परीक्षा के डर को बाहर कैसे निकाले।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ परीक्षा के डर को बाहर कैसे निकाले। ϒ

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फरवरी व मार्च महीने में पूरे साल की पढ़ाई का Exam हाेता है, किसने क्या पढ़ा ? कैसे पढ़ा, कितना पढ़ा ? पढ़े हुए काे समेट कर परीक्षा हॉल में पन्नों पर आपकाे उतारना हाेता है। माता-पिता Results की चिंता में, बच्चे अच्छे अंक लाने की फिक्र में।

इस चिंता से, इस फिक्र से निजात दिलाने के लिए क्या उचित से उचित कदम उठाये जा सकते हैं इसके लिए हम आपकाे कुछ आसान व हल्की टिप्स देना चाहते हैं। जिससे आप Exam भी अाराम से दे सकेंगे व सफलता भी अर्जित कर सकेंगे।

कैसे करें शुरूआत – सबसे पहले आपके जितने भी विषय हैं उनका रिवीज़न बारी-बारी से करना चाहिए। रिवीज़न करते समय आपके हाथ में कागज़ व पेन अवश्य हाेना चाहिए। ज्यादातर छात्र गलती क्या करते हैं कि वे रिवीज़न के नाम पर पुस्तक काे एक बार सरसरी ताैर पर देख भर लेते हैं, लेकिन जब तक आप उसे बार-बार लिखेंगे नहीं ताे पढ़ना व्यर्थ चला जाता है।

सॉल्वड पेपर का सहारा – आजकल बाजार में अनसॉल्वड पेपर के साथ, सॉल्वड पेपर भी हर विषय के उपलब्ध हैं। जिस भी विषय पर आपकाे पकड़ बनानी हैं, उस विषय का सॉल्वड पेपर आपकाे लेना है। इसलिए मैं यह बात कह रहा हूँ कि उसमें प्रश्न के अनुसार से उत्तर लिखा हाेता है। जितने नंबर का प्रश्न, वैसा ही उत्तर। हमारा समय बच जाता है। आपने यदि बार-बार हल कर लिया ताे आप उसे Exam के समय सहजता से कर पायेंगे।

राेज़ तीन घंटे घर पर ही परीक्षा दें – सबसे अच्छा तरीका अपने डर के ऊपर जीत पाने का है कि आप घर में ही राेज़ परीक्षा क्यों न दें! इससे आपका डर भी भाग जायेगा। परीक्षा हॉल की तरह का माहाैल हाे, उसी तरह खुद ही खुद का इनविजीलेशन करें और विश्वास से अपने तीन घंटे का समय पूरा करें। आप पायेंगे कि आप सहजता से Exam काे क्रॉस कर जायेंगे।

टी.वी. इंटरनेट आदि से कुछ समय दूर रहें – इस समय बच्चों काे थाेड़ा मनाेरंजक चीज़ाें से दूर रहना चाहिए। यह कुछ समय के लिए यदि त्याग कर देते हैं ताे आपका भाग्य हमेशा के लिए बन जायेगा। वैसे भी यह Exam के समय हमारी दिशा काे बिगाड़ भी सकते हैं। वैसे इस जीवन में आपकाे सभी के साथ पढ़ते रहने के लिए इन चीज़ाें की आवश्यकता ताे है लेकिन यही सब कुछ नहीं है इसलिए थाेड़ी इससे दूरी बनाएं ताे अच्छा।

सुबह उठकर करें थाेड़ा ध्यान – अपने भीतर छिपे डर पर विजय पाने के लिए सुबह मन काे सकारात्मक ऊर्जा से भरें। सुबह उठते ही मन शांत हाेता है, यदि उस समय आप यह संकल्प करें कि मैं सफल हाे ही जाऊगा। मेरा पेपर अच्छा ही हाेगा। सब कुछ मेरे जीवन में आगे भी अच्छा हाेने वाला है। यह संकल्प आप जितनी बार दाेहरायेंगे, मन अच्छा हाेगा और आप सकारात्मक दृष्टि से सिर्फ अपने कार्य पर फाेकस हाे जाएंगे।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

 

 

बोर्ड परीक्षा की तैयारी ~ Board Exam preparation methods !!

::- Krishna Mohan Singh(kmsraj51) …..

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कुछ छात्रों में बोर्ड परीक्षा को लेकर एक अजीब सा डर रहता है। पूरी तैयारी के बावजूद भी उन्हें मुश्किलें आती हैं। बोर्ड परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी के अलावा जरूरी है कि इसे पूर्ण रूप से नियोजित बनाएँ।

व्यवस्थित रूप से की गई पढ़ाई द्वारा कोई भी विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है। यह आवश्यक है कि पहले अपेक्षाकृत आसान अध्यायों का अध्ययन करके, उसके पश्चात उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम अंक प्राप्त कर सकें। तत्पश्चात अपेक्षाकृत कठिन अध्यायों की ओर जाना चाहिए। परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है-

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* हमेशा लिखकर याद करें। इससे गलतियों की संभावना कम होगी।

* रटकर याद करने से बचें। इससे आशंका पूरी तरह नहीं समाप्त होती है। किसी भी विषय के मूल को पहले समझने का प्रयास करें।
कुछ छात्रों में बोर्ड परीक्षा को लेकर एक अजीब सा डर रहता है। पूरी तैयारी के बावजूद भी उन्हें मुश्किलें आती हैं।
बोर्ड परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी के अलावा जरूरी है कि इसे पूर्ण रूप से नियोजित बनाएँ।

* समय-समय पर अपने पाठ को दोहराते रहें और प्रतिदिन इसके लिए कम से कम आधे घंटे का समय निकालें।

* सैंपल पेपर में से पहले उन प्रश्नों को छाँटकर निकाल लें, जिसके उत्तर आपको नहीं आ रहे हैं।

* अंकों के प्रश्न हल करते वक्त हमेशा फार्मूला लिखें, उसके बाद प्रश्न को इस फार्मूले के आधार पर हल करें।

* हल हो चुके प्रश्नों का महत्व समझें और प्रश्न करने के पश्चात अपने उत्तर को हल से अवश्य मिलाएँ।

* लॉग व एंटीलॉग प्रश्नों का अधिक अभ्यास करें।

* भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र आदि विषयों के फार्मूले बनाकर उन्हें अपने कमरे की दीवार पर लगा लें, जिससे चलते-फिरते आप उन्हें दोहरा सकें।

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परीक्षा में कैसे करवाएं बच्‍चे की तैयारी।

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परीक्षा में कैसे करवाएं बच्‍चे की तैयारी।

(How to teach children in exam preparation)

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बच्‍चों के सिर पर एक्‍ज़ाम का फीवर फिर से आ धमका है। जितने दिनों के लिए एक्‍ज़ाम चलता है उतने दिन न केवल बच्‍चे बल्कि उनके मम्‍मी-पापा भी परेशान रहते हैं। अपने ऊपर कॉनफिडेंस न होना और तनावा होने की वजह से बच्‍चे अपना उत्‍तर गलत कर देते हैं। रिजल्‍ट में क्‍या होगा और कम नंबर आए तो मम्‍मी-पापा क्‍या कहेगें, इन सब सवालों से घिरे बच्‍चे दिमागी रूप से बीमार पड़ जाते हैं। इसके लिए पेरेंट्स को एक्‍ज़ाम के समय अपने बच्‍चों का दोस्‍तों की तरह साथ देना चाहिये और उन्‍हें इससे न डरने के लिए प्रेरित करना चाहिये।

चलिए जानते हैं एक्‍ज़ाम फीवर से बच्‍चों को बचाने का तरीका।

कैसे करें बच्‍चों की मदद –

1. बच्‍चे के एक्‍ज़ाम के 2-3 हफ्ते से पहले ही तैयारी करना शुरु कर दें। उनका पूरा स्‍लेबस देख कर यह निर्णय लें कि उन्‍हें कहां से तैयारी शुरु करवानी है।

2. देरी करने से कोई फायदा नहीं होता है, इससे बच्‍चे एक्‍ज़ाम का दिन आते-आते घबराने लगेगें। अच्‍छा होगा कि आप सबसे पहले उन बिंदुओं पर ध्‍यान दें जिसमें आपका बच्‍चा कमज़ोर है।

3. कामकाजी पेरेंट्स बच्‍चों के ऊपर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दे पाते इसलिए वह अपने बच्‍चों को प्राइवेट ट्यूशन में भेज कर पढ़वाते हैं। इसलिए जब बच्‍चे वापस पढ़ कर आएं तब उनसे क्‍लास में क्‍या-क्‍या पढ़ाया गया है, जरुर पूछें।

4. जो माताएं बाहर काम कारती हैं, वह घर से निकलने से पहले अपने बच्‍चे को होमवर्क दे कर जाया करें। जब वापस आएं तो उसका होतवर्क जरुर चेक करें और अगर काम अच्‍छा हो तो उसकी तारीफ भी करें। इसे बच्‍चे का मनोबल बढ़ता है और उसे एक्‍ज़ाम का प्रेशर झेलने की ताकत भी आती है।

5. उसका हमेशा लिखित टेस्‍ट लेती रहा करें। यह एक अच्‍छा माध्‍यम है एक्‍ज़ाम की तैयारी करने का। सबसे पहले अपने बच्‍चे को एक पाठ रटने के लिए बोलें और फिर उससे वह पाठ पूरा सुने। जब बच्‍चा वह पाठ ठीक से सुना दे तब दूसरे दिन उसका रिटन टेस्‍ट लें।

6. अगर आपको लगता है कि बच्‍चा मन लगा कर तैयारी नहीं कर रहा है तो उसके प्रति थोड़ा सा सख्‍त व्‍यावहार अपनाएं। उसे एक्‍ज़ाम में फेल होने के प्ररिणाम बताएं जिससे वह थोड़ा सीरियस हो जाए। पर कभी भी बच्‍चे को मारे-पीटे नहीं वरना वह निराश हो जाएगा और किताबों के प्रति उसका लगाव भी कम हो जाएगा।

7. रिवीजन बहुत जरुरी है। इससे बच्‍चे को पाठ याद रखने में बहुत मदद मिलेगी। हर दूसरे दिन बच्‍चे से पुराना पढ़ाया गया पाठ पूछें। जिस दिन बच्‍चा एक्‍ज़ाम देने के लिए जा रहा हो तब उसको सुबह जल्‍दी उठा दें और रिवीजन करने को बोलें।

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* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

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* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

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किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।

जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होता वहाँ थकावट होती है और थका हुआ कभी सफल नहीं होता।

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  • हमेशा लिखकर याद करें। इससे गलतियों की संभावना कम होगी।
  • रटकर याद करने से बचें। इससे आशंका पूरी तरह नहीं समाप्त होती है। किसी भी विषय के मूल को पहले समझने का प्रयास करें।
  • कुछ छात्रों में बोर्ड परीक्षा को लेकर एक अजीब सा डर रहता है। पूरी तैयारी के बावजूद भी उन्हें मुश्किलें आती हैं। बोर्ड परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी के अलावा जरूरी है कि इसे पूर्ण रूप से नियोजित बनाएँ।
  • समय-समय पर अपने पाठ को दोहराते रहें और प्रतिदिन इसके लिए कम से कम आधे घंटे का समय निकालें।
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  • अंकों के प्रश्न हल करते वक्त हमेशा फार्मूला लिखें, उसके बाद प्रश्न को इस फार्मूले के आधार पर हल करें।
  • हल हो चुके प्रश्नों का महत्व समझें और प्रश्न करने के पश्चात अपने उत्तर को हल से अवश्य मिलाएँ।
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* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

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* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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परीक्षा से पहले, परीक्षा के दौरान।

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Before the examination, the examination.

शरीर की तरह आपके दिमाग को भी बेहतर काम करने के लिए व्यवस्थित रहना जरूरी है। इसके लिए कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं। इनसे न सिर्फ आपका दिमाग तेज गति से काम करने लगेगा, बल्कि परीक्षा के लिए किसी भी पाठ को याद रखना आसान हो जाएगा।

आप दिमागी कसरत करने के लिए अपने आपको तैयार करें। दिमागी कसरत शारीरिक कसरत से भिन्न होती है। हमारे देश में शतरंज ईजाद किया गया तो इसीलिए कि यह दिमाग की सबसे कठिन और जोरदार कसरत है। खैर शतरंज तो सभी नहीं खेलते हैं, लेकिन क्रासवर्ड पजल्स या कम्प्यूटर पर दिए गए गेम सालिटायर को तो लगभग सभी पसंद करते हैं। आप इनसे शुरुआत कर सकते हैं। आप यदि यह भी नहीं करना चाहते हैं तो आसान तरीका है साधारण स्तर के गुणा-भाग अथवा जोड़-घटाव करना।

हफ्ते में एक बार कोई कविता या जोक याद करने की कोशिश करें। इससे आपका दिमाग शेप में रहेगा और इसकी ताकत भी बढ़ेगी। हमेशा कुछ नया करने की सोच रखिए। नए-नए आइडियाज को सामने आने दें। इसके लिए एक बच्चे की तरह सोचना ही काफी है। बच्चे सकारात्मक ऊर्जा, विस्मित भाव और उत्सुकता से सोचते हैं।

अपने आपको दिवास्वप्न देखने दीजिए। इससे मस्तिष्क तीक्ष्ण होगा और उसकी ताकत भी बढ़ेगी। अपने आपको केवल एक ही व्यक्ति न बनने दें। एक ही व्यक्ति में बहुत सारे व्यक्तित्व पैदा कीजिए। जितने अधिक हो सकें, उतने तरीकों से सोचिए।

परीक्षा का भय?

कई विद्यर्थियों को परीक्षा के बारे में सोचकर ही बेचैनी महसूस होने लगती है। मन में कई विचार घूमने लगते हैं, -‘क्या मैं सभी प्रश्नों का उत्तर दे पाउंगा?’ ‘थोड़ा और पढ़ लेता तो अच्छा होता’आदि। ये विचार लगभग हर विद्यार्थी को परेशान करते हैं। थोड़ा-बहुत दबाव बेहतर प्रदर्शन के लिए मददगार होता है। इससे शरीर में एड्रिनलिन हारमोन स्त्रावित होता है जो व्यक्ति को सचेत और फोकस्ड बनाए रखता है।

हल्का तनाव या दबाव होना स्वाभाविक है लेकिन ज्यादा घबराहट परेशानी का सबब बन जाती है। यह व्यक्ति के चारों ओर एक नकारात्मक घेरा बना देती है और फिर वो एकाग्र होकर सोच-समझ नहीं पाता। इसका बुरा प्रभाव पड़ता है प्रदर्शन पर क्योंकि विद्यार्थी न तो प्रश्नों पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाता है और न सटीक उत्तर ही दे पाता है। ऐसे कई उपाय हैं जिनसे परीक्षा का भय दूर किया जा सकता है ताकि विद्यार्थी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

परीक्षा से पहले।

अपना कोर्स समय रहते पढ़ लें और उसका रिविज़न भी कम से कम एक दिन पहले ही पूरा कर लें। ऐन वक्त तक पढ़ते रहने से तनाव बढ़ता है। चित्त स्थिर रखने और मन शांत करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं, किसी को संगीत सुनने पर सुकून मिलता है तो किसी को व्यायाम करने से या फिर कुनकुने पानी से स्नान करना भी अच्छा तरीका हो सकता है। अपने लिए रिलेक्स करने का ऐसा ही कोई तरीका चुनें।

परीक्षा के दिन और उससे एक दिन पहले इस तरह के उपाय बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। जो कुछ भी आपने पढ़ा है उसे याद रखने में ये सहायक होते हैं और आत्मविश्वास बढ़ताता है। एग्जाम सेंटर का रास्ता पता न होना भी घबराहट का कारण बन सकता है। इस बारे में पहले ही जानकारी जुटा लें और संभव हो तो एक बार खुद वहां जाकर देखें। इससे ऐन वक्त की हड़बड़ी से बच जाएंगे। परीक्षा के नियमों को ध्यान से पढ़ लें। परीक्षा से पहले की रात नींद पूरी करें।

परीक्षा के दौरान।

‘मुझे कुछ नहीं आता’। पढ़ाई नहीं की हो तो ये ख्याल परेशान कर सकता है लेकिन अच्छे से पढ़ने पर भी ऐसे विचार उत्पन्न होना घबराहट के संकेत हैं। तनाव के कारण विद्यार्थी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। कई तो प्रश्न भी ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं। इससे बचने के लिए ये उपाय कर सकते हैं-

A. परीक्षा कक्ष में सही समय पर पहुंचें।

B. कक्ष में पहुंचकर लंबी-गहरी सांसें लें और छोड़ें। घबराहट में अक्सर लोग ठीक से सांस नहीं लेते हैं। गहरी सांस लेते हुए अपनी पीठ एकदम सीधी कर लें।

C. आपके सामने रखी किसी स्थिर निर्जीव वस्तु (दीवार, तस्वीर, आदि) की ओर देखकर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।

D. मन में कोई सकारात्मक बात दोहराएं जैसे – मैं ये परीक्षा पास करने वाला हूं। 1-2 मिनिट तक यही दोहराते रहें और फिर सामान्य रुप से सांस लें। शांति अनुभव करेंगे।

E. प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें। यदि परीक्षा के बीच बीच फिर से घबराहट होने लगे तो फिर से एकाग्रता के उपाय दोहराएं।

F. प्रश्नपत्र सॉल्व करने की रणनीति तय कर लें। कौनसे प्रश्न पहले सॉल्व करेंगे आदि और बिना समय बर्बाद किए उत्तर लिखना शुरु कर दें।

याददाश्त के टिप्स…..

किसी भी बात को याद रखने के लिए दिमाग उस बात का अर्थ मूल्य और औचित्य के आधार पर तय करता है। दिमाग की प्राथमिकता भी इसी क्रम में काम करती है। याद रखने की सबसे पहली सीढ़ी है अर्थ जानना, अतः किसी भी बात को याद रखने से उसका अर्थ जरूर समझिए।

यदि अर्थ ही समझ में नहीं आया है तो रटने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए पहले जिस बात या पाठ को याद रखना है, पहले उसका अर्थ समझिए, फिर उसका महत्व और मूल्य समझिए इसके बाद आपके जीवन में उस बात का क्या औचित्य है यह जानिए।

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किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।

जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होता वहाँ थकावट होती है और थका हुआ कभी सफल नहीं होता।

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भटके तो अटके ~ So get lost, stuck !!

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** भटके तो अटके ~ So get lost, stuck !! **

टाइम टेबल बनाकर पढ़ने के लिए किताबें लेकर बैठ जाना ही काफी नहीं होता है। इससे ज्यादा जरूरी है कि कम या ज्यादा जितनी देर भी आपने पढ़ाई की है उस दौरान के विषयों को आत्मसात कितना पर पाए हैं। अमूमन ऐसे छात्र, जो नियमित पढ़ाई में विश्वास नहीं रखते और सिर्फ परीक्षा सिर पर आने की स्थिति में ही पुस्तकों की धूल झाड़ते नजर आते हैं, को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है।

कहने को तो 18 घंटे की पढ़ाई होती है पर असल में ध्यान नहीं लगा पाने के कारण अधिकांश बातें याद नहीं रह पाती हैं। चूंकि संपूर्ण कंसंट्रेशन के साथ पढ़ाई करने की आदत नहीं होती है इसीलिए दिमाग और मन भटकाव की स्थिति में रहते हुए चंचल व्यवहार करता है।

पुस्तक सामने होने के बावजूद यार दोस्तों, हंसी मजाक अन्यथा अन्य बातें रह रह कर मन में आती हैं और जाहिर है, इससे ध्यान उलझ जाता है। प्रस्तुत लेख में कुछ इस तरह की परेशानियों के निदान के संबंध में आसान से टिप्स देने का प्रयास किया जा रहा है।

1. पढ़ाई के प्रारंभिक दिनों में जानबूझकर आसान टॉपिक्स का चयन करना चाहिए। इससे विषय समझने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी और साथ ही साथ दिमाग भी पढ़ाई के प्रति अभ्यस्त होता जाएगा।

2. नए और कठिन विषयों की शुरुआत से पहले अपने सहपाठियों अथवा अध्यापकों की मदद से अपने मन में उक्त विषय के प्रति दिलचस्पी जगाने का प्रयत्न करें। इससे विषय का परिचय मिलता है और स्वयं पढ़ाई करने में समझना आसान हो जाता है।

3. लिखकर विभिन्न विषयों को समझने का क्रम आमतौर से ध्यान भटकने से रोकने में काफी सहायक माना जाता है।

4. ध्यान बाँटने वाले तमाम कारक जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर, इंटरनेट, वीडियो गेम्स टेलीविजन आदि से जितनी दूरी बना सकें, उतनी ही आसानी होगी ध्यान केंद्रित करने में।

5. हमेशा ताजगी भरे दिमाग और पर्याप्त आराम के बाद ही पढ़ाई के लिए बैठना उपयुक्त होता है। इससे थकान नहीं होती और मुश्किल टॉपिक्स भी सरलता से समझ आने लगते हैं।

6. ध्यान केंद्रित करने के लिए चाय या कॉफी अथवा किसी नए प्रकार के सहारे से नुकसान ज्यादा और फायदा कहीं कम होता है।

7. सही जगह का ही अध्ययन के लिए चुनाव करना चाहिए। घर का कोई भी ऐसा शांत कोना जहां शोरगुल कम से कम हो तथा टीवी- रेडियो “म्यूजिक की आवाज से बचा जा सके। इस तरह के अध्ययन के लिए उपयुक्तकहा जा सकता है।

8. स्टडी टेबल पर आते समय ढेर सारे काम या पढ़ाई का बोझ डालना उचित नहीं है। इससे पढ़ाई में कम और इस मानसिक बोझ पर ध्यान ज्यादा लगा रहता है।

9. ब्रह्ममुहूर्त या तड़के सुबह का समय (4 बजे प्रातः) अध्ययन करने की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त कहा जा सकता है। रात भर की नींद के बाद तन-मन और दिमाग में ताजगी होती है और साथ में इस वक्त बिलकुल शांति होती है।

10. संपूर्ण दिन एक ही विषय की पढ़ाई करते रहने से दिमागी थकान होनी स्वाभाविक है। इसीलिए तीन विषयों की पढ़ाई समय बांट कर करना अधिक प्रभावी होगा।

11. किसी विषय के प्रति दिमाग में फोबिया नहीं पालें और थोड़ा-थोडा पढ़ने से कुछ समय बाद यही विषय सबसे आसान प्रतीत होने लगेगा।

Note::-


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कैसे बचें एग्जाम फीवर से ~ How to Avoid Exam Fever !!

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** कैसे बचें एग्जाम फीवर से ~ How to Avoid Exam Fever !! **


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जैसे-जैसे बोर्ड परीक्षा के दिन नजदीक आते जा रहे हैं छात्रों की परेशानियां भी उसी रफ्तार से बढ़ रही हैं। एक ओर सिलेबस का बोझ तो दूसरी ओर मनोवैज्ञानिक समस्याएँ भी छात्रों को घेरती नजर आ रही हैं। कुछ को तो इनके होने का भ्रम भी रहता है।

परीक्षा नजदीक आते ही वे एग्जामिनेशन फीवर, त्वचा रोग, सिरदर्द की शिकायत, नींद गायब हो जाना, भूख न लगना, स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाना, पेट में कई तरह की समस्याएँ, आत्मविश्वास का डगमगा जाना, कमजोरी की शिकायत, आँखों में परेशानी, ऐसा भ्रम होना कि पिछला जो भी पढ़ा था सब भूल रहा है तथा घबराहट आदि न जाने कितनी छोटी-बड़ी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं।

लेकिन इनसे घबराने से काम नहीं चलेगा, पढ़ाई के साथ-साथ इनका सामना भी करना होगा और मन में यह विश्वास रखना होगा कि अगर समस्याएँ हैं तो उनका समाधान भी होगा।

मर्ज पनपे, इससे पहले ही सतर्क हो जाएँ
किसी भी समस्या के पनपने के बाद उससेनिजात पाने का हल ढूंढने से अच्छा है कि ऐसा तरीका चुनें जिससे समस्याएँ पनपने ही न पाएँ। आपके मन-मस्तिष्क में तनाव घर करे, इससे पहले ही आपको इमोशनल इंटेलीजेंस विकसित कर लेनी चाहिए यानी छात्र यह मान कर चलें कि इसके पूर्व जिन परीक्षाओं में वे बैठे हैं, यह भी उन्हीं से मिलती-जुलती परीक्षा है और इन्हें भी वे आसानी से पास कर लेंगे, बल्कि ज्यादा मेहनत की है तो नंबर भी अच्छे आएँगे।

यह सोच ही तनाव को आपके पास फटकने नहीं देगी। इसके साथ ही जो भी दिन आपके हाथ में हैं, उसी के हिसाब से प्लानर बनाएँ। अक्सर बच्चे शिकायत करते हैं कि जो भी पढ़ा था, सब धीरे-धीरे भूल रहा है। इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि पिछले छह दिन में जो भी पढ़ा, सातवें दिन उसका रिवीजन कर लें।

योग अथवा ध्यान का सहारा लें, इससे याददाश्त में वृद्धि होगी। ज्यादा देर तक बैठने से कमर दर्द या गर्दन दर्द की शिकायत हो रही है तो कमरे में टहल लें। आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए व्यायाम का भी सहारा लिया जा सकता है। पाचन क्रिया सही रहे, इसके लिए भोजन पर ध्यान दें तथा संयमित व्यवहार बनाए रखने के लिए पूरी नींद जरूर लें।

अभिभावक भी रहें अलर्ट
बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी विजुअलाइजिंग टेक्नीक का सहारा लेना चाहिए। छात्र आंख बंद कर यह विजुअलाइज करें कि वे परीक्षा भवन में हैं तथा प्रश्न-पत्रों को सही तरीके से हल कर रहे हैं। सीबीएसई सहित कई प्रमुख बोर्डों ने अपने यहां काउंसलरों का पैनल नियुक्त कर रखा है, जिसकी निशुल्क सेवाएँ ली जा सकती हैं।

सीबीएसई अपनी टेलीकाउंसलिंग सेवा शुरू कर चुकी है। इस समय छात्रों को आत्मीय सहारे की भी जरूरत रहती है। वह चाहता है कि उसके माता-पिता उसके इर्द-गिर्द रहें, ताकि वह खुद को अकेला न समझे। अभिभावक उनको भरोसा दिलाएँ कि वे हर परिस्थिति में उनके साथ हैं, भले ही परीक्षा में उनका रिजल्ट जैसा भी रहे। उनके इस भरोसे से बच्चे से परीक्षा रूपी भूत का दबाव छंट जाता है और वे जयादा बेहतर तरीके से तैयारी कर पाते हैं।

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Exam Tips in Hindi-परीक्षा की तैयारी कैसे करें।

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ϒ परीक्षा की तैयारी कैसे करें। ϒ

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परीक्षा प्रारंभ होने के कुछ महीने पहले से ही पढ़ना शुरू कर देना चाहिए। पहली बार पढ़ने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है दोहरान करना इसलिए रिवीजन के लिए पर्याप्त समय दें।

जिन विषयों की परीक्षा बाद में है उन्हें पहले पढ़ना चाहिए ताकि आखिरी दिनों में वह विषय पढ़े जा सके जिनका एग्जाम सबसे पहले है। इसके लिए टाइम टेबल बना लें।

पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल करना चाहिए। इससे परीक्षा का पैटर्न समझने में मदद मिलती हैं।

स्टडी रूम व्यवस्थित होना चाहिए। कुर्सी आरामदायक होनी चाहिए। स्टडी टेबल पर अलार्म घड़ी रखी होनी चाहिए। स्टडी रूम में मोटिवेशनल चार्ट लगे होने चाहिए। रोशनी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

परीक्षा के दिनों में तनाव का माहौल रहता है। तनाव को दूर करने और एकाग्रता बढ़ाने के लिए योग, व्यायाम आदि का सहारा लें और पर्याप्त मात्रा में नींद लें।

परीक्षा के दिनों में ऐसा भोजन लिया जाना चाहिए जो सात्विक हो और पोषण से भरपूर हो। रात का खाना जल्दी खा लेना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल में पानी पीते रहना चाहिए।

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हाथ-पैर और मुंह धोकर पढ़ने बैठना चाहिए।

खुश और तनावमुक्त रहें। सकारात्मक सोच रखें। परीक्षा को हौवा ना बनाये और आत्मविश्वास बनाये रखें।

एग्जाम किट में पेंसिल और पेन के साथ रंगबिरंगे जेल पेन भी रखें। ये आपको जवाब को हाईलाइट करने और चित्र बनाने में मदद करेंगे।

एग्जाम हॉल में बिना किसी डर के पूरी ऊर्जा और पॉजिटिव सोच के साथ प्रवेश करें।

प्रश्न पत्र पढ़ने में जल्दबाजी ना करें। धैर्य से काम लें। पेपर और कॉपी पर लिखे गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। अगर कोई संदेह है तो टीचर से पूछ लें।

साफ़-सुथरी राइटिंग में लिखने का प्रयास करें। ताकि परीक्षक को कॉपी पढ़ने में दिक्कत ना आये। कई बार गन्दी राइटिंग की वज़ह से भी नंबर कम आते हैं।

प्रश्नों के उत्तर में चित्रों, आंकड़ों और रेखांकन आदि का उपयोग करें। इससे उत्तर आकर्षक और प्रभावी बन जाता है।

पेज भरने की बजाय सभी प्रश्नों का स्पष्ट और सटीक जवाब लिखें।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

 

 

कैसे परीक्षा के दबाव का सामना करें।

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ϒ कैसे परीक्षा के दबाव का सामना करें। ϒ

जब एक पेड़ को पानी कम मिलता है तो उसके बहुत सारे पत्ते सूखकर गिरने लगते हैं और पेड़ सीमित पत्तों के सहारे ही कम मात्रा में प्राप्त पानी का उपभोग कर अपने को बचाये रखता है। ऐसा तरीका तुम्हें भी अपनाना पड़ता है जब तुम पढ़ाई पर विशेष ध्यान नहीं देती और अचानक परीक्षा के समय दबाव बढ़ने पर केवल महत्वपूर्ण विषयों की ओर ध्यान देती हो, इससे दूसरे कम महत्वपूर्ण लगने वाले विषय कमजोर पड़ जाते हैं। लेकिन ज्ञान के दृष्टिकोण से तो सभी विषय महत्वपूर्ण हैं, कौन जानता है आने वाले कल में ये विषय ही अधिक महत्वपूर्ण हो जाएं।

इसलिए शुरू से ही सभी विषयों पर पूरा ध्यान और समय देना जरूरी है ताकि तुम्हारी रचना एक भरे-पूरे वृक्ष की तरह हो न कि झड़े हुए पत्ते वाले कमजोर वृक्ष की तरह।

कहते हैं गुलाब के पेड़ में पहले कांटे आते हैं और वो कांटों से भरा हुआ बिल्कुल भद्दा लगता है, लेकिन जल्दी ही वह अपने में फूल खिलाकर सबका ध्यान आकर्षित कर लेता है। तुम्हारी पढ़ाई के भी बहुत सारे पाठ ऐसे होते हैं जो तुमसे बिल्कुल ही जुड़ न पाते यानि तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं आते लेकिन इंतजार करना बुरी बात नहीं है, वे पाठ ही एक दिन तुम्हारे सबसे अधिक रूचिकर हो जाते हैं, जब उन्हें तुम थोड़ा बहुत समझने लगती हो और महसूस करती हो कि इनमें कितनी गूढ़ बातें छुपी हुई थी।

तुम्हें इस बात पर शत- प्रतिशत यकीन करना होगा कि कठिन एवम् दुर्गम चीजों को ही हल करने के बाद कोई सफल व्यक्ति कहलाता है। साधारण चीजों को हल करने वाला व्यक्ति हमेशा साधारण ही रह जाता है। लेकिन ये कठिन और दुर्गम रास्ते एक या दो दिन में पार नहीं किये जाते हैं, इन्हें पार करने में वर्षों की साधना करनी होती है, कठिनाईयों और मेहनत की एक बहुत लम्बी श्रृंखला से गुजरना होता है। जो लोग रूके हुए हैं वे तालाब की तरह हैं कभी सूख गए तो कभी भर गए। कुछ भी उनके हाथों में नहीं, सिवा एक सामान्य सा जीवन जीने के।

शरीर की पीड़ा को तुम जानती हो इसलिए उस जगह मरहम पट्टी कर उसका उपचार कर लेती हो, लेकिन में जब मन में पीड़ा पहुंचती है तुम उस स्थान को नहीं जानती, इसलिए उसका उपचार नहीं कर पाती। ये ही मानसिक जख्म बीच-बीच में पुरानी घटनाओं की याद दिलाकर तुम्हारे मन में टीस पहुंचाते रहते हैं। इन कारणों से अक्सर तुम अपना ध्यान पढ़ाई में केंद्रित नहीं कर पाती। जब तक मन को अलग-अलग क्रियाओं में बांटने वाली इन बीमारी का निवारण नहीं हो जाता, पढ़ाई में अपने आप को पूरी तरह समर्पित करना संभव नहीं होता। अच्छा तो यह होगा कि ऐसे झगड़ों में पड़ा ही नहीं जाए और अगर ऐसी घटना हो भी जाए तो जिन कारणों से परेशानी हो रही है उनसे समझौता कर लिया जाए। अपनी पढ़ाई को ही महत्वपूर्ण  समझते हुए, मानसिक द्वंद हटाने के लिए कुछ चीजों का त्याग करना पड़े तो भी वो उचित और शांतिदायक होगा।

अक्सर घरों के सामने वैसे पेड़ लगाये जाते हैं, जिनके पत्ते जाड़े में झड़ जाते हैं और धूप आने लगती है, फिर गर्मियों में उसी वृक्ष में पत्ते लौट आते हैं और चारों तरफ छाया हो जाती है। समय के अनुसार ही पहने कपड़े अच्छे लगते हैं और मौसम के अनुसार खान-पान भी। जिस तरह का समय चल रहा होता है उसी तरह के गाने, हमारी भाषा, हमारे नारे एवं नृत्य करने के तरीकों में बदलाव आता है। तुम में भी समय बीतने के साथ बदलाव आते हैं, उनकी तरफ भी निगरानी रखना, जीवन के प्रति तुम्हारी सजगता दर्शाता है।

जब भी तुम्हें चोट लगती होगी, शुरू में काफी दर्द होता होगा, लेकिन धीरे-धीरे दर्द सहने की आदत हो जाती है और फिर उतना दर्द महसूस नहीं होता। कई बार ढेर सारे विषय और पढ़ाई देखकर तुम्हारे मन में घबड़ाहट होती होगी जैसे इनकी और आगे बढ़ते ही तुम जख्मी हो जाओगी, लेकिन धीरे-धीरे मन को कठोर बनाकर इनसे जूझने की ताकत आ जाती है। कहते हैं जब तक एक सैनिक के शरीर में लड़ाई के जख्म नहीं रहे उसका सैनिक जीवन अधूरा ही रहा। जिस मार्ग का अनुशरण करने का फैसला तुमने किया है, उसमें हमेशा कठिनाईयां, भय आदि पहले आते हैं और खुशियां धीरे-धीरे और बाद में। इसलिए इन सारे अनुभवों को कड़ी दवा की तरह पीते जाना चाहिए क्योंकि तुम्हारा मार्ग आगे बढ़ने के लिए है न कि केवल मुश्किलों को देखते रहने के लिए।

जिन राजाओं के पास लड़ाई के लिए बड़ी सेना होती है उनके भय से ही छोटे-छोटे राज्य उनके अधीन हो जाते हैं। इस तरह से उनकी ताकत और सैनिक बल में वृद्धि होती रहती है। तुम्हारा ज्ञान भी जितना समृद्ध होगा वह नजर में आने वाले प्रत्येक ज्ञान को अपने कब्जे में करता जाएगा। इस तरह से तुम्हारे ज्ञान और कौशल में निरन्तर वृद्धि होती रहेगी फिर तुम किसी भी नयी चीज को देखकर नहीं घबराओगी।

जिन्हें छाया चाहिए उन्हें पेड़ मिल जाते हैं, जिन्हें गर्मी चाहिए उन्हें ऊन के कपड़े, जिन्हें जीभ की मिठास चाहिए उन्हें मीठे फल और जब तुम में सचमुच में ज्ञान पाने की जबर्दस्त इच्छा होती है तो अच्छी-अच्छी किताबें और अच्छे शिक्षक, किन्हीं न किन्हीं माध्यम से मिल ही जाते हैं।

जब तुम में पुस्तकों की ललक  होती है तुम पुस्तकालयों की तरफ भागती हो, विश्राम के समय भी शिक्षकों से जाकर अपने प्रश्नों का हल पूछती हो और पढ़ते-पढ़ते अपना भोजन करना भी भूल जाती हो। ऐसे प्रेम में पड़कर फिर वापस बाहर लौटना लगभग असंभव है।

इस दुनिया में अधिकतर लोग एक निर्देशित पढ़ाई में ही लगे रहते हैं, वे दूसरी तरफ बहुत कम ध्यान देते हैं। यह जीविकापर्जन के लिए हासिल किया जा रहा ज्ञान एक तरह का सीमित ज्ञान ही होता है, जबकि जिनमें वृहद ज्ञान की लालसा होती है वे अपने पैरों को इस तरह से नहीं बांधते तथा एक खुले पक्षी की तरह सारी दुनिया देखते हैं। तुम्हें भी विभिन्न तरह की चीजों एवं उनके कार्यकलापों में रुचि रखनी चाहिए तथा अपनी जानकारी को संचार माध्यमों एवं यात्राओं से बढ़ाते रहना चाहिए। अच्छे लोगों से वाद-विवाद एवं विचारों का आदान- प्रदान करना भी ज्ञान में वृद्धि का एक तरीका है।

कमरे में फूलों का गुलदस्ता रख दिया जाता है तो कमरा जीवंत हो उठता है, खिड़की के बाहर हरियाली हो तो ठंडी हवा भी जैसे हरापन लिए हुए हमारे पास आती हुई लगती है। सुन्दर-सुन्दर पर्वतों को देखने का भी एक सुख है और छोटी- सी झील में अनगिनत चीजें के समाहित‌ बिम्बों को देखने का भी एक अलग सुख है। एक अच्छी पुस्तक पढ़ते हुए भी हमें इस तरह की भावनात्मक अनुभूतियां होती है। हर बार लगता है, तुमसे ही कोई तुम्हारे मन की बात बोल रहा है। कोई अपने अनुभव बांट रहा है और अद्भूत होता है यह प्रेम कि तुम भूल जाती हो कि दुनिया में इससे भी अच्छा संबंध हमारा किसी चीज से हो सकता है।

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