निश्चित रूप से सफलता के कारगर सूत्र।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ निश्चित रूप से सफलता के कारगर सूत्र। ϒ

=> हर इंसान काे प्रतिदिन चौबीस घंटे(24 Hour) ही मिलता हैं। But इस 24 Hour काे जाे जैसे Use करता है, उसी तरह वह सफल `या` असफल हाेता हैं अपने जीवन में।

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=> इस संसार में सबसे बडा धन समय ही हैं। क्योंकि जाे समय अभी चला गया, उसे खरबाें रुपये खर्च कर भी – वापस नहीं लाया जा सकता। समय का मूल्य काेई भी नहीं लगा सकता।

=> यू ही समय काे व्यर्थ ना गवाए, वर्ना पछताने के अलावा – कुछ ना बचेगा जीवन में।

=> आपके सफल हाेने में सबसे बडी बाधा जानते है क्या हैं – आपके अपने विचार, और आपकाे सफल हाेने से राेक काैन रहा है – आप स्वयं अपने आप काे राेक रहे हैं। जीवन में सफलता `या` असफलता का जिम्मेदार(उत्तरदायी) इंसान स्वयं हाेता हैं।

=> अपनी साेच काे सदैव सकारात्मक रखें। जब भी मन में Negative विचार आये उसे Neglect(नज़रअंदाज़) कर, Positive Way में अपने विचाराें काे माेड़ दे।

=> सफल हाेने का सबसे बडा़ मुल मंत्र है, कि अपनी बुरी आदते छाेड दे, व समय व्यर्थ गवाना छाेड दें। अपनी Inner Power(आत्मा की शक्ति) काे जागृत करें, तथा अपने मन काे सदैव सकारात्मक सोच व कार्य में व्यस्त रखें।

ने लक्ष्य काे इतना महानना दाे कि व्यर्थ के लिसमय ही नाचे

~Kmsraj51

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Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,,  http://kmsraj51.com/

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

 ~Kmsraj51

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Note::-

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

 

अपने मन के विचारों को बदलें।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ Quotes – अपने मन के विचारों को बदलें। ϒ

प्यारे दोस्तों –

अगर आप अपने मन के विचारों को बदलें ताे आपका जीवन बदल जायेगा। क्योंकि विचार ही किसी कर्म का blueprint हाेता हैं।

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“विश्वास एक छोटा शब्द है – जिसे पढ़ने मे तो सिर्फ एक सेकेण्ड लगता है।”
“साेचो तो एक मिनट लगता है – समझो तो एक दिन लगता है।”
“पर साबित करने मे – जिंदगी लगती है।”(1)

***** ° *****

“किसी को किसी ग़लती के लिये – माफ़ कर देना कुछ हद तक सही है।
लेकिन एक बार उसे माफ़ कर देने पर – वापिस उस पर ही विश्वास करना बेफकूफी है।”(2)

***** ° *****

“हालात उनके ही अच्छे होते है – जो इन्हें बेहतर बनाने के लिये… बेहतर से बेहतर तरीक़े तलाशते है।
हाथ पर हाथ रख कर बैठने से – हालात कभी भी अच्छे नही हो पाते।”(3)

***** ° *****

“जिंदगी एक अभिलाषा है – अजब इसकी परिभाषा है।
जिंदगी क्या है मत पूछो – सँवर गई तो जन्नत है।
बिखर गयी तो तमाशा है – लाेगाे काे इसे देख मजा आता है।”(4)

***** ° *****

दोस्ती से क़ीमती कोई – जागीर नही होती।
दोस्ती से ख़ूबसूरत कोई – तस्वीर नही हाेती।
दोस्ती यू तो कच्चा धागा है – मगर इस धागे से मज़बूत … कोई ज़ंजीर नही हाेती।
नसीब से मिलते है दोस्त दुनिया मे।(5)

***** ° *****

बनो सहारा बेसहारो के लिये – बनो किनारा बेकिनारो के लिये।
जो जीये अपने लिये तो क्या जीना।
जी सको तो जीयो – हज़ाराे के लिये।(6)

***** ° *****

“गुजरी हुई जिंदगी को कभी याद न कर – तकदीर मे जो लिखा है उसकी फर्याद न कर।
जो होगा वो होकर रहेगा – तु कल की फिकर मे अपनी आज की हसी को बर्बाद न कर।
आज मे जी खुशी से कल को याद ना कर।”(7)

***** ° *****

मौत से लगता है डर सबको – जिंदगी से होती है मोहब्बत सभी को।
पर जिंदगी किसी की मोहब्बत नहीं होती।

तमन्ना लेकर जीते है सब लाेग – मगर हर तमन्ना तक़दीर नही होती।
जो जीते है खुशी से वह मौत को भी – गले लगाते है खुशी से।(8)

***** ° *****

टेढ़े के साथ टेढ़ा हो जाना तो – जगत में सभी को आता और यह तो स्वाभाविक ही है।
लेकिन टेढ़े इंसान के साथ अच्छा – रहने का चमत्कार तो केवल ज्ञानी व्यक्ति ही कर सकता है।(9)

***** ° *****

नहीं रहता कोई शख़्स अधूरा किसी के बिना।
समय गुजर ही जाता है – कुछ पा कर भी और कुछ खो कर भी।
सब काम जीवन मे चलते रहते है – समय के साथ-साथ।
किसी के बिना जीवन कभी रूकता नही।(10)

***** ° *****

तूफ़ान में ताश का घर नहीं बनता – रोने से बिगड़ा मुक़द्दर नही बनता।
दुनिया को जीतने का हौसला रखो।
एक हार से कोई फ़क़ीर नहीं बनता और एक जीत से कोई सिकन्दर नही बनता।(11)

***** ° *****

मौत तो आनी है एक दिन – उससे भला क्या डरना।
जिंदगी है चार दिन की – फिर भला क्यों बुरा करना किसी का।
करना है तो भला करो सबका।
अगर भला नही कर पाते तो – कभी भी बुरा ना करना किसी का।(12)

***** ° *****

मौन क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है, जब-जब कोध् चढ़े तब तब –
थोड़ी देर के लिये मौन रख लेना चाहिये, ताकि गलत अल्फ़ाज़ मुँह से ना निकले।
क्योंकि एक भी गलत अल्फ़ाज़ – मीठे रिश्तों को खराब कर देता है।(13)

***** ° *****

मन अगर अशांत है और बेचैन है ताे उसे नियंत्रित करना बहुत कठिन काम है।
लेकिन निरंतर अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
मन अगर नियंत्रित है ताे – इंसान काेई गलत कार्य नही कर सकता।(14)

***** ° *****

कोई अगर आप को अच्छा लगता है तो अच्छा वो नही – आप हो क्योंकि उसमें अच्छाई देखने वाली नजर आपके पास है।
इंसान अगर खुद अच्छा है तो, उसका मन अच्छा है तो – उसे सब अच्छे ही लगते है।
बुरे इंसान को सब बुरे ही लगते है।(15)

***** ° *****

बिना वजह मन पर कोई बाेझ ना रखिये।
जिंदगी हर घड़ी इक नयी नयी जंग है।
इस जंग को जारी रखिये।
हार और जीत तो है इक जीवन का हिस्सा।
जीतने से ना अकड़ जाईये और ना हारने से ही दुँखी हो जाईये।(16)

***** ° *****

यह उम्मीद मत रखना कि तुम गिरोगे तो – तुम्हें कोई उठा लेगा।
दरिया मे डूबोगे तो – कोई तुम्हें बचा लेगा।

ये दुनिया तो है एक तमाशबीनो का अड्डा।
देखेंगे तुम्हे अगर मुसीबत में तो – हर कोई यहाँ मजा लेगा।(17)

***** ° *****

जाने वाले चले जाते है – यादे पीछे रह जाती है।
उनके चले जाने से – इतनी सी कमी रहती है कि चाहे लाख मुस्करा लो –
लेकिन आँखाे मे नमी रहती है।(18)

***** ° *****

प्यार इंसान से करो उसकी आदत से नही।
रूठो उनकी बातो से पर उनसे नही।

भूलो उनकी गलतियाँ पर उन्हें नही।
क्योंकि रिश्तों से बढ़कर कुछ भी नहीं।

चार रिश्ते अगर जीवन मे मधुर है।
तो उसके जैसा सुख कही पर भी नहीं।(19)

***** ° *****

गलतियाँ करना जीवन का एक हिस्सा है।
लेकिन ग़लतियाँ करके स्वीकार करने का साहस बहुत कम लोगो मे होता है।(20)

***** ° *****

स्वार्थ से कितने भी रिश्ते बनाने की कोशिश करो – वो कभी बनते नही।
प्यार से बने रिश्ते कितने भी तोड़ने की काेशिश करो – वो कभी टूटते नही।
स्वार्थ मे सिर्फ स्वार्थ रहता है – प्यार नही।(21)

प्यारे दोस्तों – आपके लिए काैन से Quotes कारगर सिद्ध हुऐ या अच्छें लगे Comments कर जरुर बताये।

©- विमल गांधी। 

Vimal Gandhi-kmsraj51

विमल गांधी जी।

हम दिल से आभारी हैं विमल गांधी जी के प्रेरणादायक हिन्दी Quotes साझा करने के लिए।

विमल गांधी जी के लिए मेरे विचार: 

“विमल गांधी जी” की Quotes के हर एक शब्द में अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। Quotes छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन Quotes काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

पढ़ेंविमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

 

21 ऐसे महावाक्य जो आपके जिंदगी को बदल दे।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ 21 ऐसे महावाक्य जो आपके जिंदगी को बदल दे। ϒ

प्यारे दोस्तों – ज़िंदगी बहुत छोटी है इसलिए समय बर्बाद मत करो। समय के महत्व काे समझे व समय के साथ-२ चलने का अभ्यास करें। अपने Mind काे कुछ इस तरह से खुराक दें।

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  • जीवन में जब भी समस्याये आती है, हमारी साेई हुई मानसिक शक्तियों काे जगाकर जाती हैं।〈1〉
  • कहते है सत्य काे चाहे जितना भी छिपाने कि कोशिश करलाे, पर एक ना एक दिन सत्य प्रत्यक्ष हाे ही जाता हैं। इसलिए सत्य को कभी भी छिपाने की कोशिश ना करें।〈2〉
  • करुणा व शील किसी भी इंसान काे सत्य की गहराई तक ले जाता हैं।〈3〉
  • अपने स्‍वप्‍नाें काे अपने Mind में सदैव स्मरण(याद) करते रहाे और उसी अनुसार तीव्र गति से आगे बढ़ते रहाे।〈4〉
  • यह शरीर (हम मनुष्यों का शरीर) पांच तत्वों (Five Elements) से मिलकर बना है, शरीर सदैव ही इन्हीं पांच तत्वों(पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश) की माँग करता है, इस शरीर काे इन पांच तत्वों के अलावा और कुछ भी नहीं चाहिए।〈5〉
  • आत्मा इस शरीर रूपी कार का चालक(Driver) है, जब तक शरीर रूपी कार सही है- तब तक आत्मा इसे चलाती रहती हैं।〈6〉
  • हर एक इंसान(मनुष्य) कि यहीं सोच हाे, की उसकी वजह से कभी भी किसी काे कोई दुःख ना पहुँचे।〈7〉
  • हर इंसान(मनुष्य) के अंदर असीमित शक्तिया निहित(भरी) है। अपनी आंतरिक शक्तियों काे समय प्रमाण Use करना सीखें।〈8〉
  • आपकाे अपने और अपने कार्य के ऊपर पूर्ण विश्वास हैं ताे आपकाे अपने लक्ष्य तक पहुंचने से काेई भी(इंसान या शक्ति) राेक नहीं सकता।〈9〉
  • इस पृथ्वी पर सबसे ज्यादा अगर काेई पूज्यनीय है ताे वह है माता-पिता।〈10〉
  • अपने संकल्प और कर्म में दृढ़ता लाये, कोई भी निर्णय सोच-समझ कर ही लें।〈11〉
  • शरीर यदि बीमार है ताे आप मन से बीमार न हाे जाये, जाे मन से बीमार नहीं हाेता, उसके शरीर की बीमारी भी अतिशीघ्र ही दुर हाे जाती हैं।〈12〉
  • चिंता करने से मन और बुद्धि क्षीण हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप ना ही सही सोच पाते हैं, ना ही सही निर्णय ले पाते हैं।〈13〉
  • जीवन में कभी भी सीखना(learn)बंद ना करें। हर एक क्षेत्र (Sector) का ज्ञान रखना अपने आप काे Present time में Secure रखने जैसा हैं।〈14〉
  • जीवन में हर एक चीज का बैलेंस बनाकर चलें।〈15〉
  • खान-पान और संग का असर मन पर बहुत ज्यादा पड़ता है। खान-पान में शुद्धि हाे और संग अच्छाें का हाे ताे ही अच्छा हैं।〈16〉
  • अच्छे व सच्चे इंसान काे आज के समय में सब नहीं पहचान पाते। अंतरज्ञानी आत्मा ही सच्चे इंसान काे पहचान पाती हैं।〈17〉
  • जीवन में जब भी बाेलाे सत्य ही बाेलाे, अन्यथा बाेलाे ही ना ताे ही अच्छा।〈18〉
  • चाहे काेई कितना भी बड़ा विकर्मी क्यो न हाे उसके अंदर भी कोई ना कोई गुण और विशेषताएं अवश्य हाेगी। गुणाे काे ग्रहण करना सीखें, चाहे परिस्थिति व स्थान कैसा भी हाे।〈19〉
  • अपनी सोच पर “विचार सागर मंथन” करना सीखें।〈20〉
  • अगर जीवन में कुछ करने की ठान लें, तो पीछे ना हटे।〈21〉

अपने आप को आप स्वयं रोकते है।~सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग।

Kmsraj51

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क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

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Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ निश्चित सफलता के २१ सूत्र। ϒ

प्रिय दोस्तों – आज मैं आप सबसे जीवन में निश्चित सफलता के जिन २१ सूत्राें की चर्चा करने वाला हूँ, इनका अनुसरण काेई भी साधारण इंसान भी अगर सच्चें मन से करें, ताे निश्चित सफलता सदैव उसके कदम चुमेगीं।

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  1. जीतने के लिए आपमें एक गुण हाेना ही चाहिए। वह है निश्चित उद्देश्य – यह ज्ञान कि आप क्या चाहते हैं – और उसे हासिल करने की तीव्र इच्छा।
    – नेपोलियन हिल
  2. याेजना बनाने का मतलब भविष्य काे वर्तमान में लाना है, ताकि आप उसके बारे में इसी वक़्त कुछ कर सकें।
    – एलन लकीन
  3. हमारे पास हमेशा पर्याप्त समय रहता है, बशर्ते हम उसका सही इस्तेमाल करें।
    – जाेहानन वाँल्फ़गैंग वाँन गेटे
  4. हर महान व्यक्ति उसी अनुपात में महान बना है और हर सफल व्यक्ति उसी अनुपात में सफल हुआ है, जिस अनुपात में उसने अपनी शक्तियाँ एक ख़ास क्षेत्र में सीमित की हैं।
    – आँरिसन स्वेट मार्डन
  5. हर दिन बड़े काम पुरे करने का समय निकालें। वे हर दिन के कामाें की याेजना पहले से बनाएँ। सिर्फ़ वे छाेटे काम ही पहले करें, जिन्हें सुबह तत्काल निबटाना ज़रूरी हाे। फिर सीधे बड़े कामाें की ओर बढ़ें और उन्हें पूरा करने में जुट जाएँ।
    – बोर्डरूम रिपोटर्स
  6. सफलता का पहला नियम है एकाग्रता – सारी ऊर्जा काे एक बिंदु पर केंद्रित करना और दाएं-बाएं देखे बिना उस बिंदु तक जाना।
    – विलियम मैथ्यूज़
  7. जब हर शारीरिक और मानसिक संसाधन केंद्रित हाे जाता है, ताे समस्या सुलझाने की मानवीय शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
    – नॉर्मन विंसेंट पील
  8. आप जाे कर सकते हैं करें, जाे उपलब्ध है उसी से करें, जहाँ भी आप हैं वहीं से करें, बस कर डालें।
    – थियाेडाेर रूज़वेल्ट
  9. आपकी योग्यता का स्तर चाहे जाे हाे, आपमें इतनी ज्यादा संभावनाएँ हैं कि आप एक जीवन में उन तक नहीं पहुँच सकते।
    – जेम्स टी. मैके
  10. जिन लाेगाें में तुलनात्मक रूप से कम शक्तियाँ हाेती हैं, वे भी बहुँत कुछ हासिल कर सकते हैं, बशर्ते वे पुरी तरह जुट जाएँ और बिना थके एक वक़्त में एक ही चीज़ करते रहें।
    – सैम्युअल स्माइल्स
  11. आपका काम चाहे जाे भी हाे, उसमें सफलता का इकलाैता अचूक तरीक़ा अपेक्षा से ज्यादा और बेहतर सेवा देना है।
    – आँग मैन्डिनाे
  12. अपना काम करें; लकिन सिर्फ अपना काम ही नहीं, बल्कि ठाठ-बाट पाने के लिए कुछ ज्यादा भी करें – यह थाेड़ा ज्यादा भी बाक़ी जितना ही महत्त्वपूर्ण है।
    – डीन ब्रिग्स
  13. अपने सारे विचार उस काम पर केंद्रित कर लें, जाे फिलहाल आपके हाथ में हाे। सूरज की किरणें तब तक कुछ नहीं जला पातीं, जब तक कि उन्हें केंद्रित न किया जाए।
    – अलेक्ज़ेडर ग्राहम बेल
  14. सफलता की पहली शर्त है, बिना थके अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा काे किसी एक समस्या पर लगाने की योग्यता।
    – थॉमस एडिसन
  15. अपने सारे संसाधन जुटा लें, सभी इंद्रिया चाैकस कर लें, तमाम ऊर्जा समेट लें, सारी क्षमताएँ किसी एक क्षेत्र में माहिर बनने पर केंद्रित कर लें।
    – जॉन हैग्गई
  16. जबर्दस्त राेमांच, विजय और रचनात्मक कर्म के राेचक उत्साह में ही इंसान काे चरम सुख मिलता है।
    – एंटाइन डे सेंट एक्ज़ुपरी
  17. ज़िंदगी की रफ्तार बढ़ाने के अलावा भी इसमें बहुँत कुछ है।
    – गांधी
  18. शुरूआत में आदत एक अदृश्य धागे जैसी हाेती है, लेकिन जब भी हम उस काम काे दाेहराते हैं, ताे हम उसमें एक और रेशा जाेड़कर धागे काे मज़बूत कर लेते हैं और यह सिलसिला तब तक चलता रहता है, जब तक कि आदत माेटी रस्सी बनकर हमें कसकर बाँध नहीं लेती – हमारे विचाराें और कामाें काे।
    – ओरिसन स्वेट मार्डन
  19. सीमित लक्ष्याें पर अपनी सारी ऊर्जा केंद्रित करने से आपके जीवन में जितनी शक्ति आती है, उतनी किसी दूसरी चीज़ से नहीं आती।
    – नीडाे क्यूबीन
  20. इंतज़ार न करें। समय कभी “बिलकुल सही” नहीं हाेगा। वहीं से शुरु कर दें, जहाँ आप खड़े हैं। उन्हीं साधनाें से काम करें, जाे आपके पास माैजूद हैं। रास्ते में आपकाे बेहतर साधन अपने आप ही मिल जाएँगे।
    – नेपाेलियन हिल
  21. यही सच्ची शक्ति का रहस्य है। सतत अभ्यास से सीखें कि किसी पल में अपने संसाधनाें काे किसी निश्चित बिंदु पर किस तरह एकत्रित और एकाग्र किया जाता है।
    – जेम्स एलन

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

-KMSRAJ51

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आगे बढ़ाे मगर-सोच समझ कर।

Kmsraj51 की कलम से…..

KMSRAJ51-CYMT

काेई व्यक्ति चाहे कितना भी महान क्यों ना हाे। 

आँख मूँद कर उसके पीछे नही चलना चाहिये।

यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा हाेती ताे वह हर प्राणी काे, 

आँख, नाक, कान, मस्तिष्क और मुंह क्यों देता।

ईश्वर ने जाे हर किसी काे दिया है ताे उसका उपयाेग करना चाहिये।

साेच समझ कर सब, काम करने चाहिये।

 ~विमल गांधी जी ∇

संतुलित दिमाग़ जैसी काेई सादगी नही।
संताेष जैसा काेई सुख नही॥
लाेभ जैसी काेई बीमारी नही।
और दया जैसा काेई पुण्य नही॥

 ~विमल गांधी जी ∇

Vimal Gandhi-kmsraj51

विमल गांधी जी।

हम दिल से आभारी हैं विमल गांधी जी के प्रेरणादायक हिन्दी Quotes साझा करने के लिए।

पढ़ेंविमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

 ~KMSRAJ51

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

 ~KMSRAJ51

 

 

सफलता और तरक्की पाने के 7 अचूक तरीके।

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सफलता और तरक्की पाने के 7 अचूक तरीके।

सफलता हर इंसान की चाहत होती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि सफलता सभी को नहीं मिलती है। आखिर ऐसा क्यों होता है? इस संबंध में कई कारण ढूंढे जा सकते हैं, लेकिन मोटे तौर कामयाबी नसीब न होने के पीछे लक्ष्य को लेकर उदासीनता, विचार और कर्म में सही तालमेल का अभाव बड़ा कारण नजर आता है। यही नहीं, सफलता में निरंतरता भी अहम होती है, क्योंकि उसके बिना तरक्की संभव नहीं। किंतु अगर मकसद साफ हो, सही विचार हो और कर्मशक्ति भी मौजूद हो तब भी सफलता और तरक्की दूर रह जाए तो फिर इसके क्या कारण हो सकते हैं?

इस सवाल का जवाब हिन्दू धर्म ग्रंथ महाभारत में बताए सफलता व तरक्की के सटीक सूत्रों में मिलता है। सफलता व तरक्की के ये 7 सूत्र जीवन में उतार साधारण इंसान भी असाधारण बन मनचाही ऊंचाइयों को पा सकता है-
हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में लिखा गया है कि-
उत्थानं संयमो दाक्ष्यमप्रमादो धृति: स्मृति:।
समीक्ष्य च समारम्भो विद्धि मूलं भवस्य तु।।
इस श्लोक में जीवन में कर्म, विचार और व्यवहार से जुड़ी 7 बातें उन्नति का मूल मंत्र मानी गई है। ये बाते हैं- 
1. उद्यम
2. संयम
3. दक्षता
4. धैर्य
5. सावधानी
6. स्मृति
7. सोच विचार
उद्यम या परिश्रम – अक्सर सफलता पाने की जल्दबाजी या बेचैनी में कई लोग आसान और छोटे रास्ते या तरीकों को चुन तो लेते हैं। लेकिन मनचाही सफलता से दूर रहने पर निराशा के दौर से गुजरते हैं। असल में सफलता के लिए संकल्प, कर्म के साथ उद्यम यानी परिश्रम की भावना के तय पैमानों को अपनाए बिना कामयाबी की मंजिल को छूना व उस पर कायम रहना मुश्किल है।
संयम– छोटी या थोड़ी-सी सफलता मिलने पर मन व विचार पर काबू या उतावलेपन से बचना, क्योंकि बिना धैर्य और संयम के सफलता साथ छोड़ देती है, बल्कि तरक्की के रास्ते भी बंद हो जाते हैं।
दक्षता- सफलता को अवसरों को भुनाने व जल्द लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किसी भी कार्य या कला में कुशलता या महारत बड़ी मददगार होती है। इसलिए बिना अहंकार के सीखने की जिज्ञासा बनाए रखें।
धैर्य- तमाम कोशिशों के बाद भी अगर मनचाहे परिणाम न मिलने या अपेक्षा पूरा न होने पर लक्ष्य से न भटकें या न उसे छोडऩे का विचार करें। बल्कि मजबूत संकल्प और दोगुनी मेहनत के साथ उसे पाने में जुट जाएं।
सावधानी – किसी भी तरह की सफलता के रास्ते में कई बाधाएं भी मुमकिन है। इसलिए सारी संभावनाओं और स्थितियों के आंकलन और विश्लेषण के साथ विषय, कार्य और स्थिति के प्रति जागरूकता व सावधानी रखें।
स्मृति – इसकी अलग-अलग अर्थों व परिस्थितियों में अलग-अलग अहमियत है। जैसे ज्ञान व स्मरण शक्ति के अलावा दूसरों के उपकारों, सहयोग या प्रेम को न भूलना आदि।
सोच-विचार – विवेक का साथ न छोडऩा। सफलता व तरक्की के लिए कोई भी कदम बढ़ाने से पहले सही और गलत की विचार शक्ति अहम होती है, जिसके लिए अधिक से अधिक ज्ञान व अनुभव बंटोरें।

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

CYMT-100-10 WORDS KMS

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

-KMSRAJ51

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।

जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होता वहाँ थकावट होती है और थका हुआ कभी सफल नहीं होता।

 ~KMSRAJ51

 

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73 Motivational Quotes in Hindi

Kmsraj51 की कलम से…..

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MHQ-KMSRAJ51

1. आसक्ति का त्याग करते हुए सिद्बि और असिद्धि में समान बुद्धि वाला होकर कर्म करना चाहिए। समता का नाम ही योग है।

गीता

2. समानता की बात तो बहुत से लोग करते हैं, लेकिन जब उसका अवसर आता है तो खामोश रह जाते हैं।

प्रेमचंद

3. समानता का बर्ताव ऐसा होना चाहिए कि नीचे वाले को उसकी खबर भी न हो।

महात्मा गांधी

4. पूरी तरह से समता आए बिना कोई भी सिद्ध योगी, सिद्ध भक्त या सिद्ध ज्ञानी नहीं समझा जा सकता।

अज्ञात

5. बड़ों की कुछ समता हम विनीत होकर ही पाते हैं।

रवींद्रनाथ

6. मनुष्य के सारे व्यवहारों में ज्वार भाटा का सा उतार चढ़ाव होता है। यदि मनुष्य बाढ़ को पकड़े तो भाग्य की ड्योढ़ी पर पहुंच जाए।

शेक्सपियर

7. मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहस्य हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है।

डिजरायली

8. अवसर भी बुद्धिमान के ही पक्ष में लड़ता है, मूर्ख के नहीं।

यूरीपेडीज

9. अवसर बार बार हाथ नहीं लगता। ऐसा मत सोचो कि अवसर तुम्हारा द्वार दोबारा खटखटाएगा।

सफोक्लीज

10. समय और उचित अवसर पर बोला गया एक शब्द युगों की बात है।

कार्लाइल

11. अवसर के अनुकूल आचरण हमें कहीं का कहीं पहुंचा देता है।

चेखव

12. संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो नीति का जानकार न हो, परंतु उसके प्रयोग से लोग विहीन होते हैं।

कल्हण

13. कभी-कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र हो जाता है, क्योंकि स्वार्थ बड़ा बलवान है।

वेदव्यास

14. जहां स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता है, वहीं मनुष्यता प्रारंभ होती है।

हजारी प्रसाद द्विवेदी

15. नीच व्यक्ति किसी प्रशंसनीय पद पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने स्वामी को ही मारने को उद्यत होता है।

नारायण पंडित

16. जो अत्याचारी के प्रति विद्रोह करता है, उसका साथ सब देना चाहते हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी

17. अत्याचार जब निरंकुश होकर नग्न तांडव करने लगता है, तब बलिवेदी पर चढ़ने को तैयार होने के सिवा और कोई भी उपाय नहीं रह जाता।

हिंदू पंच

18. अनाचार और अत्याचार सिर झुकाकर वे ही सहन करते हैं जिनमें नैतिकता और चरित्र का अभाव हुआ करता है।

एक कहावत

19. अन्यायी और अत्याचारी की करतूतें मनुष्यता के नाम खुली चुनौती हैं जिसे वीर पुरुषों को स्वीकार करना ही चाहिए।

श्रीराम शर्मा आचार्य

20. कायर लोग अपने जीवन काल में कई बार मरते हैं, लेकिन वीर लोग केवल एक बार मरते हैं।

शेक्सपियर

21. संसार में कायरों के लिए कहीं स्थान नहीं है। हम सबको किसी न किसी प्रकार कठोर परिश्रम करने, दुख उठाने और मरने के लिए तैयार रहना चाहिए।

स्टीवेंसन

22. कायर व्यक्ति जीवन में हरदम चापलूसी करता रह जाता है और निर्भीक अपने श्रम के बल पर अपनी जगह बना लेने में सफल हो जाता है।

अस्त्रोवस्की

23. चुनौतियों को स्वीकार करने वाले ही असली बहादुर होते हैं।

लू शुन

24. स्वाधीनता ही स्वाधीनता का अंत नहीं है। धर्म , शांति और काव्य – आनंद , यह सब और भी बड़े हैं। इनकेविकास के लिए स्वाधीनता चाहिए , नहीं तो उसका मूल्य ही क्या है।

शरतचंद्र

25. पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय हजार गुना बेहतर है।

अज्ञात

26. स्वाधीनता पा लेना आसान है , लेकिन उसे बनाए रखना आसान नहीं।

माखनलाल चतुर्वेदी 

27. बंधे बैल और छुटे सांड में बड़ा अंतर है। एक रातिब पाकर भी दुर्बल है , दूसरा घास – पात खाकर ही मस्त होरहा है। स्वाधीनता बड़ी पोषक वस्तु है।
 प्रेमचंद
28. सुधारक चाहे कितना भी श्रेष्ठ पंक्ति का क्यों न हो, जब तक जनता उसे परख नहीं लेगी, उसकी बात नहीं सुनेगी।
 विनोबा भावे
29. उपहास और विरोध तो किसी भी सुधारक के लिए पुरस्कार जैसे हैं।
प्रेमचंद
 
30. जो सुधारक अपने संदेश के अस्वीकार होने पर क्रोधित हो जाता है, उसे सावधानी, प्रतीक्षा और प्रार्थना सीखने के लिए वन में चले जाना चाहिए।
महात्मा गांधी
31. आत्मा को आत्मा की ही आवाज जगा सकती है।
प्रेमचंद
32. परमात्मा की प्रार्थना करने के लिए एकत्र होने वाले लोग हृदय से एक हो जाते हैं।
विनोबा
33. निर्मल अंत:करण को जिस समय जो प्रतीत हो वही सत्य है। उस पर दृढ़ रहने से शुद्ध सत्य की प्राप्ति हो जाती है।
महात्मा गांधी
34. जिस प्रकार दीपक दूसरी वस्तुओं को प्रकाशित करता है और अपने स्वरूप को भी प्रकाशित करता है, उसी प्रकार अंत:करण दूसरी वस्तुओं को भी प्रत्यक्ष करता है और अपने आप को भी।
संपूर्णानंद
35. संदेह की स्थिति में सज्जनों के अंत:करण की प्रवृत्ति ही प्रमाण होती है।
कालिदास

36. मानव से संबंधित सभी वस्तुएं यदि उन्नति नहीं करतीं तो उनका ह्रास होने लगता है।

गिबन
37. केवल वही व्यक्ति जीवन में उन्नति कर रहा है जिसका हृदय कोमल , खून गर्म , दिमाग तेज होता जाता है औरजिसके मन को शांति मिलती जाती है।
रस्किन
38. यदि समाज के हर वर्ग तक उन्नति का भाग नहीं पहुंचता तो समझ लीजिए जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है।
सेनेका

39. स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति या अवनति निर्भर करती है।

अरस्तू

40. प्रकृति अपनी उन्नति और विकास में रुकना नहीं जानती। वह अपना अभिशाप प्रत्येक अकर्मण्यता पर लगाती है।
गेटे

41. हमारे यथार्थ शत्रु तीन हैं-दरिद्रता, रोग और मूर्खता। वे वीर धन्य हैं जो इन तीनोें के विरुद्ध युद्ध छेड़ते हैं। वे मानवता के यथार्थ के उपासक और हमारे सच्चे सेनानायक हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी

42. छोटे शत्रु को छोटे उपाय करके ही काबू मेें लाना चाहिए। जैसे चूहे को सिंह नहीं बिल्ली ही मारती है।

माघ

43. अपने शत्रु को कभी छोटा मत समझो। देखो, तिनकोें के बड़े ढेर को आग की छोटी सी चिंगारी भस्म कर देती है।
वृंद

44. आपके पास पचास मित्र हैं, यह अधिक नहीं है। आपके पास एक शत्रु है, यह बहुत अधिक है।
एक कहावत

45. विपत्ति में पड़े हुए मनुष्यों का प्रिय करने वाले दुर्लभ होते हैं।

शूद्रक

46. चंद्रमा की किरणों से खिल उठने वाला कुमुद पुष्प सूर्य की किरणों से नहीं खिला करता।
कालिदास

47. संपूर्ण कला केवल प्रकृति का ही अनुसरण है।

 सेनेका

48. मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता है, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है।

 रस्किन

49. कला विचार को मूर्ति में परिणित करती है।

 एमर्सन

50. दुनिया में दो ही ताकतें हैं, तलवार और कलम। और अंत में तलवार हमेशा कलम से हारती है।

 नेपोलियन

51. कला प्रकृति द्वारा देखा हुआ जीवन है।

 एमिल जोला

52. धर्म का उपदेश सुनने से कोई धर्मात्मा नहीं हो जाता, किंतु उपदेशानुसार व्यवहार करने से मनुष्य धर्मात्मा हो सकता है।

अज्ञात

53. फल मनुष्य के कर्म के अधीन है , बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है , फिर भी विद्वान और महात्मालोग अच्छी तरह से विचार कर ही कोई कर्म करते हैं।

चाणक्य

54. अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धि बल होता है। जिनमें केवल शारीरिक बल होता है, वे वास्तविक बलवान नहीं होते।

वेदव्यास

55. सच्चा बलवान तो वही होता है, जिसने अपने मन पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया हो।

विनोबा भावे

56. इच्छाओं के सामने आते ही बड़ी से बड़ी प्रतिज्ञाएं भी ताक पर धरी रह जाती हैं। समस्त भय और चिंता इच्छाओं का परिणाम है।

स्वामी रामकृष्ण

57. यदि हमारी इच्छाशक्ति ही कमजोर होने लगेगी तो मानसिक शक्तियां भी उसी तरह काम करने लगेंगी।

महात्मा गांधी

58. काम आरंभ करने मेें देर न करो। और अगर काम शुरू कर दिया है तो उसे पूरा कर के ही छोड़ो।
विनोबा भावे

59. सच्चे इंसान द्वारा किए गए कर्म न सिर्फ खुशबू देते हैं बल्कि दूसरोें को खुश भी करते हैं।
विष्णु प्रभाकर

60. चरित्र संपत्ति है। यह संपत्ति में सबसे उत्तम है।

स्माइल्स

61. चरित्र जीवन में शासन करने वाला तत्व है और इसका स्थान प्रतिभा से ऊंचा है।
फ्रेडरिक सांडर्स

62. गुण एकांत में अच्छी तरह विकसित होता है। चरित्र का निर्माण संसार के भीषण कोलाहल में होता है।

गेटे

63. चरित्र एक वृक्ष के समान है और ख्याति उसकी छाया है। छाया वही है जो हम उसके बारे में सोचते हैं, परंतु वृक्ष वास्तविक वस्तु है।

लिंकन

64. चरित्र एक ऐसा हीरा है जो हर पत्थर को घिस सकता है।

बर्टल

65. चोरी से कोई धनवान नहीं बन सकता, दान से कोई कंगाल नहीं हो सकता। थोड़ा सा झूठ भी कभी छिप नहीं सकता। यदि तुम सच बोलोगे तो सारी प्रकृति और सब जीव तुम्हारी सहायता करेंगे। चरित्र ही मनुष्य की पूंजी है।

एमर् सन

66. संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ है जो मनुष्य की आशा का पेट भर सके। पुरुष की आशा समुद्र के समान है, वह कभी भरती ही नहीं।
वेदव्यास

67. आत्मविश्वास सरीखा दूसरा मित्र नहीं। आत्मविश्वास ही भावी उन्नति की प्रथम सीढ़ी है।

स्वामी विवेकानंद

68. केवल आत्मज्ञान ही ऐसा है जो हमें सब जरूरतों से परे कर सकता है।

स्वामी रामतीरथ

69. विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।
रवींद्रनाथ

70. विश्वास के बिना काम करना सतहविहीन गड्ढे में पहुंचने के प्रयत्नों के समान है।
महात्मा गांधी

71. यदि तुम भूख से पीडि़त किसी कुत्ते को उठा लो और उसकी देखभाल करके उसे खुश करो तो वह तुम्हें कभी नहीं काटेगा। मनुष्य और कुत्ते में यही प्रधान अंतर है।

मार्क ट्वेन

72. कृतज्ञ और प्रसन्न हृदय से की गई पूजा ईश्वर को सबसे अधिक प्रिय है।

प्लूटार्क

73. कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है।

एक कहावत

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सदा खुश रहना और खुशी बांटना-यही सबसे बड़ा शान है।

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

-KMSRAJ51

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।

जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होता वहाँ थकावट होती है और थका हुआ कभी सफल नहीं होता।

 ~KMSRAJ51

 

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मन से कभी भी जीवन में निराश ना हाेना।

Kmsraj51 की कलम से…..

Kmsraj51-CYMT-Oct-14-1

“कभी भी मन से निराश हाेकर जीवन में बैठ ना जाना,
माना कि समस्यायें ताे जीवन में बहुत आयेगी,
लेकिन काेई भी समस्या लंबे समय तक, टिक नहीं सकती।”

-KMSRAJ51

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं,

ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

-KMSRAJ51

हर एक शब्द दो-अर्थी (Positive “or” Negative) हाेता हैं,
यह ताे साेंचने वाले पर निर्भर करता है।
की वह क्या (Positive “or” Negative) साेंच रहा हैं॥

-KMSRAJ51

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे”

-Kmsraj51 

अगर जीवन में सफल हाेना हैं. ताे जहाँ १० शब्दाें से काेई बात बन जाये वहा पर,

१०० शब्द बाेलकर अपनी मानसिक और वाणी की ऊर्जा को नष्ट नहीं करना चाहिए॥

-KMSRAJ51

“अगर जीवन में सफल हाेना हैं, ताे कभी भी काेई भी कार्य करें ताे पुरें मन से करे।

जीवन में सफलता आपकाे देर से ही सही लेकिन सफलता आपकाे जरुर मिलेगी॥”

 –KMSRAJ51

जिस बात काे आप (स्वयं) अपने आप तक सिमित नहीं रख सकते,
भला काेई आैर कैसे, उस बात काे अपने आप तक सिमित रख सकता हैं।

 –KMSRAJ51

“अपने मन काे इतना संयमित करले कि जिस समय जाे भी कार्य करें,
उस कार्य काे करने में इस कदर खाे जायें कि, उस कार्य के अलावा,
उस समय आपकाे आैर कुछ भी ना सुझे॥”

 –KMSRAJ51

जीवन का लक्ष्य पता करें, उसे पाने की इच्छा पैदा करें।

ऐसा नहीं करेंगे तो आप एक काम छोड़कर दूसरा और फिर तीसरा करते रहेंगे और खुद को नाकाम मानने लगेंगे। 

-KMSRAJ51

काम या लक्ष्य पर दृढ़ न रहना मानसिक थकावट को बताता है।

महत्वपूर्ण मौके पर पीछे हट गए। जबकि यह सफलता के सबसे करीब पहुंचने की स्थिति होती है। 

-KMSRAJ51

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

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* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

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* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

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* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

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* चांदी की छड़ी।

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अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए।

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अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए

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Incompleteness is necessary to live

अधूरापन शब्द सुनते ही मन में एक negative thought आ जाती है. क्योंकि यह शब्द अपने आप में जीवन की किसी कमी को दर्शाता है। पर सोचिये कि अगर ये थोड़ी सी कमी जीवन में ना हो तो जीवन खत्म सा नहीं हो जायेगा?

अगर आप ध्यान दीजिए तो आदमी को काम करने के लिए प्रेरित ही यह कमी करती है. कोई भी कदम, हम इस खालीपन को भरने की दिशा में ही उठाते हैं। Psychologists का कहना है कि मनुष्य के अंदर कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे किसी भी नकारात्मक भाव से दूर जाने और available options में से best option चुनने के लिए प्रेरित करती हैं। कोई भी चीज़ जो life में असंतुलन लाती है, आदमी उसे संतुलन की दिशा में ले जाने की कोशिश करता है।

“अगर कमी ना हो तो ज़रूरत नहीं होगी, ज़रूरत नहीं होगी तो आकर्षण नहीं होगा, और अगर आकर्षण नहीं होगा तो लक्ष्य भी नहीं होगा।”

अगर भूख ना लगे तो खाने की तरफ जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता। इसलिए अपने जीवन की किसी भी कमी को negative ढंग से देखना सही नहीं है।असल बात तो ये है कि ये कमी या अधूरापन हमारे लिए एक प्रेरक का काम करता है।

कमियां सबके जीवन में होती हैं बस उसके रूप और स्तर अलग-अलग होते हैं, और इस दुनिया का हर काम उसी कमी को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है, और किया जाता रहेगा। चाहे जैसा भी व्यवहार हो , रोज का काम हो, office जाना हो, प्रेम सम्बन्ध हो या किसी से नए रिश्ते बनाने हो सारे काम जीवन के उस खालीपन को भरने कि दिशा में किये जाते है। हाँ, ये ज़रूर हो सकता है कि कुछ लोग उस कमी के पूरा हो जाने के बाद भी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं।

आप किसी भी घटना को ले लीजिए आज़ादी की लड़ाई, कोई क्रांति, छोटे अपराध, बड़े अपराध या कोई परोपकार, हर काम किसी न किसी अधूरेपन को दूर करने के लिए हैं। कई शोधों से तो ये तक proof हो चुका है कि व्यक्ति किस तरह के कपड़े पहनता है, किस तरह कि किताब पढता है, किस तरह का कार्यक्रम देखना पसंद करता है और कैसी संस्था से जुड़ा है ये सब अपने जीवन की उस कमी को दूर करने से सम्बंधित है।

महान psychologist Maslow (मैस्लो) ने कहा है कि व्यक्ति का जीवन पांच प्रकार कि ज़रूरतों के आस – पास घूमता है।

पहली मौलिक ज़रूरतें – भूख, प्यास और सेक्स की।
दूसरी – सुरक्षा की।
तीसरी – संबंधों या प्रेम की।
चौथी आत्मा – सम्मान की।
और पांचवी – आत्म सिद्धि (Self-accomplishment) की जिसमे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग करता है।

ज़रूरी नहीं की हम अपने जीवन में Maslow’s Hierarchy of needs में बताई गयी सारी stages तक पहुँच पाएं और हर कमी को दूर कर पाएं, पर प्रयास ज़रूर करते हैं.
कई घटनाएँ ऐसी सुनने में आती हैं जहाँ लोगों ने अपने जीवन की कमियों को अपनी ताकत में बदला हैं और जिसके कारण पूरी दुनियां उन्हें जानती है जिसमे Albert Einstein और Abraham Lincoln का नाम सबसे ऊपर आता है.
Albert Einstein जन्म से ही learning disability का शिकार थे , वह चार साल तक बोल नहीं पाते थे और नौ साल तक उन्हें पढ़ना नहीं आता था। College Entrance के पहले attempt में वो fail भी हो गए थे. पर फिर भी उन्होंने जो कर दिखाया वह अतुलनीय है।
Abraham Lincoln ने अपने जीवन में health से related कई problems face कीं। उन्होंने अपने जीवन में कई बार हार का मुंह देखा यहाँ तक की एक बार उनका nervous break-down भी हो गया, पर फिर भी वे 52 साल की उम्र में अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने।

“सच ही है अगर इंसान चाहे तो अपने जीवन के अधूरेपन को ही अपनी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बना सकता है।
जो अधूरापन हमें जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे , भला वह Negative कैसे हो सकता है।”

“ज़रा सोचिये! कि अगर ये थोडा सा अधूरापन हमारे जीवन में न हो तो जीवन कितना अधूरा हो जाये।”

In English

– Incompleteness is necessary to live –

Adhurapna shabd melody is a negative thought in mind. Because the term itself refers to a loss of life. But imagine that if it’s not in the slightest bit short life will not end life?

If you give notice to the person to work it does lack. Any steps we take in the direction of filling emptiness.Psychologists say that humans have innate powers which something inside her move away from any negative sense and available options to choose the best option simulates. Any thing life brings imbalance in men it is carrying koshishkarta towards balance.
If not then do not need shortage won’t have the draw will not, and will not, will not target if charm. if hunger took the side of the asylum right question arises. Therefore lack any of your life watching negative manner is not correct. The real thing is that these lack or incompleteness of a motivator for us.
Drawbacks are just as her life and everybody levels vary. And of this world every thing is to meet the shortage and will continue to be. Even as the work of the practice day, go to office, love relationship or a new relationship may only fill the emptiness of all things life that are made in that direction. Yes, these may of course that some people even after the reduction is completed his work for better living.
You collect any event freely fight, no revolution, no big small crime, guilt or benevolence, nailed every thing adhurepan to remove these from the proof many are oversees research has been that person wears, what kind of fabric that is, what kind of program book padhta likes to watch and what institution is connected to all of your life to overcome the constraints associated with the Is.
The great psychologist Maslow (maislo) said that five types of life that revolve around needs – pass.
Pahlimaulik needs; Hunger, thirst, and sex.
Dusrisurksha chauthiatma-tisrisambandhon or of love, honor aurpanchaviatmasiddhi (self-actualization) of which uses his abilities of the person.
Not we your life Maslow Hierarchy of needs ‘ s added in all the stages reached by e-mail and every vulnerability able, make sure to try on.
Many events in such hearing where people in your life are changed and the shortcomings of its strength due to which the whole world’s best parathas Albert Einstein and Abraham Lincoln that they know the name comes at the top.
Albert Einstein was a victim of the learning disability since birth, she cannot speak and four years nine years did not read them. In the first attempt fail College Entrance were also. Still, he showed that he is incomparable.
Abraham Lincoln did face many problems related to health in their lives did. He looked lost at times in my life mouth even once his nervous break-down is also done, but still they are 52-year-old American President as sixteenths.
True if the person wants your life adhurepan your motivation could make the largest source.
Do the things in life that inspire the passage of incompleteness give us, how could he not negative.
“Just imagine! If it’s a little bit not incompleteness in our lives should be so incomplete life!

Priyank Dubey

Roorkee-Uttarakhand

We are grateful to Priyank Dubey Ji for sharing this inspirational Hindi Quotes-Story with KMSRAJ51 readers.

“अगर सच्चे-मन से जीवन में कुछ करने की ठान लाे, ताे सफलता आपकाे जरुर मिलेगी। -KMSRAJ51”

Note::-

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सफलता कठोर मेहनत और खुद पर भरोसा करने से मिलती है।

यह गिफ्ट में या धनी परिवार में पैदा होने से नहीं मिलती है।

-Kmsraj51

– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

http://wp.me/p3gkW6-1dk

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

http://wp.me/p3gkW6-mn

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

http://wp.me/p3gkW6-1dD

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

http://wp.me/p3gkW6-Ig

* चांदी की छड़ी।

http://wp.me/p3gkW6-1ep

 

 

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अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

Kmsraj51 की कलम से…..

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अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

भगवान ने भाग्य कि रेखा खिंचने वाली पेंसिल हम सबके हाथाें में दे दिया है। जैसा भी चाहाे भाग्य कि रेखा खिंच लाे।

~Kmsraj51

सफलता का सबसे सरल तरिका है, अपने आंतरिक मन के कमजोर बिंदुआे काे अपने आपसे दुर करें।

~Kmsraj51

जिस कार्य काे करने से आपकाे आंतरिक मन की खुशी मिले उसी कार्य काे करें।

~Kmsraj51

अगर आप अपने कार्य से खुश है, ताे फिर अन्य क्या कहते है, उसकी परवाह ना करें।

~Kmsraj51

:- गहराई से सोचना प्रत्येक शब्द 

मेरे(kmsraj51) कुछ व्यक्तिगत सकारात्मक विचारों का समूह …..

अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखना …..

हमेशा मन को शांत रखना …..

दिमाग को हमेशा अनुसंधान में लगाये रखना …..

हमेशा (सदैव) अन्य लोगों से अपनी सोच को अलग रखना …..

हमेशा अपनी मन की कमजोरी को दूर रखना …..

हमेशा आंतरिक आत्मा की (आत्मा के अंदर की आवाज) आवाज सुनो …..

हमेशा ईस सूत्र का उपयोग करें …..

….. कोशिश + कोशिश + कोशिश + कोशिश + कोशिश = सफलता

आपके जीवन में हमेशा खुशी मिलेगी …..

Note::-

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खुद को साबित करने के लिए मौका मिलने के आप हकदार हैं। सफलता की नींव आप खुद हैं। 

दूसरे क्या सोच रहे हैं, इस बारे में अनुमान लगाते रहना नकारात्मक सोच की निशानी है।

-Kmsraj51

 

 

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सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान काैन?

Kmsraj51 की कलम से…..

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सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान काैन?

किसी के पास अगर सिर्फ स्थूल सम्पत्ति है तो भी सदा सन्तुष्ट नहीं रह सकते। स्थूल सम्पत्ति के साथ अगर सर्व गुणों की सम्पत्ति, सर्व शक्तियों की सम्पत्ति और ज्ञान की श्रेष्ठ सम्पत्ति नहीं है तो सन्तुष्टता सदा नहीं रह सकती।  दुनिया वाले सिर्फ स्थूल सम्पत्ति वाले को सम्पत्तिवान समझते हैं।

सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान वह हैं जिसके पास स्थूल सम्पत्ति के साथ अगर सर्व गुणों की सम्पत्ति, सर्व शक्तियों की सम्पत्ति और ज्ञान की श्रेष्ठ सम्पत्ति है

वाे ही सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान है।

किसी भी मनुष्य की तीन मुख्य-सम्पत्ति (Property)

  1. गुणों की सम्पत्ति,
  2. ज्ञान की श्रेष्ठ सम्पत्ति,
  3. आत्मिक शक्तियों की सम्पत्ति,

ये तीनाे शक्तिया जिस मनुष्य के पास “न” हाे, सिर्फ स्थूल सम्पत्ति है तो भी सदा सन्तुष्ट नहीं रह सकता।

कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को जान विकर्मों से बचना ही ज्ञान हाेने का बाेध कराता है।

साभार-

“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से

Note::-

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kmsraj51 की कलम से …..

Coming soon book (जल्द ही आ रहा किताब)…..

“तू ना हो निराश कभी मन से”

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“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51 

खुद को साबित करने के लिए मौका मिलने के आप हकदार हैं। सफलता की नींव आप खुद हैं। 

दूसरे क्या सोच रहे हैं, इस बारे में अनुमान लगाते रहना नकारात्मक सोच की निशानी है।

 

 

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सफलता का आधार है, आत्मविश्वास..

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सफलता का आधार है, आत्मविश्वास

Self Confidence

स्वामी विवेकानंद जी

मित्रों, जीवन  में हम सभी अपने-अपने लक्ष्य को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहते हैं। विद्यार्थी अच्छे नम्बरों से पास होकर एक अच्छी नौकरी का सपना लिये आगे बढने की कोशिश करते हैं। व्यपारी अपने कारोबार को आगे बढाने का सपना देखते हैं, खिलाङी सर्वश्रेष्ठ प्रर्दशन का सपना संजोते हैं। ऐसे ही अनेक लोग अपने-अपने  क्षेत्रों में अपना बेस्ट देने का प्रयास करते हैं और सफलता अर्जित करना चाहते हैं। किन्तु अक्सर देखा जाता है कि सभी को सफलता आसानी से मिल जाये ये मुमकिन नही होता। परेशानियां और अङचने तो आ ही जाती हैं, जिसके कारण उत्साह में थोङी उदासीनता आना स्वाभाविक है परंतु ऐसी विषम परिस्थिति में हमारा आत्मविश्वास ही एक जादूई पारस पत्थर की तरह हमें आगे बढने में मदद करता है। आत्मविश्वास अर्थात स्वयं पर विश्वास। हम लोग अक्सर एक शब्द सुनते हैं इच्छा-शक्ति इस इच्छा और शक्ति के बीच छुपा हुआ जो प्रकाश पुंज है वही है आत्मविश्वास। किसी कार्य को करने की कामना अर्थात इच्छा रखना बहुत अच्छी बात है परंतु आत्मविश्वास की ज्योति के बिना किसी काम में सफलता की कामना करना अपने आप को धोखा देने के समान है।

स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि, “जिसमें आत्मविश्वास नही उसमें अन्य चीजों के प्रति कैसे विश्वास हो सकता है ? ”

आत्मविश्वास तो सफलता की नॉव का एक ऐसा सशक्त मल्लाह है, जो डूबती नॉव को उलझनों एवं कठिनाईंयों की प्रचंड लहरों के बीच, पतवार के सहारे नही बल्कि अपने विश्वास रूपी हाँथों के सहारे बाहर ले आता है। गाँधी जी एवं अनेक देशभक्तों के आत्मविश्वास का ही परिणाम है भारत की आजादी। स्वामी विवेकानंद जी अपने आत्मविश्वास के बल पर ही शिकागो धर्म सभा में भारत को गौरवान्वित कर सके, जबकि विदेष में उन्हे अपनी वेश-भूषा के कारण उपहास का पात्र बनना पङा था। बुद्ध, ईसा, सुकरात जैसे लोगों ने तो अपने आत्मविश्वास के बल पर युगों के प्रवाह को ही मोङ दिया। मानव जीवन के इतिहास में महापुरुषों के आत्मविश्वास का असीम योगदान है। महाराणा प्रताप अपने बच्चों के साथ भूखे-प्यासे जंगल-जंगल भटक रहे थे। अकबर की विशाल सेना उनके पीछे पङी हुई थी। उन्हे अकबर द्वारा कई प्रलोभन दिया गया। उनके पास समर्पण का भी प्रस्ताव भेजा गया जिसके बदले में उनका राज्य उन्हे लौटाने की बात कही गई, परंतु आत्मविश्वासी महाराणा प्रताप किसी भी प्रलोभन के चंगुल में नही फंसे और अंत तक युद्ध करते रहे। उनकी विरता की गाथा और स्वाभिमान राजस्थान का गौरव है।

स्वामी रामतीर्थ कहते हैंः-  “धरती को हिलाने के लिए धरती से बाहर खङे होने की जरूरत नही है। आवश्यकता है, आत्मा की शक्ति को जानने और जगाने की।” 

सुदृढ विश्वास किसी भी चुनौति से घबराता नही है, बल्कि उससे पार पाने के लिए अपनी राह निकालकर आगे की ओर अग्रसर हो जाता है। खिलाङी हो या सैनिक दोनों ही अपने आत्मविश्वास से ही जीत हासिल करते हैं। पूरे एक वर्ष की पढाई को व्यक्त करने के लिए तीन घंटे की परिक्षा का समय कितना कम होता है!  और तो और कभी-कभी तो कुछ ऐसे प्रश्न भी आ जाते हैं जो उनके कोर्स का नही होता है। ऐसी स्थिती में जो विद्यार्थी अपना पूरा ज्ञान,  संयम और आत्मविश्वास के साथ ध्यान करता है वो लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर सफलता से देकर अच्छे अंकों को प्राप्त करता है। वहीं जो विद्यार्थी ऐसे  अप्रत्याशी प्रश्नों को देखकर घबरा जाते हैं, वो याद किया हुआ उत्तर भी सही ढंग से नही लिख पाते उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है, जिससे उन्हे उनकी आशा के अनुरूप अंक नही मिलपाते। आत्मविश्वास तो ऐसी मनः स्थिति है, जो प्रकृति, संस्कृति, परिस्थिति एवं नियति (भाग्य) किसी के भी विरुद्ध खङी हो सकती है, भले ही मार्ग नया हो।  पर जिसके भी साथ होती है, उसकी अपनी नई ऊर्जा के साथ होती है।

रामधारी सिंह दिनकर कहते हैंः-  “सियाही देखता है, देखता है तु अंधेरे को,
                                                 किरण को घेरकर छाए हुए विकराल घेरे को,
                                                 उसे भी देख, जो इस बाहरी तम को बहा सकती है।
                                                 दबी तेरे लहु में रौशनी की धार है साथी,
                                                 उसे भी देख, जो भीतर भरा अंगार है साथी।” 

आत्मविश्वास, किसी टिमटिमाते दिपक की लौ के समान नही होता, जो फूंक मारने से भी कंपित हो जाये; बल्कि वो तो ऐसा दावानल है, जो आँधी और तुफान से बुझने के बजाय और भी प्रज्वलित हो जाता है। आत्मविशवास हमारी सफलता का अभिन्न अंग है, परंतु अति आत्मविशवास एक बिमार मानसिकता का प्रतीक है, जिससे हम सबको बचना चाहिए।

ए.पी. जे. अब्दुल्ल कलाम के अनुसारः- ‘Confidence & Hard work is the best medicine to kill the disease called failure. It will make you a successful person.’ 

आत्मविश्वास रूपी प्रेरणा कुछ आन्तरिक संक्लपों से निर्मित होती है तो कुछ बाह्य कारणों से निर्मत होती है, जिसे अंग्रेजी में नेचर बनाम नर्चर का नाम दिया जाता है। एक बच्चा या बच्ची जब साइकिल चलाना सिखते हैं तो उनके अभिभावक पिछे से साइकिल को पकङे रहते हैं, बच्चे को भी विश्वास होता है अपने अभिभावक पर और वो आगे देखकर साइकिल चलाने लगता है। कुछ पल बाद जब अभिभावक को लगता है कि बच्चा अपना बैलेंस बना ले रहा है तो, वह अपने को साइकिल से दूर कर लेते हैं और बच्चा अकेले ही साइकिल चलाने लगता है क्योंकि उसे विश्वास होता है कि उसके अभिभावक उसे पकङे हुए हैं। जब उसे सत्य स्थिति का बोध होता है तो एकबार थोङा लङखङाता है किन्तु दूसरे ही पल आत्मविश्वास के साथ पुनः साइकिल चलाने लगता है। विश्वास हमारे व्यक्तित्व की ऐसी विभूति है, जो आश्चर्यजनक ढंग से हमसे बङे सा बङा कार्य करवा लेती है। आज की अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनिक, मंगल की यात्रा हो या पुराने समय के मिस्र के पिरामिड, पनामा नहर और दुर्गम पर्वतों पर बने भवन और सङक मार्ग इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देते हैं।

स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, “कभी कमजोर नही पङें, आप अपने आपको शक्तिशाली बनाओ, आपके भीतर अनंत शक्ति है।” 

जीवन में जब कठिनाईयां आती हैं तो कष्ट होता है, लेकिन जब यही कठिनाईयां जाती हैं तो प्रसन्नता के साथ-साथ एक आत्मविश्वास को भी जगा जाती हैं। जो कष्ट की तुलना में अधिक मूल्वान है।  नाकामयाबी को सिर्फ सङक का एक स्पीड ब्रेकर समझें जिसके बाद हम पुनः अपनी आत्मशक्ति रूपी ऊर्जा से आगे बढें। आत्मविश्वास की कूंजी से हम सब अपने-अपने लक्ष्यों का ताला सफलता से खोल सकेगें क्योंकि सफलता की नींव है, मेहनत और विश्वास।  अतः मित्रों, आत्मविश्वास रूपी बीज का अंकुरण अवश्य करें उसे अपनी सकारत्मक सोच और मेहनत की खाद से पोषित करें क्योंकि आत्मविश्वास सम्पूर्ण सफलताओं का आधार है।

“Self Confidence the foundation of all great success & achievement.”

नोट: Post inspired by- Mrs. ,,

Anita Sharma

एक अपील

आज कई दृष्टीबाधित बच्चे अपने हौसले से एवं ज्ञान के बल पर अपने भविष्य को सुनहरा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कई दृष्टीबाधित बच्चे तो शिक्षा के माधय्म से अध्यापक पद पर कार्यरत हैं। उनके आत्मनिर्भर बनने में शिक्षा का एवं आज की आधुनिक तकनिक का विशेष योगदान है। आपका साथ एवं नेत्रदान का संकल्प कई दृष्टीबाधित बच्चों के जीवन को रौशन कर सकता है। मेरा प्रयास शिक्षा के माध्यम से दृष्टीबाधित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना है। इस प्रयोजन हेतु, ईश कृपा से एवं परिवार के सहयोग से कुछ कार्य करने की कोशिश कर रहे हैं जिसको YouTube पर “audio for blind by Anita Sharma” लिख कर देखा जा सकता है।
श्रीमती. अनीता शर्मा जी का तहे दिल से आभारी हुँ। for sharing great Hindi quotes “Self Confidence”.
Mrs. Anita Sharma Blog:- http://roshansavera.blogspot.in/

Note::-

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जीवन मंदिर सा पावन हाे, बाताें में सुंदर सावन हाे।

स्वाथ॔ ना भटके पास ज़रा भी, हर दिन मानो वृंदावन हाे॥

-KMSRAJ51 

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अंग्रेजी और हिंदी में मुरली…..

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हिंदी मुरली (21-Sep-2014)

प्रात: मुरली ओम् शान्ति ’अव्यक्त-बापदादा“ रिवाइज: 19-12-78 मधुबन

रीयल्टी ही सबसे बड़ी रॉयल्टी है

वरदान:- मनमनाभव के मन्त्र द्वारा मन के बन्धन से छूटने वाले निर्बन्धन, ट्रस्टी भव
कोई भी बंधन ापिंजड़ा है। ापिंजड़े की मैना अब निर्बन्धन उड़ता पंछी बन गयी। अगर कोई तन का बंधन भी है तो भी मन उड़ता पंछी है क्योंकि मनमनाभव होने से मन के बन्धन छूट जाते हैं। प्रवृत्ति को सम्भालने का भी बन्धन नहीं। ट्रस्टी होकर सम्भालने वाले सदा निर्बन्धन रहते हैं। गृहस्थी माना बोझ, बोझ वाला कभी उड़ नहीं सकता। लेकिन ट्रस्टी हैं तो निर्बन्धन हैं और उड़ती कला से सेकण्ड में स्वीट होम पहुंच सकते हैं।

स्लोगन:- उदासी को अपनी दासी बना दो, उसे चेहरे पर आने न दो।

English Murli (21-Sep-2014)

Reality is the Greatest Royalty.

Question: Who can maintain permanent intoxication? What are the signs of those who have permanent intoxication?
Answer: Only those who are seated on BapDada’s heart-throne can have permanent intoxication. The place for the elevated confluence-aged souls is the Father’s heart-throne. You cannot find such a throne throughout the whole cycle. You will continue to receive the throne of the kingdom of the world or the kingdom of a state, but you will not find such a throne again. This is such an unlimited throne that, whether you are walking around, eating or sleeping, you are on the throne. Those children who are seated on the throne in this way have forgotten the old bodies and the bodily world and, while seeing, do not see anything.

Question: On the basis of which dharna can you remain constantly merged in the ocean of happiness?
Answer: Be introverted. Those who are introverted are always happy. Residents of Indore means those who are introverted and are constantly happy. The Father is the Ocean of Happiness and so the children would also remain merged in love in the ocean of happiness. The children of the Bestower of Happiness would also be bestowers of happiness, the ones who distribute the treasures of happiness to all souls. Whoever comes and with whatever loving feeling they come, they should have them fulfilled through you. So, become images that are complete and perfect. Just as nothing is lacking in the Father’s treasure-store, similarly, children would also be fully satisfied souls, the same as the Father.

Achcha. Om shanti.

Blessing: May you be a trustee who is free from bondage and with the mantra of manmanabhav, become free from any bondage of the mind.
Any type of bondage is a cage. A caged bird has now become a bondage free, flying bird. Even if there is any bondage of the body, the mind is a flying bird because, by your being manmanabhav, any bondages of the mind are broken. There is no bondage even in looking after matter. Those who look after everything as trustees are free from bondage. A householder means to have a burden and those who have a burden can never fly. If you are a trustee, you are free from bondage and you can reach your sweet home with your flying stage in a second.

Slogan: Make unhappiness your servant and do not let it show on your face.

आध्यात्मिक सेवा में ब्रह्मकुमारी,

In Spiritual Service Brahmakumari,

Note::-

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अगर जीवन में सफल हाेना हैं, ताे कभी भी काेई भी कार्य करें ताे पुरें मन से करे।

जीवन में सफलता आपकाे देर से ही सही लेकिन सफलता आपकाे जरुर मिलेगी॥

 ~KMSRAJ51

 

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मुरली हिंदी और अंग्रेजी में…..

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हिंदी मुरली (20-Sep-2014)

मुरली सार:- “मीठे बच्चे – बाप की श्रीमत पर चलकर अपना श्रृंगार करो, परचिन्तन से अपना श्रृंगार मत बिगाड़ो, टाइम वेस्ट न करो”

प्रश्न:- तुम बच्चे बाप से भी तीखे जादूगर हो – कैसे?

उत्तर:- यहाँ बैठे-बैठे तुम इन लक्ष्मी-नारायण जैसा अपना श्रृंगार कर रहे हो। यहाँ बैठे अपने आपको चेन्ज कर रहे हो, यह भी जादूगरी है। सिर्फ अल्फ को याद करने से तुम्हारा श्रृंगार हो जाता है। कोई हाथ-पांव चलाने की भी बात नहीं सिर्फ विचार की बात है। योग से तुम साफ, स्वच्छ और शोभनिक बन जाते हो, तुम्हारी आत्मा और शरीर कंचन बन जाता है, यह भी कमाल है ना।

धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) दूसरी सब बातों को छोड़ इसी धुन में रहना है कि हम लक्ष्मी-नारायण जैसा श्रृंगारधारी कैसे बने?
2) अपने से पूछना है कि :-
(1) हम श्रीमत पर चलकर मनमनाभव की चाबी से अपना श्रृंगार ठीक कर रहे हैं?
(2) उल्टी सुल्टी बातें सुनकर वा सुनाकर श्रृंगार बिगाड़ते तो नहीं हैं?
(3) आपस में प्रेम से रहते हैं? अपना वैल्युबुल टाइम कहीं पर वेस्ट तो नहीं करते हैं?
(4) दैवी स्वभाव धारण किया है?

वरदान:- शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को सम्भव करने वाले सहजयोगी भव
शान्ति की शक्ति सर्वश्रेष्ठ शक्ति है। शान्ति की शक्ति से ही और सब शक्तियां निकली हैं। साइन्स की शक्ति का भी जो प्रभाव है वह साइंस भी साइलेन्स से निकली है। तो शान्ति की शक्ति से जो चाहो वह कर सकते हो। असम्भव को भी सम्भव कर सकते हो। जिसे दुनिया वाले असम्भव कहते हैं वह आपके लिए सम्भव है और सम्भव होने के कारण सहज है। शान्ति की शक्ति को धारण कर सहजयोगी बनो।

स्लोगन:- वाणी द्वारा सबको सुख और शान्ति दो तो गायन योग्य बनेंगे।

English Murli (20-Sep-2014)

Essence: Sweet children, follow the Father’s shrimat and decorate yourselves. Do not spoil your decoration by thinking about others. Do not waste your time.

Question: How are you children cleverer magicians than the Father?
Answer: Whilst sitting here, you are decorating yourselves to become like Lakshmi and Narayan. While sitting here you are changing yourselves: this too is magic. By remembering Alpha alone, you become decorated. There is no need to use your hands and feet, for it is just a question of thinking about it. By having yoga, you become clean, pure and beautiful. Both you, the souls, and your bodies become pure, and that too is a wonder.

Essence for dharna:
1. Renounce everything else and simply be concerned about how to become decorated like Lakshmi and Narayan.
2. Ask yourself:
1) Am I decorating myself very well by following shrimat and using the key of manmanabhav?
2) Am I spoiling my decoration by speaking and listening to wrong things?
3) Do I interact with everyone with love? Am I wasting my valuable time anywhere?
4) Have I adopted a divine nature?

Blessing: May you be an easy yogi who makes the impossible possible with the power of silence.
The power of silence is the most elevated power. All other powers have emerged through the power of silence. The impact of the power of science has emerged from silence. You can achieve whatever you want through the power of silence. You can even make the impossible possible. Whatever the world considers to be impossible, you consider that to be possible and, because it is possible, it is easy. Imbibe the power of silence and become an easy yogi.

Slogan: Give everyone happiness and peace through your words and you will become worthy of being remembered.

आध्यात्मिक सेवा में ब्रह्मकुमारी,

In Spiritual Service Brahmakumari,

Note::-

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अनमोल वचन-A

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Great Quotes(अनमोल वचन)

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  • अपना मूल्य समझो और विश्वास करो कि तुम संसार के सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हो।
  • अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।
  • अपना काम दूसरों पर छोड़ना भी एक तरह से दूसरे दिन काम टालने के समान ही है। ऐसे व्यक्ति का अवसर भी निकल जाता है और उसका काम भी पूरा नहीं हीता।
  • अपना आदर्श उपस्थित करके ही दूसरों को सच्ची शिक्षा दी जा सकती है।
  • अपने व्यवहार में पारदर्शिता लाएँ। अगर आप में कुछ कमियाँ भी हैं, तो उन्हें छिपाएं नहीं; क्योंकि कोई भी पूर्ण नहीं है, सिवाय एक ईश्वर के।
  • अपने हित की अपेक्षा जब परहित को अधिक महत्त्व मिलेगा तभी सच्चा सतयुग प्रकट होगा।
  • अपने दोषों से सावधान रहो; क्योंकि यही ऐसे दुश्मन है, जो छिपकर वार करते हैं।
  • अपने अज्ञान को दूर करके मन-मन्दिर में ज्ञान का दीपक जलाना भगवान की सच्ची पूजा है।
  • अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बढ़कर प्रमाद इस संसार में और कोई दूसरा नहीं हो सकता।
  • अपने कार्यों में व्यवस्था, नियमितता, सुन्दरता, मनोयोग तथा ज़िम्मेदार का ध्यान रखें।
  • अपने जीवन में सत्प्रवृत्तियों को प्रोतसाहन एवं प्रश्रय देने का नाम ही विवेक है। जो इस स्थिति को पा लेते हैं, उन्हीं का मानव जीवन सफल कहा जा सकता है।
  • अपने आपको सुधार लेने पर संसार की हर बुराई सुधर सकती है।
  • अपने आपको जान लेने पर मनुष्य सब कुछ पा सकता है।
  • अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बड़ा प्रमाद इस संसार में और कोई दूसरा नहीं हो सकता।
  • अपने आप को बचाने के लिये तर्क-वितर्क करना हर व्यक्ति की आदत है, जैसे क्रोधी व लोभी आदमी भी अपने बचाव में कहता मिलेगा कि, यह सब मैंने तुम्हारे कारण किया है।
  • अपने देश का यह दुर्भाग्य है कि आज़ादी के बाद देश और समाज के लिए नि:स्वार्थ भाव से खपने वाले सृजेताओं की कमी रही है।
  • अपने गुण, कर्म, स्वभाव का शोधन और जीवन विकास के उच्च गुणों का अभ्यास करना ही साधना है।
  • अपने को मनुष्य बनाने का प्रयत्न करो, यदि उसमें सफल हो गये, तो हर काम में सफलता मिलेगी।
  • अपने आप को अधिक समझने व मानने से स्वयं अपना रास्ता बनाने वाली बात है।
  • अपनी कलम सेवा के काम में लगाओ, न कि प्रतिष्ठा व पैसे के लिये। कलम से ही ज्ञान, साहस और त्याग की भावना प्राप्त करें।
  • अपनी स्वंय की आत्मा के उत्थान से लेकर, व्यक्ति विशेष या सार्वजनिक लोकहितार्थ में निष्ठापूर्वक निष्काम भाव आसक्ति को त्याग कर समत्व भाव से किया गया प्रत्येक कर्म यज्ञ है।
  • अपनी आन्तरिक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें तो हम पुरुष से महापुरुष, युगपुरुष, मानव से महामानव बन सकते हैं।
  • अपनी दिनचर्या में परमार्थ को स्थान दिये बिना आत्मा का निर्मल और निष्कलंक रहना संभव नहीं।
  • अपनी प्रशंसा आप न करें, यह कार्य आपके सत्कर्म स्वयं करा लेंगे।
  • अपनी विकृत आकांक्षाओं से बढ़कर अकल्याणकारी साथी दुनिया में और कोई दूसरा नहीं।
  • अपनी महान संभावनाओं पर अटूट विश्वास ही सच्ची आस्तिकता है।
  • अपनी भूलों को स्वीकारना उस झाडू के समान है जो गंदगी को साफ़ कर उस स्थान को पहले से अधिक स्वच्छ कर देती है।
  • अपनी शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता।
  • अपनी बुद्धि का अभिमान ही शास्त्रों की, सन्तों की बातों को अन्त: करण में टिकने नहीं देता।
  • अपनों के लिये गोली सह सकते हैं, लेकिन बोली नहीं सह सकते। गोली का घाव भर जाता है, पर बोली का नहीं।
  • अपनों व अपने प्रिय से धोखा हो या बीमारी से उठे हों या राजनीति में हार गए हों या श्मशान घर में जाओ; तब जो मन होता है, वैसा मन अगर हमेशा रहे, तो मनुष्य का कल्याण हो जाए।
  • अपनों के चले जाने का दुःख असहनीय होता है, जिसे भुला देना इतना आसान नहीं है; लेकिन ऐसे भी मत खो जाओ कि खुद का भी होश ना रहे।
  • अगर किसी को अपना मित्र बनाना चाहते हो, तो उसके दोषों, गुणों और विचारों को अच्छी तरह परख लेना चाहिए।
  • अगर हर आदमी अपना-अपना सुधार कर ले तो, सारा संसार सुधर सकता है; क्योंकि एक-एक के जोड़ से ही संसार बनता है।
  • अगर कुछ करना व बनाना चाहते हो तो सर्वप्रथम लक्ष्य को निर्धारित करें। वरना जीवन में उचित उपलब्धि नहीं कर पायेंगे।
  • अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी ख़रीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली।
  • अतीत की स्म्रतियाँ और भविष्य की कल्पनाएँ मनुष्य को वर्तमान जीवन का सही आनंद नहीं लेने देतीं। वर्तमान में सही जीने के लिये आवश्य है अनुकूलता और प्रतिकूलता में सम रहना।
  • अतीत को कभी विस्म्रत न करो, अतीत का बोध हमें ग़लतियों से बचाता है।
  • अपराध करने के बाद डर पैदा होता है और यही उसका दण्ड है।
  • अभागा वह है, जो कृतज्ञता को भूल जाता है।
  • अखण्ड ज्योति ही प्रभु का प्रसाद है, वह मिल जाए तो जीवन में चार चाँद लग जाएँ।
  • अडिग रूप से चरित्रवान बनें, ताकि लोग आप पर हर परिस्थिति में विश्वास कर सकें।
  • अच्छा व ईमानदार जीवन बिताओ और अपने चरित्र को अपनी मंज़िल मानो।
  • अच्छा साहित्य जीवन के प्रति आस्था ही उत्पन्न नहीं करता, वरन उसके सौंदर्य पक्ष का भी उदघाटन कर उसे पूजनीय बना देता है।
  • अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते हैं, उतनी ही नम्रता आती है।
  • अधिक इच्छाएँ प्रसन्नता की सबसे बड़ी शत्रु हैं।
  • अपनापन ही प्यारा लगता है। यह आत्मीयता जिस पदार्थ अथवा प्राणी के साथ जुड़ जाती है, वह आत्मीय, परम प्रिय लगने लगती है।
  • अवसर की प्रतीक्षा में मत बैठो। आज का अवसर ही सर्वोत्तम है।
  • अवसर उनकी सहायता कभी नहीं करता, जो अपनी सहायता नहीं करते।
  • अवसर की प्रतीक्षा में मत बैठों। आज का अवसर ही सर्वोत्तम है।
  • अवतार व्यक्ति के रूप में नहीं, आदर्शवादी प्रवाह के रूप में होते हैं और हर जीवन्त आत्मा को युगधर्म निबाहने के लिए बाधित करते हैं।
  • अस्त-व्यस्त रीति से समय गँवाना अपने ही पैरों कुल्हाड़ी मारना है।
  • अवांछनीय कमाई से बनाई हुई खुशहाली की अपेक्षा ईमानदारी के आधार पर गरीबों जैसा जीवन बनाये रहना कहीं अच्छा है।
  • असत्य से धन कमाया जा सकता है, पर जीवन का आनन्द, पवित्रता और लक्ष्य नहीं प्राप्त किया जा सकता।
  • अंध परम्पराएँ मनुष्य को अविवेकी बनाती हैं।
  • अंध श्रद्धा का अर्थ है, बिना सोचे-समझे, आँख मूँदकर किसी पर भी विश्वास।
  • असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं हुआ।
  • असफलता मुझे स्वीकार्य है किन्तु प्रयास न करना स्वीकार्य नहीं है।
  • असफलताओं की कसौटी पर ही मनुष्य के धैर्य, साहस तथा लगनशील की परख होती है। जो इसी कसौटी पर खरा उतरता है, वही वास्तव में सच्चा पुरुषार्थी है।
  • अस्वस्थ मन से उत्पन्न कार्य भी अस्वस्थ होंगे।
  • असत्‌ से सत्‌ की ओर, अंधकार से आलोक की ओर तथा विनाश से विकास की ओर बढ़ने का नाम ही साधना है।
  • अश्लील, अभद्र अथवा भोगप्रधान मनोरंजन पतनकारी होते हैं।
  • अंतरंग बदलते ही बहिरंग के उलटने में देर नहीं लगती है।
  • अनीति अपनाने से बढ़कर जीवन का तिरस्कार और कुछ हो ही नहीं सकता।
  • अव्यवस्थित जीवन, जीवन का ऐसा दुरुपयोग है, जो दरिद्रता की वृद्धि कर देता है। काम को कल के लिए टालते रहना और आज का दिन आलस्य में बिताना एक बहुत बड़ी भूल है। आरामतलबी और निष्क्रियता से बढ़कर अनैतिक बात और दूसरी कोई नहीं हो सकती।
  • अहंकार छोड़े बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता।
  • अहंकार के स्थान पर आत्मबल बढ़ाने में लगें, तो समझना चाहिए कि ज्ञान की उपलब्धि हो गयी।
  • अन्याय में सहयोग देना, अन्याय के ही समान है।
  • अल्प ज्ञान ख़तरनाक होता है।
  • अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है।
  • अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता।
  • अपवित्र विचारों से एक व्यक्ति को चरित्रहीन बनाया जा सकता है, तो शुद्ध सात्विक एवं पवित्र विचारों से उसे संस्कारवान भी बनाया जा सकता है।
  • असंयम की राह पर चलने से आनन्द की मंज़िल नहीं मिलती।
  • अज्ञान और कुसंस्कारों से छूटना ही मुक्ति है।
  • असत्‌ से सत्‌ की ओर, अंधकार से आलोक की और विनाश से विकास की ओर बढ़ने का नाम ही साधना है।
  • ‘अखण्ड ज्योति’ हमारी वाणी है। जो उसे पढ़ते हैं, वे ही हमारी प्रेरणाओं से परिचित होते हैं।
  • अध्ययन, विचार, मनन, विश्वास एवं आचरण द्वार जब एक मार्ग को मज़बूति से पकड़ लिया जाता है, तो अभीष्ट उद्देश्य को प्राप्त करना बहुत सरल हो जाता है।
  • अनासक्त जीवन ही शुद्ध और सच्चा जीवन है।
  • अवकाश का समय व्यर्थ मत जाने दो।
  • अन्धेरी रात के बाद चमकीला सुबह अवश्य ही आता है।
  • अब भगवान गंगाजल, गुलाबजल और पंचामृत से स्नान करके संतुष्ट होने वाले नहीं हैं। उनकी माँग श्रम बिन्दुओं की है। भगवान का सच्चा भक्त वह माना जाएगा जो पसीने की बूँदों से उन्हें स्नान कराये।
  • अज्ञानी वे हैं, जो कुमार्ग पर चलकर सुख की आशा करते हैं।
  • अंत:करण मनुष्य का सबसे सच्चा मित्र, नि:स्वार्थ पथप्रदर्शक और वात्सल्यपूर्ण अभिभावक है। वह न कभी धोखा देता है, न साथ छोड़ता है और न उपेक्षा करता है।
  • अंत:मन्थन उन्हें ख़ासतौर से बेचैन करता है, जिनमें मानवीय आस्थाएँ अभी भी अपने जीवंत होने का प्रमाण देतीं और कुछ सोचने करने के लिये नोंचती-कचौटती रहती हैं।
  • अच्छाइयों का एक-एक तिनका चुन-चुनकर जीवन भवन का निर्माण होता है, पर बुराई का एक हलका झोंका ही उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है।
  • अच्छाई का अभिमान बुराई की जड़ है।
  • अज्ञान, अंधकार, अनाचार और दुराग्रह के माहौल से निकलकर हमें समुद्र में खड़े स्तंभों की तरह एकाकी खड़े होना चाहिये। भीतर का ईमान, बाहर का भगवान इन दो को मज़बूती से पकड़ें और विवेक तथा औचित्य के दो पग बढ़ाते हुये लक्ष्य की ओर एकाकी आगे बढ़ें तो इसमें ही सच्चा शौर्य, पराक्रम है। भले ही लोग उपहास उड़ाएं या असहयोगी, विरोधी रुख़ बनाए रहें।
  • अधिकांश मनुष्य अपनी शक्तियों का दशमांश ही का प्रयोग करते हैं, शेष 90 प्रतिशत तो सोती रहती हैं।
  • अर्जुन की तरह आप अपना चित्त केवल लक्ष्य पर केन्द्रित करें, एकाग्रता ही आपको सफलता दिलायेगी।

  • आवेश जीवन विकास के मार्ग का भयानक रोड़ा है, जिसको मनुष्य स्वयं ही अपने हाथ अटकाया करता है।
  • आँखों से देखा’ एक बार अविश्वसनीय हो सकता है किन्तु ‘अनुभव से सीका’ कभी भी अविश्वसनीय नहीं हो सकता।
  • आसक्ति संकुचित वृत्ति है।
  • आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है।
  • आय से अधिक खर्च करने वाले तिरस्कार सहते और कष्ट भोगते हैं।
  • आरोग्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।
  • आहार से मनुष्य का स्वभाव और प्रकृति तय होती है, शाकाहार से स्वभाव शांत रहता है, मांसाहार मनुष्य को उग्र बनाता है।
  • आयुर्वेद हमारी मिट्टी हमारी संस्कृति व प्रकृती से जुड़ी हुई निरापद चिकित्सा पद्धति है।
  • आयुर्वेद वस्तुत: जीवन जीने का ज्ञान प्रदान करता है, अत: इसे हम धर्म से अलग नहीं कर सकते। इसका उद्देश्य भी जीवन के उद्देश्य की भाँति चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति ही है।
  • आनन्द प्राप्ति हेतु त्याग व संयम के पथ पर बढ़ना होगा।
  • आत्मा को निर्मल बनाकर, इंद्रियों का संयम कर उसे परमात्मा के साथ मिला देने की प्रक्रिया का नाम योग है।
  • आत्मा का परिष्कृत रूप ही परमात्मा है। – वाङ्गमय
  • आत्मा की उत्कृष्टता संसार की सबसे बड़ी सिद्धि है।
  • आत्मा का परिष्कृत रूप ही परमात्मा है।
  • आत्म निर्माण का अर्थ है – भाग्य निर्माण।
  • आत्म-विश्वास जीवन नैया का एक शक्तिशाली समर्थ मल्लाह है, जो डूबती नाव को पतवार के सहारे ही नहीं, वरन्‌ अपने हाथों से उठाकर प्रबल लहरों से पार कर देता है।
  • आत्मा की पुकार अनसुनी न करें।
  • आत्मा के संतोष का ही दूसरा नाम स्वर्ग है।
  • आत्मीयता को जीवित रखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि ग़लतियों को हम उदारतापूर्वक क्षमा करना सीखें।
  • आत्म-निरीक्षण इस संसार का सबसे कठिन, किन्तु करने योग्य कर्म है।
  • आत्मबल ही इस संसार का सबसे बड़ा बल है।
  • आत्म-निर्माण का ही दूसरा नाम भाग्य निर्माण है।
  • आत्म निर्माण ही युग निर्माण है।
  • आत्मविश्वासी कभी हारता नहीं, कभी थकता नहीं, कभी गिरता नहीं और कभी मरता नहीं।
  • आत्मानुभूति यह भी होनी चाहिए कि सबसे बड़ी पदवी इस संसार में मार्गदर्शक की है।
  • आराम की जिन्गदी एक तरह से मौत का निमंत्रण है।
  • आलस्य से आराम मिल सकता है, पर यह आराम बड़ा महँगा पड़ता है।
  • आज के कर्मों का फल मिले इसमें देरी तो हो सकती है, किन्तु कुछ भी करते रहने और मनचाहे प्रतिफल पाने की छूट किसी को भी नहीं है।
  • आज के काम कल पर मत टालिए।
  • आज का मनुष्य अपने अभाव से इतना दुखी नहीं है, जितना दूसरे के प्रभाव से होता है।
  • आदर्शों के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य के प्रति लगन का जहाँ भी उदय हो रहा है, समझना चाहिए कि वहाँ किसी देवमानव का आविर्भाव हो रहा है।
  • आदर्शवाद की लम्बी-चौड़ी बातें बखानना किसी के लिए भी सरल है, पर जो उसे अपने जीवनक्रम में उतार सके, सच्चाई और हिम्मत का धनी वही है।
  • आशावाद और ईश्वरवाद एक ही रहस्य के दो नाम हैं।
  • आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है, पर निराशावादी प्रत्येक अवसर में कठिनाइयाँ ही खोजता है।
  • आप समय को नष्ट करेंगे तो समय भी आपको नष्ट कर देगा।
  • आप बच्चों के साथ कितना समय बिताते हैं, वह इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, जितना कैसे बिताते हैं।
  • आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करोगे, उतनी ही बुराई पैदा होगी। इसलिए अच्छे बनो, पर अच्छाई का अभिमान मत करो।
  • आस्तिकता का अर्थ है- ईश्वर विश्वास और ईश्वर विश्वास का अर्थ है एक ऐसी न्यायकारी सत्ता के अस्तित्व को स्वीकार करना जो सर्वव्यापी है और कर्मफल के अनुरूप हमें गिरने एवं उठने का अवसर प्रस्तुत करती है।
  • आर्थिक युद्ध में किसी राष्ट्र को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी मुद्रा को खोटा कर देना और किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना।

  • इंसान को आंका जाता है अपने काम से। जब काम व उत्तम विचार मिलकर काम करें तो मुख पर एक नया – सा, अलग – सा तेज़ आ जाता है।
  • इन्सान का जन्म ही, दर्द एवं पीडा के साथ होता है। अत: जीवन भर जीवन में काँटे रहेंगे। उन काँटों के बीच तुम्हें गुलाब के फूलों की तरह, अपने जीवन-पुष्प को विकसित करना है।
  • इन दोनों व्यक्तियों के गले में पत्थर बाँधकर पानी में डूबा देना चाहिए- एक दान न करने वाला धनिक तथा दूसरा परिश्रम न करने वाला दरिद्र।
  • इस दुनिया में ना कोई ज़िन्दगी जीता है, ना कोई मरता है, सभी सिर्फ़ अपना-अपना कर्ज़ चुकाते हैं।
  • इस संसार में कमज़ोर रहना सबसे बड़ा अपराध है।
  • इस संसार में अनेक विचार, अनेक आदर्श, अनेक प्रलोभन और अनेक भ्रम भरे पड़े हैं।
  • इस संसार में प्यार करने लायक़ दो वस्तुएँ हैं – एक दु:ख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।
  • ‘इदं राष्ट्राय इदन्न मम’ मेरा यह जीवन राष्ट्र के लिए है।
  • इन दिनों जाग्रत्‌ आत्मा मूक दर्शक बनकर न रहे। बिना किसी के समर्थन, विरोध की परवाह किए आत्म-प्रेरणा के सहारे स्वयंमेव अपनी दिशाधारा का निर्माण-निर्धारण करें।
  • इस युग की सबसे बड़ी शक्ति शस्त्र नहीं, सद्‌विचार है।
  • इतराने में नहीं, श्रेष्ठ कार्यों में ऐश्वर्य का उपयोग करो।
  • इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है। वास्तव मे इस संसार को छोटे से समूह ने ही बदला है।
  • इतिहास और पुराण साक्षी हैं कि मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव-दानव सभी पराजित हो जाते हैं।

  • ईश्वर की शरण में गए बगैर साधना पूर्ण नहीं होती।
  • ईश्वर उपासना की सर्वोपरि सब रोग नाशक औषधि का आप नित्य सेवन करें।
  • ईश्वर अर्थात्‌ मानवी गरिमा के अनुरूप अपने को ढालने के लिए विवश करने की व्यवस्था।
  • ईमान और भगवान ही मनुष्य के सच्चे मित्र है।
  • ईश्वर ने आदमी को अपनी अनुकृतिका बनाया।
  • ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया।
  • ईमानदार होने का अर्थ है – हज़ार मनकों में अलग चमकने वाला हीरा।
  • ईमानदारी, खरा आदमी, भलेमानस-यह तीन उपाधि यदि आपको अपने अन्तस्तल से मिलती है तो समझ लीजिए कि आपने जीवन फल प्राप्त कर लिया, स्वर्ग का राज्य अपनी मुट्ठी में ले लिया।
  • ईष्र्या न करें, प्रेरणा ग्रहण करें।
  • ईष्र्या आदमी को उसी तरह खा जाती है, जैसे कपड़े को कीड़ा।

  • उसकी जय कभी नहीं हो सकती, जिसका दिल पवित्र नहीं है।
  • उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति होने तक मत रुको।
  • उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंज़िल प्राप्त न हो जाये।
  • उच्चस्तरीय महत्त्वाकांक्षा एक ही है कि अपने को इस स्तर तक सुविस्तृत बनाया जाय कि दूसरों का मार्गदर्शन कर सकना संभव हो सके।
  • उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है। परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता।
  • उदारता, सेवा, सहानुभूति और मधुरता का व्यवहार ही परमार्थ का सार है।
  • उतावला आदमी सफलता के अवसरों को बहुधा हाथ से गँवा ही देता है।
  • उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
  • उत्कर्ष के साथ संघर्ष न छोड़ो!
  • उत्तम पुस्तकें जाग्रत्‌ देवता हैं। उनके अध्ययन-मनन-चिंतन के द्वारा पूजा करने पर तत्काल ही वरदान पाया जा सकता है।
  • ‘उत्तम होना’ एक कार्य नहीं बल्कि स्वभाव होता है।
  • उत्तम ज्ञान और सद्‌विचार कभी भी नष्ट नहीं होते हैं।
  • उत्कृष्टता का दृष्टिकोण ही जीवन को सुरक्षित एवं सुविकसित बनाने एकमात्र उपाय है।
  • उत्कृष्ट जीवन का स्वरूप है- दूसरों के प्रति नम्र और अपने प्रति कठोर होना।
  • उनसे दूर रहो जो भविष्य को निराशाजनक बताते हैं।
  • उपासना सच्ची तभी है, जब जीवन में ईश्वर घुल जाए।
  • उन्नति के किसी भी अवसर को खोना नहीं चाहिए।
  • उनकी प्रशंसा करो जो धर्म पर दृढ़ हैं। उनके गुणगान न करो, जिनने अनीति से सफलता प्राप्त की।
  • उनकी नकल न करें जिनने अनीतिपूर्वक कमाया और दुव्र्यसनों में उड़ाया। बुद्धिमान कहलाना आवश्यक नहीं। चतुरता की दृष्टि से पक्षियों में कौवे को और जानवरों में चीते को प्रमुख गिना जाता है। ऐसे चतुरों और दुस्साहसियों की बिरादरी जेलखानों में बनी रहती है। ओछों की नकल न करें। आदर्शों की स्थापना करते समय श्रेष्ठ, सज्जनों को, उदार महामानवों को ही सामने रखें।
  • उद्धेश्य निश्चित कर लेने से आपके मनोभाव आपके आशापूर्ण विचार आपकी महत्वकांक्षाये एक चुम्बक का काम करती हैं। वे आपके उद्धेश्य की सिद्धी को सफलता की ओर खींचती हैं।
  • उद्धेश्य प्राप्ति हेतु कर्म, विचार और भावना का धु्रवीकरण करना चाहिये।
  • उनसे कभी मित्रता न कर, जो तुमसे बेहतर नहीं।

  • ऊंचे उद्देश्य का निर्धारण करने वाला ही उज्ज्वल भविष्य को देखता है।
  • ऊँचे सिद्धान्तों को अपने जीवन में धारण करने की हिम्मत का नाम है – अध्यात्म।
  • ऊँचे उठो, प्रसुप्त को जगाओं, जो महान है उसका अवलम्बन करो ओर आगे बढ़ो।
  • ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।
  • ऊपर की ओर चढ़ना कभी भी दूसरों को पैर के नीचे दबाकर नहीं किया जा सकता वरना ऐसी सफलता भूत बनकर आपका भविष्य बिगाड़ देगी।

  • एक ही पुत्र यदि विद्वान और अच्छे स्वभाव वाला हो तो उससे परिवार को ऐसी ही खुशी होती है, जिस प्रकार एक चन्द्रमा के उत्पन्न होने पर काली रात चांदनी से खिल उठती है।
  • एक झूठ छिपाने के लिये दस झूठ बोलने पडते हैं।
  • एक गुण समस्त दोषो को ढक लेता है।
  • एक सत्य का आधार ही व्यक्ति को भवसागर से पार कर देता है।
  • एक बार लक्ष्य निर्धारित करने के बाद बाधाओं और व्यवधानों के भय से उसे छोड़ देना कायरता है। इस कायरता का कलंक किसी भी सत्पुरुष को नहीं लेना चाहिए।
  • एकांगी अथवा पक्षपाती मस्तिष्क कभी भी अच्छा मित्र नहीं रहता।
  • एकाग्रता से ही विजय मिलती है।
  • एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है।

  • कोई भी साधना कितनी ही ऊँची क्यों न हो, सत्य के बिना सफल नहीं हो सकती।
  • कोई भी कठिनाई क्यों न हो, अगर हम सचमुच शान्त रहें तो समाधान मिल जाएगा।
  • कोई भी कार्य सही या ग़लत नहीं होता, हमारी सोच उसे सही या ग़लत बनाती है।
  • कोई भी इतना धनि नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला सके।
  • कोई अपनी चमड़ी उखाड़ कर भीतर का अंतरंग परखने लगे तो उसे मांस और हड्डियों में एक तत्व उफनता दृष्टिगोचर होगा, वह है असीम प्रेम। हमने जीवन में एक ही उपार्जन किया है प्रेम। एक ही संपदा कमाई है – प्रेम। एक ही रस हमने चखा है वह है प्रेम का।
  • कई बच्चे हज़ारों मील दूर बैठे भी माता – पिता से दूर नहीं होते और कई घर में साथ रहते हुई भी हज़ारों मील दूर होते हैं।
  • कर्म सरल है, विचार कठिन।
  • कर्म करने में ही अधिकार है, फल में नहीं।
  • कर्म ही मेरा धर्म है। कर्म ही मेरी पूजा है।
  • कर्म करनी ही उपासना करना है, विजय प्राप्त करनी ही त्याग करना है। स्वयं जीवन ही धर्म है, इसे प्राप्त करना और अधिकार रखना उतना ही कठोर है जितना कि इसका त्याग करना और विमुख होना।
  • कर्म ही पूजा है और कर्त्तव्य पालन भक्ति है।
  • कर्म भूमि पर फ़ल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है। रब सिर्फ़ लकीरें देता है रंग हमको भरना पड़ता है।
  • किसी को आत्म-विश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन देना ही सर्वोत्तम उपहार है।
  • किसी सदुद्देश्य के लिए जीवन भर कठिनाइयों से जूझते रहना ही महापुरुष होना है।
  • किसी महान उद्देश्य को न चलना उतनी लज्जा की बात नहीं होती, जितनी कि चलने के बाद कठिनाइयों के भय से पीछे हट जाना।
  • किसी को ग़लत मार्ग पर ले जाने वाली सलाह मत दो।
  • किसी के दुर्वचन कहने पर क्रोध न करना क्षमा कहलाता है।
  • किसी से ईर्ष्या करके मनुष्य उसका तो कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, पर अपनी निद्रा, अपना सुख और अपना सुख-संतोष अवश्य खो देता है।
  • किसी महान उद्देश्य को लेकर न चलना उतनी लज्जा की बात नहीं होती, जितनी कि चलने के बाद कठिनाइयों के भय से रुक जाना अथवा पीछे हट जाना।
  • किसी वस्तु की इच्छा कर लेने मात्र से ही वह हासिल नहीं होती, इच्छा पूर्ति के लिए कठोर परिश्रम व प्रयत्न आवश्यक होता हैं।
  • किसी बेईमानी का कोई सच्चा मित्र नहीं होता।
  • किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है।
  • किसी का अमंगल चाहने पर स्वयं पहले अपना अमंगल होता है।
  • किसी भी व्यक्ति को मर्यादा में रखने के लिये तीन कारण ज़िम्मेदार होते हैं – व्यक्ति का मष्तिष्क, शारीरिक संरचना और कार्यप्रणाली, तभी उसके व्यक्तित्व का सामान्य विकास हो पाता है।
  • किसी का बुरा मत सोचो; क्योंकि बुरा सोचते-सोचते एक दिन अच्छा-भला व्यक्ति भी बुरे रास्ते पर चल पड़ता है।
  • किसी आदर्श के लिए हँसते-हँसते जीवन का उत्सर्ग कर देना सबसे बड़ी बहादुरी है।
  • किसी को हृदय से प्रेम करना शक्ति प्रदान करता है और किसी के द्वारा हृदय से प्रेम किया जाना साहस।
  • किसी का मनोबल बढ़ाने से बढ़कर और अनुदान इस संसार में नहीं है।
  • काल (समय) सबसे बड़ा देवता है, उसका निरादर मत करा॥
  • कामना करने वाले कभी भक्त नहीं हो सकते। भक्त शब्द के साथ में भगवान की इच्छा पूरी करने की बात जुड़ी रहती है।
  • कर्त्तव्यों के विषय में आने वाले कल की कल्पना एक अंध-विश्वास है।
  • कर्त्तव्य पालन ही जीवन का सच्चा मूल्य है।
  • कभी-कभी मौन से श्रेष्ठ उत्तर नहीं होता, यह मंत्र याद रखो और किसी बात के उत्तर नहीं देना चाहते हो तो हंसकर पूछो- आप यह क्यों जानना चाहते हों?
  • क्रोध बुद्धि को समाप्त कर देता है। जब क्रोध समाप्त हो जाता है तो बाद में बहुत पश्चाताप होता है।
  • क्रोध का प्रत्येक मिनट आपकी साठ सेकण्डों की खुशी को छीन लेता है।
  • कल की असफलता वह बीज है जिसे आज बोने पर आने वाले कल में सफलता का फल मिलता है।
  • कठिन परिश्रम का कोई भी विकल्प नहीं होता।
  • कुमति व कुसंगति को छोड़ अगर सुमति व सुसंगति को बढाते जायेंगे तो एक दिन सुमार्ग को आप अवश्य पा लेंगे।
  • कुकर्मी से बढ़कर अभागा और कोई नहीं है; क्योंकि विपत्ति में उसका कोई साथी नहीं होता।
  • कार्य उद्यम से सिद्ध होते हैं, मनोरथों से नहीं।
  • कुचक्र, छद्‌म और आतंक के बलबूते उपार्जित की गई सफलताएँ जादू के तमाशे में हथेली पर सरसों जमाने जैसे चमत्कार दिखाकर तिरोहित हो जाती हैं। बिना जड़ का पेड़ कब तक टिकेगा और किस प्रकार फलेगा-फूलेगा।
  • केवल ज्ञान ही एक ऐसा अक्षय तत्त्व है, जो कहीं भी, किसी अवस्था और किसी काल में भी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता।
  • काम छोटा हो या बड़ा, उसकी उत्कृष्टता ही करने वाले का गौरव है।
  • कीर्ति वीरोचित कार्यों की सुगन्ध है।
  • कायर मृत्यु से पूर्व अनेकों बार मर चुकता है, जबकि बहादुर को मरने के दिन ही मरना पड़ता है।
  • करना तो बड़ा काम, नहीं तो बैठे रहना, यह दुराग्रह मूर्खतापूर्ण है।
  • कुसंगी है कोयलों की तरह, यदि गर्म होंगे तो जलाएँगे और ठंडे होंगे तो हाथ और वस्त्र काले करेंगे।
  • क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं है। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढता पूर्वक खडा होकर कार्य करना चहिए। धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा।
  • कमज़ोरी का इलाज कमज़ोरी का विचार करना नहीं, पर शक्ति का विचार करना है। मनुष्यों को शक्ति की शिक्षा दो, जो पहले से ही उनमें हैं।
  • काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है।
  • कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इसलिए आत्महत्या नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग क्या कहेंगे।
  • कुछ लोग दुर्भीति (Phobia) के शिकार हो जाते हैं उन्हें उनकी क्षमता पर पूरा विश्वास नहीं रहता और वे सोचते हैं प्रतियोगिता के दौड़ में अन्य प्रतियोगी आगे निकल जायेंगे।
  • कंजूस के पास जितना होता है उतना ही वह उस के लिए तरसता है जो उस के पास नहीं होता।

  • खुशामद बड़े-बड़ों को ले डूबती है।
  • खुद साफ़ रहो, सुरक्षित रहो और औरों को भी रोगों से बचाओं।
  • खरे बनिये, खरा काम कीजिए और खरी बात कहिए। इससे आपका हृदय हल्का रहेगा।
  • खुश होने का यह अर्थ नहीं है कि जीवन में पूर्णता है बल्कि इसका अर्थ है कि आपने जीवन की अपूर्णता से परे रहने का निश्चय कर लिया है।
  • खेती, पाती, बीनती, औ घोड़े की तंग । अपने हाथ संवारिये चाहे लाख लोग हो संग ।। खेती करना, पत्र लिखना और पढ़ना, तथा घोड़ा या जिस वाहन पर सवारी करनी हो उसकी जॉंच और तैयारी मनुष्‍य को स्‍वयं ही खुद करना चाहिये भले ही लाखों लोग साथ हों और अनेकों सेवक हों, वरना मनुष्‍य का नुकसान तय शुदा है।

  • गुण व कर्म से ही व्यक्ति स्वयं को ऊपर उठाता है। जैसे कमल कहाँ पैदा हुआ, इसमें विशेषता नहीं, बल्कि विशेषता इसमें है कि, कीचड़ में रहकर भी उसने स्वयं को ऊपर उठाया है।
  • गुण और दोष प्रत्येक व्यक्ति में होते हैं, योग से जुड़ने के बाद दोषों का शमन हो जाता है और गुणों में बढ़ोत्तरी होने लगती है।
  • गुण, कर्म और स्वभाव का परिष्कार ही अपनी सच्ची सेवा है।
  • गुण ही नारी का सच्चा आभूषण है।
  • गुणों की वृद्धि और क्षय तो अपने कर्मों से होता है।
  • गृहस्थ एक तपोवन है, जिसमें संयम, सेवा और सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है।
  • गायत्री उपासना का अधिकर हर किसी को है। मनुष्य मात्र बिना किसी भेदभाव के उसे कर सकता है।
  • ग़लती को ढूढना, मानना और सुधारना ही मनुष्य का बड़प्पन है।
  • ग़लती करना मनुष्यत्व है और क्षमा करना देवत्व।
  • गृहसि एक तपोवन है जिसमें संयम, सेवा, त्याग और सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है।
  • गंगा की गोद, हिमालय की छाया, ऋषि विश्वामित्र की तप:स्थली, अजस्त्र प्राण ऊर्जा का उद्‌भव स्रोत गायत्री तीर्थ शान्तिकुञ्ज जैसा जीवन्त स्थान उपासना के लिए दूसरा ढूँढ सकना कठिन है।
  • गाली-गलौज, कर्कश, कटु भाषण, अश्लील मजाक, कामोत्तेजक गीत, निन्दा, चुगली, व्यंग, क्रोध एवं आवेश भरा उच्चारण, वाणी की रुग्णता प्रकट करते हैं। ऐसे शब्द दूसरों के लिए ही मर्मभेदी नहीं होते वरन्‌ अपने लिए भी घातक परिणाम उत्पन्न करते हैं।
  • खेती, पाती, बीनती, औ घोड़े की तंग । अपने हाथ संवारिये चाहे लाख लोग हो संग ।। खेती करना, पत्र लिखना और पढ़ना, तथा घोड़ा या जिस वाहन पर सवारी करनी हो उसकी जॉंच और तैयारी मनुष्‍य को स्‍वयं ही खुद करना चाहिये भले ही लाखों लोग साथ हों और अनेकों सेवक हों, वरना मनुष्‍य का नुकसान तय शुदा है।

  • घृणा करने वाला निन्दा, द्वेष, ईर्ष्या करने वाले व्यक्ति को यह डर भी हमेशा सताये रहता है, कि जिससे मैं घृणा करता हूँ, कहीं वह भी मेरी निन्दा व मुझसे घृणा न करना शुरू कर दे।

  • चरित्र का अर्थ है – अपने महान मानवीय उत्तरदायित्वों का महत्त्व समझना और उसका हर कीमत पर निर्वाह करना।
  • चरित्र ही मनुष्य की श्रेष्ठता का उत्तम मापदण्ड है।
  • चरित्रवान्‌ व्यक्ति ही किसी राष्ट्र की वास्तविक सम्पदा है। – वाङ्गमय
  • चरित्रवान व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में भगवद्‌ भक्त हैं।
  • चरित्रनिष्ठ व्यक्ति ईश्वर के समान है।
  • चिंतन और मनन बिना पुस्तक बिना साथी का स्वाध्याय-सत्संग ही है।
  • चिता मरे को जलाती है, पर चिन्ता तो जीवित को ही जला डालती है।
  • चोर, उचक्के, व्यसनी, जुआरी भी अपनी बिरादरी निरंतर बढ़ाते रहते हैं । इसका एक ही कारण है कि उनका चरित्र और चिंतन एक होता है। दोनों के मिलन पर ही प्रभावोत्पादक शक्ति का उद्‌भव होता है। किंतु आदर्शों के क्षेत्र में यही सबसे बड़ी कमी है।
  • चेतना के भावपक्ष को उच्चस्तरीय उत्कृष्टता के साथ एकात्म कर देने को ‘योग’ कहते हैं।
  • चिल्‍ला कर और झल्‍ला कर बातें करना, बिना सलाह मांगे सलाह देना, किसी की मजबूरी में अपनी अहमियत दर्शाना और सिद्ध करना, ये कार्य दुनियां का सबसे कमज़ोर और असहाय व्‍यक्ति करता है, जो खुद को ताकतवर समझता है और जीवन भर बेवकूफ बनता है, घृणा का पात्र बन कर दर दर की ठोकरें खाता है।

  • जीवन का महत्त्वा इसलिये है, ख्योंकी मृत्यु है। मृत्यु न हो तो ज़िन्दगी बोझ बन जायेगी. इसलिये मृत्यु को दोस्त बनाओ, उसी दरो नहीं।
  • जीवन का हर क्षण उज्ज्वल भविष्य की संभावना लेकर आता है।
  • जीवन का अर्थ है समय। जो जीवन से प्यार करते हों, वे आलस्य में समय न गँवाएँ।
  • जीवन को विपत्तियों से धर्म ही सुरक्षित रख सकता है।
  • जीवन चलते रहने का नाम है। सोने वाला सतयुग में रहता है, बैठने वाला द्वापर में, उठ खडा होने वाला त्रेता में, और चलने वाला सतयुग में, इसलिए चलते रहो।
  • जीवन उसी का धन्य है जो अनेकों को प्रकाश दे। प्रभाव उसी का धन्य है जिसके द्वारा अनेकों में आशा जाग्रत हो।
  • जीवन एक परख और कसौटी है जिसमें अपनी सामथ्र्य का परिचय देने पर ही कुछ पा सकना संभव होता है।
  • जीवन की सफलता के लिए यह नितांत आवश्यक है कि हम विवेकशील और दूरदर्शी बनें।
  • जीवन की माप जीवन में ली गई साँसों की संख्या से नहीं होती बल्कि उन क्षणों की संख्या से होती है जो हमारी साँसें रोक देती हैं।
  • जीवन भगवान की सबसे बड़ी सौगात है। मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान का सबसे बड़ा उपहार है।
  • जीवन के आनन्द गौरव के साथ, सम्मान के साथ और स्वाभिमान के साथ जीने में है।
  • जीवन के प्रकाशवान्‌ क्षण वे हैं, जो सत्कर्म करते हुए बीते।
  • जीवन साधना का अर्थ है – अपने समय, श्रम ओर साधनों का कण-कण उपयोगी दिशा में नियोजित किये रहना। – वाङ्गमय
  • जीवन दिन काटने के लिए नहीं, कुछ महान कार्य करने के लिए है।
  • जीवन उसी का सार्थक है, जो सदा परोपकार में प्रवृत्त है।
  • जीवन एक पाठशाला है, जिसमें अनुभवों के आधार पर हम शिक्षा प्राप्त करते हैं।
  • जीवन एक परीक्षा है। उसे परीक्षा की कसौटी पर सर्वत्र कसा जाता है।
  • जीवन एक पुष्प है और प्रेम उसका मधु है।
  • जीवन और मृत्यु में, सुख और दुःख मे ईश्वर समान रूप से विद्यमान है। समस्त विश्व ईश्वर से पूर्ण हैं। अपने नेत्र खोलों और उसे देखों।
  • जीवन में एक मित्र मिल गया तो बहुत है, दो बहुत अधिक है, तीन तो मिल ही नहीं सकते।
  • जीवनी शक्ति पेड़ों की जड़ों की तरह भीतर से ही उपजती है।
  • जीवनोद्देश्य की खोज ही सबसे बड़ा सौभाग्य है। उसे और कहीं ढूँढ़ने की अपेक्षा अपने हृदय में ढूँढ़ना चाहिए।
  • जब भी आपको महसूस हो, आपसे ग़लती हो गयी है, उसे सुधारने के उपाय तुरंत शुरू करो।
  • जब कभी भी हारो, हार के कारणों को मत भूलो।
  • जब हम किसी पशु-पक्षी की आत्मा को दु:ख पहुँचाते हैं, तो स्वयं अपनी आत्मा को दु:ख पहुँचाते हैं।
  • जब तक मानव के मन में मैं (अहंकार) है, तब तक वह शुभ कार्य नहीं कर सकता, क्योंकि मैं स्वार्थपूर्ति करता है और शुद्धता से दूर रहता है।
  • जब आगे बढ़ना कठिन होता है, तब कठिन परिश्रमी ही आगे बढ़ता है।
  • जब तक मनुष्य का लक्ष्य भोग रहेगा, तब तक पाप की जड़ें भी विकसित होती रहेंगी।
  • जब अंतराल हुलसता है, तो तर्कवादी के कुतर्की विचार भी ठण्डे पड़ जाते हैं।
  • जब मनुष्य दूसरों को भी अपना जीवन सार्थक करने को प्रेरित करता है तो मनुष्य के जीवन में सार्थकता आती है।
  • जब तक तुम स्वयं अपने अज्ञान को दूर करने के लिए कटिबद्ध नहीं होत, तब तक कोई तुम्हारा उद्धार नहीं कर सकता।
  • जब तक आत्मविश्वास रूपी सेनापति आगे नहीं बढ़ता तब तक सब शक्तियाँ चुपचाप खड़ी उसका मुँह ताकती रहती हैं।
  • जब संकटों के बादल सिर पर मँडरा रहे हों तब भी मनुष्य को धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। धैर्यवान व्यक्ति भीषण परिस्थितियों में भी विजयी होते हैं।
  • जब मेरा अन्तर्जागरण हुआ, तो मैंने स्वयं को संबोधि वृक्ष की छाया में पूर्ण तृप्त पाया।
  • जब आत्मा मन से, मन इन्द्रिय से और इन्द्रिय विषय से जुडता है, तभी ज्ञान प्राप्त हो पाता है।
  • जब-जब हृदय की विशालता बढ़ती है, तो मन प्रफुल्लित होकर आनंद की प्राप्ति कर्ता है और जब संकीर्ण मन होता है, तो व्यक्ति दुःख भोगता है।
  • जिस तरह से एक ही सूखे वृक्ष में आग लगने से सारा जंगल जलकर राख हो सकता है, उसी प्रकार एक मूर्ख पुत्र सारे कुल को नष्ट कर देता है।
  • जिस में दया नहीं, उस में कोई सदगुण नहीं।
  • जिस प्रकार सुगन्धित फूलों से लदा एक वृक्ष सारे जंगले को सुगन्धित कर देता है, उसी प्रकार एक सुपुत्र से वंश की शोभा बढती है।
  • जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्‍ब नहीं पड़ता, उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्‍वर के प्रकाश का प्रतिबिम्‍ब नहीं पड़ सकता।
  • जिस तेज़ी से विज्ञान की प्रगति के साथ उपभोग की वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में बनना शुरू हो गयी हैं, वे मनुष्य के लिये पिंजरा बन रही हैं।
  • जिस व्यक्ति का मन चंचल रहता है, उसकी कार्यसिद्धि नहीं होती।
  • जिस राष्ट्र में विद्वान् सताए जाते हैं, वह विपत्तिग्रस्त होकर वैसे ही नष्ट हो जाता है, जैसे टूटी नौका जल में डूबकर नष्ट हो जाती है।
  • जिस कर्म से किन्हीं मनुष्यों या अन्य प्राणियों को किसी भी प्रकार का कष्ट या हानि पहुंचे, वे ही दुष्कर्म कहलाते हैं।
  • जिस आदर्श के व्यवहार का प्रभाव न हो, वह फिजूल है और जो व्यवहार आदर्श प्रेरित न हो, वह भयंकर है।
  • जिस आदर्श के व्यवहार का प्रभाव न हो, वह फिजूल और जो व्यवहार आदर्श प्रेरित न हो, वह भयंकर है।
  • जिस भी भले बुरे रास्ते पर चला जाये उस पर साथी – सहयोगी तो मिलते ही रहते हैं। इस दुनिया में न भलाई की कमी है, न बुराई की। पसंदगी अपनी, हिम्मत अपनी, सहायता दुनिया की।
  • जिस प्रकार हिमालय का वक्ष चीरकर निकलने वाली गंगा अपने प्रियतम समुद्र से मिलने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तीर की तरह बहती-सनसनाती बढ़ती चली जाती है और उसक मार्ग रोकने वाले चट्टान चूर-चूर होते चले जाते हैं उसी प्रकार पुषार्थी मनुष्य अपने लक्ष्य को अपनी तत्परता एवं प्रखरता के आधार पर प्राप्त कर सकता है।
  • जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है।
  • जो कार्य प्रारंभ में कष्टदायक होते हैं, वे परिणाम में अत्यंत सुखदायक होते हैं।
  • जो मिला है और मिल रहा है, उससे संतुष्ट रहो।
  • जो दानदाता इस भावना से सुपात्र को दान देता है कि, तेरी (परमात्मा) वस्तु तुझे ही अर्पित है; परमात्मा उसे अपना प्रिय सखा बनाकर उसका हाथ थामकर उसके लिये धनों के द्वार खोल देता है; क्योंकि मित्रता सदैव समान विचार और कर्मों के कर्ता में ही होती है, विपरीत वालों में नहीं।
  • जो व्यक्ति कभी कुछ कभी कुछ करते हैं, वे अन्तत: कहीं भी नहीं पहुँच पाते।
  • जो सच्चाई के मार्ग पर चलता है, वह भटकता नहीं।
  • जो न दान देता है, न भोग करता है, उसका धन स्वतः नष्ट हो जाता है। अतः योग्य पात्र को दान देना चाहिए।
  • जो व्यक्ति हर स्थिति में प्रसन्न और शांत रहना सीख लेता है, वह जीने की कला प्राणी मात्र के लिये कल्याणकारी है।
  • जो व्यक्ति आचरण की पोथी को नहीं पढता, उसके पृष्ठों को नहीं पलटता, वह भला दूसरों का क्या भला कर पायेगा।
  • जो व्यक्ति शत्रु से मित्र होकर मिलता है, व धूल से धन बना सकता है।
  • जो मनुष्य अपने समीप रहने वालों की तो सहायता नहीं करता, किन्तु दूरस्थ की सहायता करता है, उसका दान, दान न होकर दिखावा है।
  • जो आलस्य और कुकर्म से जितना बचता है, वह ईश्वर का उतना ही बड़ा भक्त है।
  • जो टूटे को बनाना, रूठे को मनाना जानता है, वही बुद्धिमान है।
  • जो जैसा सोचता है और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
  • जो अपनी राह बनाता है वह सफलता के शिखर पर चढ़ता है; पर जो औरों की राह ताकता है सफलता उसकी मुँह ताकती रहती है।
  • जो बच्चों को सिखाते हैं, उन पर बड़े खुद अमल करें, तो यह संसार स्वर्ग बन जाय।
  • जो प्रेरणा पाप बनकर अपने लिए भयानक हो उठे, उसका परित्याग कर देना ही उचित है।
  • जो क्षमा करता है और बीती बातों को भूल जाता है, उसे ईश्वर पुरस्कार देता है।
  • जो संसार से ग्रसित रहता है, वह बुद्धू तो हो सकता; लेकिन बुद्ध नहीं हो सकता।
  • जो किसी की निन्दा स्तुति में ही अपने समय को बर्बाद करता है, वह बेचारा दया का पात्र है, अबोध है।
  • जो मनुष्य मन, वचन और कर्म से, ग़लत कार्यों से बचा रहता है, वह स्वयं भी प्रसन्न रहता है।।
  • जो दूसरों को धोखा देना चाहता है, वास्तव में वह अपने आपको ही धोखा देता है।
  • जो बीत गया सो गया, जो आने वाला है वह अज्ञात है! लेकिन वर्तमान तो हमारे हाथ में है।
  • जो तुम दूसरों से चाहते हो, उसे पहले तुम स्वयं करो।
  • जो असत्य को अपनाता है, वह सब कुछ खो बैठता है।
  • जो लोग डरने, घबराने में जितनी शक्ति नष्ट करते हैं, उसकी आधी भी यदि प्रस्तुत कठिनाइयों से निपटने का उपाय सोचने के लिए लगाये तो आधा संकट तो अपने आप ही टल सकता है।
  • जो मन का ग़ुलाम है, वह ईश्वर भक्त नहीं हो सकता। जो ईश्वर भक्त है, उसे मन की ग़ुलामी न स्वीकार हो सकती है, न सहन।
  • जो लोग पाप करते हैं उन्हें एक न एक विपत्ति सवदा घेरे ही रहती है, किन्तु जो पुण्य कर्म किया करते हैं वे सदा सुखी और प्रसन्न रह्ते हैं।
  • जो हमारे पास है, वह हमारे उपयोग, उपभोग के लिए है यही असुर भावना है।
  • जो तुम दूसरे से चाहते हो, उसे पहले स्वयं करो।
  • जो हम सोचते हैं सो करते हैं और जो करते हैं सो भुगतते हैं।
  • जो मन की शक्ति के बादशाह होते हैं, उनके चरणों पर संसार नतमस्तक होता है।
  • जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
  • जो महापुरुष बनने के लिए प्रयत्नशील हैं, वे धन्य है।
  • जो शत्रु बनाने से भय खाता है, उसे कभी सच्चे मित्र नहीं मिलेंगे।
  • जो समय को नष्‍ट करता है, समय भी उसे नष्‍ट कर देता है, समय का हनन करने वाले व्‍यक्ति का चित्‍त सदा उद्विग्‍न रहता है, और वह असहाय तथा भ्रमित होकर यूं ही भटकता रहता है, प्रति पल का उपयोग करने वाले कभी भी पराजित नहीं हो सकते, समय का हर क्षण का उपयोग मनुष्‍य को विलक्षण और अदभुत बना देता है।
  • जो किसी से कुछ ले कर भूल जाते हैं, अपने ऊपर किये उपकार को मानते नहीं, अहसान को भुला देते हैं उल्‍हें कृतघ्‍नी कहा जाता है, और जो सदा इसे याद रख कर प्रति उपकार करने और अहसान चुकाने का प्रयास करते हैं उन्‍हें कृतज्ञ कहा जाता है।
  • जो विषपान कर सकता है, चाहे विष परा‍जय का हो, चाहे अपमान का, वही शंकर का भक्‍त होने योग्‍य है और उसे ही शिवत्‍व की प्राप्ति संभव है, अपमान और पराजय से विचलित होने वाले लोग शिव भक्‍त होने योग्‍य ही नहीं, ऐसे लोगों की शिव पूजा केवल पाखण्‍ड है।
  • जैसे का साथ तैसा वह भी ब्‍याज सहित व्‍यवहार करना ही सर्वोत्‍तम नीति है, शठे शाठयम और उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्‍तये के सूत्र को अमल मे लाना ही गुणकारी उपाय है।
  • जैसे बाहरी जीवन में युक्ति व शक्ति ज़रूरी है, वैसे ही आतंरिक जीवन के लिये मुक्ति व भक्ति आवश्यक है।
  • जैसे प्रकृति का हर कारण उपयोगी है, ऐसे ही हमें अपने जीवन के हर क्षण को परहित में लगाकर स्वयं और सभी के लिये उपयोगी बनाना चाहिए।
  • जैसे एक अच्छा गीत तभी सम्भव है, जब संगीत व शब्द लयबद्ध हों; वैसे ही अच्छे नेतृत्व के लिये ज़रूरी है कि आपकी करनी एवं कथनी में अंतर न हो।
  • जैसा अन्न, वैसा मन।
  • जैसा खाय अन्न, वैसा बने मन।
  • जैसे कोरे काग़ज़ पर ही पत्र लिखे जा सकते हैं, लिखे हुए पर नहीं, उसी प्रकार निर्मल अंत:करण पर ही योग की शिक्षा और साधना अंकित हो सकती है।
  • जहाँ वाद – विवाद होता है, वहां श्रद्धा के फूल नहीं खिल सकते और जहाँ जीवन में आस्था व श्रद्धा को महत्त्व न मिले, वहां जीवन नीरस हो जाता है।
  • जहाँ भी हो, जैसे भी हो, कर्मशील रहो, भाग्य अवश्य बदलेगा; अतः मनुष्य को कर्मवादी होना चाहिए, भाग्यवादी नहीं।
  • जहाँ सत्य होता है, वहां लोगों की भीड़ नहीं हुआ करती; क्योंकि सत्य ज़हर होता है और ज़हर को कोई पीना या लेना नहीं चाहता है, इसलिए आजकल हर जगह मेला लगा रहता है।
  • जहाँ मैं और मेरा जुड़ जाता है, वहाँ ममता, प्रेम, करुणा एवं समर्पण होते हैं।
  • जूँ, खटमल की तरह दूसरों पर नहीं पलना चाहिए, बल्कि अंत समय तक कार्य करते जाओ; क्योंकि गतिशीलता जीवन का आवश्यक अंग है।
  • जनसंख्या की अभिवृद्धि हज़ार समस्याओं की जन्मदात्री है।
  • जानकारी व वैदिक ज्ञान का भार तो लोग सिर पर गधे की तरह उठाये फिरते हैं और जल्द अहंकारी भी हो जाते हैं, लेकिन उसकी सरलता का आनंद नहीं उठा सकते हैं।
  • ज़्यादा पैसा कमाने की इच्छा से ग्रसित मनुष्य झूठ, कपट, बेईमानी, धोखेबाज़ी, विश्वाघात आदि का सहारा लेकर परिणाम में दुःख ही प्राप्त करता है।
  • जिसने जीवन में स्नेह, सौजन्य का समुचित समावेश कर लिया, सचमुच वही सबसे बड़ा कलाकार है।
  • जिसका हृदय पवित्र है, उसे अपवित्रता छू तक नहीं सकता।
  • जिनका प्रत्येक कर्म भगवान को, आदर्शों को समर्पित होता है, वही सबसे बड़ा योगी है।
  • जिसका मन-बुद्धि परमात्मा के प्रति वफ़ादार है, उसे मन की शांति अवश्य मिलती है।
  • जिसकी मुस्कुराहट कोई छीन न सके, वही असल सफ़ा व्यक्ति है।
  • जिसकी इन्द्रियाँ वश में हैं, उसकी बुद्धि स्थिर है।
  • जिनकी तुम प्रशंसा करते हो, उनके गुणों को अपनाओ और स्वयं भी प्रशंसा के योग्य बनो।
  • जिसके पास कुछ नहीं रहता, उसके पास भगवान रहता है।
  • जिनके अंदर ऐय्याशी, फिजूलखर्ची और विलासिता की कुर्बानी देने की हिम्मत नहीं, वे अध्यात्म से कोसों दूर हैं।
  • जिसके मन में राग-द्वेष नहीं है और जो तृष्‍णा को, त्‍याग कर शील तथा संतोष को ग्रहण किए हुए है, वह संत पुरूष जगत के लिए जहाज़ है।
  • जिसके पास कुछ भी कर्ज़ नहीं, वह बड़ा मालदार है।
  • जिनके भीतर-बाहर एक ही बात है, वही निष्कपट व्यक्ति धन्य है।
  • जिसने शिष्टता और नम्रता नहीं सीखी, उनका बहुत सीखना भी व्यर्थ रहा।
  • जिन्हें लम्बी ज़िन्दगी जीना हो, वे बिना कड़ी भूख लगे कुछ भी न खाने की आदत डालें।
  • जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता।
  • जौ भौतिक महत्त्वाकांक्षियों की बेतरह कटौती करते हुए समय की पुकार पूरी करने के लिए बढ़े-चढ़े अनुदान प्रस्तुत करते और जिसमें महान परम्परा छोड़ जाने की ललक उफनती रहे, यही है – प्रज्ञापुत्र शब्द का अर्थ।
  • ज़माना तब बदलेगा, जब हम स्वयं बदलेंगे।
  • जाग्रत आत्माएँ कभी चुप बैठी ही नहीं रह सकतीं। उनके अर्जित संस्कार व सत्साहस युग की पुकार सुनकर उन्हें आगे बढ़ने व अवतार के प्रयोजनों हेतु क्रियाशील होने को बाध्य कर देते हैं।
  • जाग्रत अत्माएँ कभी अवसर नहीं चूकतीं। वे जिस उद्देश्य को लेकर अवतरित होती हैं, उसे पूरा किये बिना उन्हें चैन नहीं पड़ता।
  • जाग्रत्‌ आत्मा का लक्षण है- सत्यम्‌, शिवम्‌ और सुन्दरम्‌ की ओर उन्मुखता।
  • जीभ पर काबू रखो, स्वाद के लिए नहीं, स्वास्थ्य के लिए खाओ।

  • झूठे मोती की आब और ताब उसे सच्चा नहीं बना सकती।
  • झूठ इन्सान को अंदर से खोखला बना देता है।

  • ठगना बुरी बात है, पर ठगाना उससे कम बुरा नहीं है।

  • डरपोक और शक्तिहीन मनुष्य भाग्य के पीछे चलता है।

त्र

  • त्रुटियाँ या भूल कैसी भी हो वे आपकी प्रगति में भयंकर रूप से बाधक होती है।

 

 

Source:- http://bharatdiscovery.org/

Note::-

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“तू ना हो निराश कभी मन से”

—–

मन काे कैसे नियंत्रण में करें।

मन के विचारों काे कैसे नियंत्रित करें॥

विचारों के प्रकारएक खुशी जीवन के लिए।

अपनी सोच काे हमेशा सकारात्मक कैसे रखें॥

“मन के बहुत सारे सवालाें का जवाब-आैर मन काे कैसे नियंत्रित कर उसे सहीं तरिके से संचालित कर शांतिमय जीवन जियें”

 

अगर जीवन में सफल हाेना हैं. ताे जहाँ १० शब्दाें से काेई बात बन जाये वहा पर

१०० शब्द बाेलकर अपनी मानसिक और वाणी की ऊर्जा को नष्ट नहीं करना चाहिए॥

-Kmsraj51

 

 

 

 

 

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