दुश्मनाें से युद्ध जीतना ही हैं।
साेचियें मित्रों क्या हुआँ हाेगा।
वह महान शुरवीर योद्धा, युद्ध जीत गया था। सभी सैनिकों काे आंतरिक प्रबल इच्छा शक्ति का एहसास हाे गया था।
सीख: अगर किसी भी कार्य काे करने की प्रबल आंतरिक दृढ़ इच्छा हाे, ताे सफलता जरूर मिलेगीं।
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आप सभी का प्रिय दोस्त,
Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
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